नई दिल्ली। यूपी के लखीमपुर खीरी में हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। दिल्ली-नोएडा मार्ग पर रास्ता ब्लॉक किए जाने को लेकर डाली गई जनहित याचिका और किसान महापंचायत नाम के संगठन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब हमने तीन कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगा रखी है तो फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
किसान महापंचायत की याचिका में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इस पर बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि ‘तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। इसके साथ ही अदालत की बेंच ने किसानों के आंदोलन पर ही सवाल उठाया कि जब कानूनों के अमल पर रोक है तो विरोध किस बात का। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई घटना का भी जिक्र किया। अदालत ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, वे वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।
साथ ही नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल ने किसान आंदोलन के चलते दिल्ली- नोएडा यातायात बाधित रहने का मसला उठाया था। किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग को कोर्ट में उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया। इस मामले में 20 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
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