गाजियाबाद। औद्योगिक क्षेत्रों की दुर्दशा की रिपोर्टिंग के क्रम में हमने बुलंदशहर रोड इंड. एरिया से शुरुआत की है। पिछले दो लेखों में हमने यहां की स्ट्रीट लाइट्स और सड़कों की बदतर स्थिति पर प्रकाश डाला था। आज हम इस क्षेत्र में नासूर बन चुके अतिक्रमण से आपको अवगत करा रहे हैं।
झोपडी-झुग्गियां सबसे बड़ी समस्या
बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र की सड़क संख्या 5 और उसके आसपास के क्षेत्र में विगत 25 वर्षों से सैंकड़ों की तादात में बसी झुग्गी-झोपड़ियां अब इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। लोगों ने झुग्गियों की आड़ में पक्के निर्माण भी कर लिए हैं। झुग्गी झोपडि़यों से यहाँ की सुंदरता पर दाग के अलावा क्षेत्र में कानून व्यवस्था को भी खतरा रहता है। झुग्गियों में रहने वाले लोगों के कारण यहाँ प्रदूषिण फैल रहा है। झुग्गी झोपड़ियों के आसपास लोग खुले में शौच करते हैं इसके बावजूद इन अवैध झुग्गी झोपड़ियां पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है।
इस सड़क पर कच्ची पक्की झोपड़ियों में हज़ारों लोग मज़े से रहते हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने राशन कार्ड और वोटर आई डी भी बनवा रखे हैं। रेलवे लाइन और सड़क के बीच के खाली पड़े स्थान पर बसनी शुरू हुई ये झुग्गियां अब सड़क के ऊपर तक आ चुकी हैं।
इतनी बड़ी आबादी के लिए जहां सरकार ने हैंड पम्प से लेकर सुलभ शौचालय बनवाये हुए हैं तो वहीं हर प्रकार का सामान आपको यहां बनी अवैध दुकानों में मिल जाएगा। मीट और मुर्गे की यहां कई दुकानें हैं जहां खुले में ही मुर्गे काटे और बेचे जाते हैं।
औद्योगिक संगठन लगातार प्रशासन से गुहार लगाते आ रहे हैं लेकिन खुद को गरीबों का मसीहा बताकर वोट के भूखे नेता प्रशासन को कार्यवाही करने से रोकते रहे हैं। कुछ साहसी अधिकारियों ने कई बार यहां से अतिक्रमण हटाया लेकिन स्थानीय नेताओं की शह पाकर लोगों ने यहां पहले से भी अधिक झुग्गी बना डालीं।
आये दिन बड़े ब्रांड्स के खाद्य पदार्थों की दुकानों और प्रतिष्ठानों पर सैम्पल भरने में लगे फ़ूड डिपार्टमेंट के लोग यहां कभी फटकते तक नहीं। इस सड़क पर सड़क अब बची ही नहीं है। बड़े बड़े खड्डों में भरे पानी और कीचड़ के कारण यहां आए दिन वाहन पलटते रहते हैं। सड़क पर खेलते बच्चों के कारण अधिकांश उद्यमी बहुत डर डर के यहां से गुजरते हैं। आपको बताते चलें कि इस सड़क पर कई इकाइयों से निर्यात भी किया जाता है लेकिन बावजूद इसके इस समस्या का कोई हल आज तक नहीं निकल पाया है।
कबाड़ी भी कम नहीं
औद्योगिक क्षेत्र की कई सड़कों पर कबाडियों ने टीन-तिरपाल डालकर दुकानें लगा ली हैं। एनएच-24 से सटी जीटी रोड पर भी बुरा हाल है। कबाड़ियों ने यहां जगह-जगह कचरे का ढेर लगाया हुआ है। इस स्थिति से औद्योगिक क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित हो रहा है। कई बार फैक्ट्रियो से चोरी हुआ माल इन अवैध बसे कबाड़ियों के यहां बरामद हो चुका है। अब सवाल यह है कि बिना पुलिस की मिलीभगत के इतने सारे कबाड़ी कैसे अपना धंधा चलाये हुए हैं।
ट्रक ट्रॉलों के अतिक्रमण से क्षेत्र की सडक संख्या 4 बनी साक्षात नरक
इस क्षेत्र की सड़क संख्या 4 पर प्रदेश की सबसे बड़ी लोहा मंडी स्थापित है। इस मंडी में आने जाने वाले सैंकड़ों ट्रक और ट्रॉले सड़क पर ही खड़े रहकर अपनी गाड़ी लोडिंग अनलोडिंग होने की प्रतीक्षा किया करते हैं।इस कारण सड़क से गुजरना बहुत मुश्किल हुआ रहता है। मुखर्जी पार्क की चारदीवारी और सड़क के बीच बनी ग्रीन बेल्ट कबाड़ी और ट्रकों की मरम्मत करने वालों की पसंदीदा जगह है। इस स्थान की हरियाली उजाड़ कर दर्ज़नों ऐसे ट्रॉले भी खड़े रहते हैं जिनमें इंजिन नहीं है। इन्हें ट्रॉलों का कबाड़ भी कहा जा सकता है।
उद्यमियों की शिकायतों का संज्ञान लेकर कई बार सड़क पर खड़ी गाड़ियों के चालान भी किये गए हैं लेकिन समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है। कुल मिलाकर इस सड़क का इस्तेमाल करने वाले उद्यमी सुबह शाम खून के आंसू बहाने को अभिशप्त हैं।
यहां खड़े रहने वाले ट्रकों और ट्रॉलों की संख्या का अंदाज इस बात से बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है कि ड्राइवरों के लिए यहां हर समय ताज़ा भोजन मिलता है। लगभग 50 से अधिक अस्थाई और अवैध खोकों में शाकाहारी भोजन, चाउमीन, बिरयानी और मांसाहार धड़ल्ले से बिकता है। इसी कारण शाम होते ही इस सड़क से कोई महिला नहीं गुजरती। अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर महिला कर्मचारी इस सड़क को छोड़कर लंबा रास्ता ले कर घर जाने को मजबूर हैं।
इसके अलावा यहाँ की सड़को पर रेहडी-पटरी वालों ने अतिक्रमण कर लिया है। औसतन हर आधे किलोमीटर में पान के खोखे और खाने-पीने की दुकानें संचालित हो रहीं हैं।
कुछ स्थानों पर हो रही अवैध गैस रिफिलिंग
औद्योगिक क्षेत्र में कुछ स्थानों पर अवैध रूप से गैस रिफिलिंग भी की जा रही है। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां सिलेंडरों में अवैध रूप से गैस रिफिलिंग करते वक्त दुर्घटनाएं हुई हैं। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियों के चलते लगातार दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। यदि यहां ऐसी कोई अनहोनी होती है तो काफी नुकसान हो सकता है।
एक माह से नहीं उठा मलबा
औद्योगिक क्षेत्र की सड़को से सटे नालों की बीते एक माह पहले सफाई की गयी थी, यहाँ से निकाला मलबा सड़को पर डाल दिया गया लेकिन लापरवाही का ये आलम है कि नगर निगम ने अभी तक इस मलबे को उठाने की सुध नहीं ली है।
कागजों पर चल रहा संचारी संचारी रोग नियंत्रण अभियान
जनपद में जोर-शोर से शुरू किया गया संचारी रोग नियंत्रण अभियान कागजों में ही सिमट गया है। औद्योगिक क्षेत्र में अतिक्रमण की वजह से गंदगी चरम पर है। पानी का जमाव, चोक नालियां, कीचड़युक्त सड़कें लोगों को बीमार बनाने के लिए काफी हैं।
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