गाजियाबाद: जानें औद्योगिक क्षेत्र बुलंदशहर रोड पर स्ट्रीट लाइट्स का हाल

गाज़ियाबाद। बुलंदशहर रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र में आज तक व्यवस्थाएं ठीक नहीं हो सकी हैं। इसी कड़ी में आज हम बीएस रोड इंड एरिया में लगी लाइट्स पर चर्चा करेंगे। यहाँ अधिकांश स्ट्रीट लाइटस लंबे समय से खराब हैं। एक समय पर गाज़ियाबाद का ये औद्योगिक क्षेत्र जन सुविधाओं के मामले में बेहतर क्षेत्रों में गिना जाता था किंतु आज इस एरिया की बहुत दुर्गति हो चुकी है।

यहां अधिकांश इलाकों में शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है क्योंकि यहाँ लगी 572 लाइट्स में से 430 लाइट्स .महीनों से बंद पड़ी हैं। इस कारण यहां काम करने वाले श्रमिक, स्टाफ और उद्यमी सभी की सुरक्षा दाँव पर लगी रहती है। अधिकांश इंडस्ट्रीज में सुबह 8 बजे से देर शाम तक काम होता है और कुछ फैक्ट्रियों में तो 24 घंटे काम होता है। इसलिए स्ट्रीट लाइट्स की ज़रुरत और ज़्यादा हो जाती है।

आप को बताते चलें कि इस क्षेत्र में लगभग 25 हज़ार से अधिक लोग काम करते हैं और इनमें महिला कर्मियों की संख्या भी हज़ारों में है। ऐसे में अंधेरा हो जाने के बाद छुट्टी पाने वाली महिलाओं और युवतियों को फैक्ट्री से घर जाने में बहुत डर लगता है। अंधेरे और अपराध का चोली दामन का साथ है। अंधेरा अपराधियों के हौंसले बढ़ा देता है। ऐसे में लूटपाट जैसी घटनाओं की संभावना यहां हर समय बनी रहती है।

महिला श्रमिक सरला, राजकुमारी, बीना ने बताया कि छुट्टी होने के बाद हम सभी ग्रुप बनाकर ही घर जाते हैं क्योंकि अकेले में अंधेरी सड़क पर जाने का जोखिम नहीं उठा सकतीं या फिर उनके पति, भाई या पिता उन्हें घर से लेने आते हैं तभी वो घर जा पाती हैं।

ये बहुत दुखद और अमानवीय बात है कि नारी को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी होने के बजाय प्रशासन इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। एक महिला कर्मी का दर्द था कि जब आवासीय क्षेत्रों में लाइट्स जलती रहना ज़रूरी है तो हमारे रोजगार तक आने जाने के मार्ग में ये ज़रूरत कैसे कम हो सकती है। निगम के अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि जब से एलईडी लाइट्स आयी हैं तब से ये समस्या बढ़ी है क्योंकि ये लाइट्स अपेक्षाकृत जल्द खराब होती हैं और इनके स्पेयर पार्ट्स भी महंगे होते हैं।

गाज़ियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के महासचिव अनिल गुप्ता ने बताया कि क्षेत्रीय उद्यमियों की निरंतर मिलती शिकायतों के आधार पर जब नगरायुक्त को वस्तु स्थिति से अवगत कराया गया तो उन्होंने त्वरित कार्यवाही कराते हुए 1 सप्ताह में ही 142 लाइट्स प्रकाशित करवा दी हैं। नगरायुक्त ने ये आश्वासन भी दिया है कि अब सप्ताह में 3 बार निगम के कर्मचारी इस क्षेत्र में आया करेंगे और शेष सभी लाइट्स को भी जल्द ठीक करा दिया जाएगा।

अनिल गुप्ता ने ये सुझाव भी दिया कि क्षेत्र के उद्यमियों को स्वयं भी आगे आकर इस काम में सहयोग करना होगा। केवल नगर निगम के भरोसे इतनी सारी लाइट्स को प्रकाशित बनाये रखने की उम्मीद रखना बेमानी है। पूर्व में भी क्षेत्रीय उद्यमी संगठन आई ए एम ए अपने स्तर से धन खर्च कर इन लाइट्स को प्रकाशित कराता था और ये व्यवस्था पुनः लागू करना उचित रहेगा। आखिर यहां कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रति हम उद्यमियों की भी तो कोई ज़िम्मेदारी है।

अनिल गुप्ता ने बताया कि उद्यमियों की जागरूकता और ज़िम्मेदारी की जीती जागती मिसाल इस क्षेत्र की सड़क संख्या 23 है। यहां इस सड़क के दोनों ओर स्थित इकाइयों ने आपसी तालमेल से सुरक्षा और स्ट्रीट लाइट्स का काम बहुत अच्छे तरीके से संभाला हुआ है। यहां की लाइट्स हमेशा प्रकाशित रहती हैं और सड़क के दोनों ओर सुरक्षा गार्ड्स भी 24 घण्टे मौजूद रहते हैं।

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