दिल्ली/गाजियाबाद। मानसून की विदाई होते ही प्रदूषण ने गाजियाबाद समेत एनसीआर पर अपना शिकंजा कस लिया है। दिनों दिन वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि एक सप्ताह पहले तक जो वायु सूचकांक 40-50 के बीच था आज वो 200 पार कर गया है। अगर यहीं हालात रहे तो दीपावली तक वायु प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, गुरुवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 182 दर्ज किया गया है। इसके अलावा फरीदाबाद का 222, गाजियाबाद का 311, ग्रेटर नोएडा का 214, गुरुग्राम का 172 व नोएडा का एक्यूआई 188 रहा। सफर इंडिया के मुताबिक, रेगिस्तानी इलाकों से आने वाली धूल भरी हवाओं के कारण दिल्ली-एनसीआर की हवा बिगड़ी हुई है। अगले तीन दिनों तक इसमें बदलाव की संभावना नहीं है। बीते 24 घंटे में हवा में पीएम 10 का स्तर 188 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर व पीएम 2.5 का स्तर 78 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया है।
CPCB के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 25 ऐसे शहर हैं, जहां की वायु गुणवत्ता खराब पाई गई है। इनमें से 12 शहर अकेले उत्तर प्रदेश के हैं. इसके साथ ही हरियाणा के 10 शहर इस सूची में खराब वायु गुणवत्ता के कारण शामिल किए गए हैं।
वहीं वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में आज शुक्रवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो गया है। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने के साथ ही एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वालों पर भी कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। अगले सप्ताह इस मसले पर बैठक होगी और नए प्रावधानों को लेकर निर्णय लिया जाएगा।दिल्ली-एनसीआर में हर साल 15 अक्तूबर से लेकर 15 मार्च के बीच हवा के खराब श्रेणी में पहुंचने पर ग्रेप लागू किया जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए बोर्ड के सुझाव
- होटल और ढाबों में कोयले व लकड़ी का उपयोग बंद करना
- खुले स्थान पर कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाए
- बस और मेट्रो के फेरे बढ़ाना
- दिल्ली-एनसीआर में ईट भट्ठों पर पूरी तरह से प्रतिबंध
- उद्योगों और बिजली संयंत्रों में प्रदूषण नियंत्रण मानकों का सख्ती से पालन करना
- पीयूसी मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को जब्त कर भारी जुर्माना लगाना
- सड़क किनारे धूल पर पानी का छिड़काव करना
वायु गुणवत्ता सूचकांक
वायु गुणवत्ता सूचकांक में प्रदूषण का स्तर 0-50 तक होने पर न्यूनतम प्रभाव होता है। इसके बाद 51-100 तक संतोषजनक लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस लेने में परेशानी, 101-200 तक मध्यम जिसमें फेफड़ों, अस्थमा और ह्रदय रोगों से पीड़ित लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसके बाद 201-300 तक खराब स्थिति होती है, जिसके लंबे समय तक संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
वहीं 301-400 तक बेहद खराब स्थिति होती है, जिसके लंबे समय तक संपर्क में आने से सांस लेने से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. वहीं 401-500 का स्तर बेहद गंभीर माना जाता है, जिसमें पूर्ण रूप से स्वस्थ लोग भी प्रभावित होते हैं और यह मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
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