लखनऊ/हैदराबाद। धर्मांतरण के आरोपों का सामना कर रहे सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। इधर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असुददीन ओवैसी आईएएस के समर्थन में उतर आए हैं। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष, सीनियर आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन का खुलकर समर्थन किया है और योगी सरकार को निशाने पर लिया है।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के 6 साल पुराने वीडियो की ‘जांच’ करने के लिए एक एसआईटी का गठन किया है। वीडियो को गलत तरीके से पेश किया गया और यह उस समय का है जब यह सरकार सत्ता में भी नहीं थी। यह धर्म के आधार पर जबरदस्त उत्पीड़न है।’
दूसरे ट्वीट में ओवैसी ने कहा, ‘यदि मानदंड यह है कि किसी भी अधिकारी को धार्मिक गतिविधि से नहीं जुड़ना चाहिए तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीकों या छवियों के उपयोग पर रोक लगाएं। यदि घर में आस्था की चर्चा करना अपराध है तो सार्वजनिक धार्मिक उत्सव में भाग लेने वाले किसी भी अधिकारी को दंडित करें। दोहरा मापदंड क्यों?’
दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो कथित तौर पर उस वक्त का है जब इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के कमिश्नर थे। वीडियो में आईएएस अधिकारी कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ बैठे नजर आ रहे हैं और कथित रूप से देश के हर घर तक इस्लाम फैलाने की नीतियों पर बात कर रहे हैं। एक दूसरे वीडियो में अधिकारी कथित तौर पर अपने सरकारी आवास में जमीन पर बैठे हैं और एक वक्ता कट्टरता भरा बयान दे रहा है। सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की है।
एसआईटी के अध्यक्ष सीबीसीआईडी के महानिदेशक जी एल मीणा हैं जबकि कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर इसके सदस्य हैं। एसआईटी सात दिनों के अंदर शासन को अपनी रिपोर्ट देगी।
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