गाजियाबाद। दुपहिया वाहनों का साइलेंसर बदलकर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ संभागीय परिवहन विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है। बीते ढाई महीने में 112 बुलेट बाइक का चालान किया है। वहीं 58 बाइक को जब्त लिया है। जिससे करीबन साढ़े छह लाख का जुर्माना वसूल किया है।
साइलेंसर मॉडिफिकेशन के जरिए कानफोड़ू आवाज पैदा करने को अदालत ने दूसरों की आजादी में खलल करार दिया है। अदालत ने प्रदेश सरकार से कहा है कि वह ऐसी बाइक्स चलाने वालों के खिलाफ सख्त ऐक्शन ले। कानून के तहत ऐसे बदलावों की अनुमति नहीं है। ऐसे साइलेंसर्स धुआं तो ज्यादा उगलते ही हैं, तय सीमा से कई गुना ज्यादा आवाज पैदा करते हैं जिससे दूसरों को परेशानी होती है। मोडिफाइड साइलेंसर लगी बुलेट मोटर साइकिलों पर हाईकोर्ट के आदेश पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है। परिवहन विभाग, यातायात और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम सड़कों पर उतरकर अभियान चला रही है।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) राघवेंद्र सिंह ने बताया कि बीते ढाई महीने में कुल 112 बुलेट बाइक के खिलाफ जुर्माना करते हुए करीब साढ़े छह लाख का जुर्माना वसूल किया है। वहीं 58 बाइक जब्त कर ली गई है। उन्होंने बताया कि इन बाइक में मॉडिफाइड साइलेंसर लगाने वाले दो प्रतिष्ठानों के खिलाफ भी चालान की कार्रवाई की गई है। इसमें से एक प्रतिष्ठान ने एक लाख रुपये का जुर्माना जमाकर आइंदा से इस तरह का काम नहीं करने का शपथ पत्र दिया है। वहीं दूसरे प्रतिष्ठान के मामले में सुनवाई जारी है। उन्होंने कहा कि वाहन स्वामी अपने वाहन में ओरिजिनल साइलेंसर पुनः लगवा लें, नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रेशर हार्न वाले 221 वाहनों के चालान
एआरटीओ प्रवर्तन ने बताया कि इसी अवधि में विभागीय टीम ने प्रेशर हार्न वाले वाहनों के खिलाफ भी चालान की कार्रवाई की है। बीते ढाई महीने में कुल 221 वाहनों का चालान करते हुए टीम ने करीब साढ़े आठ लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया है। यह कार्रवाई ज्यादातर बसों और ट्रकों के खिलाफ हुई है। उन्होंने बताया कि आगे भी यह अभियान जारी रहेगा।
कई गुना तेज हो जाती है आवाज
पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 के अनुसार, मोटरसाइकिल और स्कूटर्स के लिए अधिकतम ध्वनि सीमा 80 डेसिबल है। फैक्ट्री माडल के स्टाक साइलेंसर में तीन फिल्टर होते हैं जो कम आवाज करते हैं। लेकिन मोडिफाइड साइलेंसर के चलते कम से कम 120 डेसिबल की आवाज निकलती है। ऐसे एक्जास्ट सिस्टम को लगाने का खर्च कुछ हजार रुपये होता है। कुछ बुलेट में पटाखों जैसी आवाज करने वाले साइलेंसर भी लगे हैं।
स्वीकृत नही हैं ऐसे बदलाव
बुलेट मोटरसाइकिल के स्वामियों के द्वारा वाहन निर्माता द्वारा केन्द्रीय मोटरयान नियमावली के नियम-120 के मानकों के अनुरूप लगाये गये साईलेंसर को निकलवाकर अथवा उसमें परिवर्तन (मोडिफाई) कराया जा रहा है। जो न केवल मोटरयान अधिनियम-1988 की धारा-52 (वाहन में अनधिकृत परिवर्तन) का उल्लंघन है, अपितु धारा 190(2) (निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण) का भी उल्लंघन है।
माडिफाइड साइलेंसर लगाने के लिए कैटलिटिक कनवर्टर हटाना पड़ता है। जबकि यही एक्जास्ट गैसों को फिल्टर करता है ताकि खतरनाक कण वातावरण में ना फैल सकें। बीएस-6 उत्सर्जन मानकों का पालन करने के लिए कैटलिटिक कनवर्टर जरूरी है। अगर आप कैटलिटिक कनवर्टर हटवा कर कोई और हाई-परफार्मेंस एक्जास्ट लगवाते हैं तो आपकी गाड़ी बीएस-6 के मानकों पर खरी नहीं उतरती। फैक्ट्री माडल में इस तरह का कोई भी बदलाव गैरकानूनी है।
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