पटना। रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में आखिरकार औपचारिक तौर पर विभाजन हो गया है। अब चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों की पार्टियों का नाम बदल गया है। चुनाव आयोग ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है।
रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जे को लेकर जमुई सांसद चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के बीच लगातार तनातनी चल रही थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने फैसला लेते हुए चुनाव चिन्ह बंगला को फ्रीज कर दिया था। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद चिराग पासवान ने कहा था कि, ये उनकी जीत है। उन्होंने इसको लेकर फेसबुक और ट्विटर पर लंबा चौड़ा पोस्ट भी किया था। वहीं केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने भी इसे अपनी जीत बताई थी।
वहीं मंगलवार को चुनाव आयोग के फैसले के बाद चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की कमान संभालेंगे तो वहीं पशुपति पारस अब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया होंगे। चुनाव आयोग की ओर से जारी लेटर में बताया गया है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को चुनाव चिह्न के तौर पर हेलिकॉप्टर दिया गया है। वहीं राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है।
इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई अब खत्म होती दिख रही है। हालांकि चिराग पासवान की पार्टी के नाम रामविलास जुड़ गया है, जिससे उन्हें चुनावी समर में पिता की विरासत के आधार पर वोट मांगने में मदद मिल सकती है।
गौरतलब है कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से पार्टी के अंदर खींचतान शुरू हो गई थी। 16 जून 2021 को लोजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में चिराग पासवान को साइड कर दिया गया और पशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुन लिया गया था। इसके बाद से ही लोजपा पर कब्जे को लेकर चिराग और पशुपति कुमार पारस के बीच रस्साकशी जारी थी। दोनों गुट लोजपा पर अपने दावेदारी ठोक रहे थे।
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