इंग्लैंड के प्लायमाउथ में 12 साल की बच्ची को गर्भाशय का कैंसर होने का मामला सामने आया है। सिनैड जैलिक नाम की बच्ची को अक्सर पेट दर्द की शिकायत रहती थी। सिनैड का परिवार उसके इलाज के लिए तमाम तरीके से फंड जुटाने में लगा है।
‘द सन’ की खबर के मुताबिक, इंग्लैंड के प्लायमाउथ में एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें एक 12 साल की बच्ची जब पेट में दर्द की समस्या लेकर अस्पताल पहुंची तो उसे पता चला कि वो कैंसर से पीड़ित है। सिनैड जैलिक को अक्सर पेट में दर्द की शिकायत रहती थी। जब डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसे गर्भाशय का कैंसर है।
सिनैड जैलिक की मां जोडी के मुताबिक क्रिसमस के दिन सिनैड की पहली कीमोथैरेपी हुई. उसका ट्रीटमेंट लगातार चल रहा है। इस दौरान उसके पूरे बाल झड़ चुके हैं और अब वो विग पहनती है। कीमोथैरेपी अब पूरी हो चुकी है और अब हमें किडनी कंसल्टेंट से मिलना है। साल की शुरुआत में कोरोना की वजह से उसे दिक्कत ना हो इसलिए हमें आइसोलेट होना पड़ा। सिनैड के गर्भाशय में कैंसर की चार गांठें बची हैं और इन्हें हटाया नहीं जा सकता है हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि ये कैंसर की कोशिकाएं डेड हो चुकी हैं लेकिन इसके बारे में सही जानकारी हमें नवंबर में होने वाले स्कैन से पता चलेगी।’
सिनैड की मां का कहना है कि वो स्कूल जाना चाहती थी। वो अपने दोस्तों को बहुत मिस करती थी। थकान और ठीक ना महसूस करने के बावजूद वो हफ्ते में तीन दिन स्कूल जाती है। स्कूल में सिनैड का अनुभव अच्छा नहीं रहा है, क्लास के बच्चे उसके विग को लेकर उसका मजाक उड़ाते थे। मैं इसकी शिकायत करने स्कूल भी गई लेकिन जब मैं घर वापस आई तो सिनैड को देखकर हैरान रह गई मेरी छोटी सी बच्ची यूनिफॉर्म पहन कर बिना विग लगाए स्कूल जाने को तैयार थी।
जोडी ने बताया, ‘सिनैड की हिम्मत देखकर मैं बहुत खुद पर बहुत गर्व कर रही थी लेकिन मेरे मन में अभी इस बात को लेकर डर था कि उसके क्लास के बच्चे उसे फिर से परेशान करेंगे। मेरी बच्ची कहती है कि वो अब किसी की बातों पर ध्यान नहीं देगी।’
ओवेरियन कैंसर को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है। दो तिहाई महिलाओं में इसका पता काफी देर से लेट स्टेज (Late Stage) में चलता है। ऐसे में ये पूरी तरह से गर्भाशय में फैल जाता है और इसका इलाज मुश्किल होता है। इसीलिए पेट में सूजन पेट या पेल्विक एरिया में दर्द, खाते समय तुरंत पेट भरा हुआ महसूस होना, बार बार पेशाब का आना, बैक पेन, वेट लॉस जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसका पता चल जाने से इसका इलाज संभव है और 10 में से 9 महिलाओं यानी करीब 93 प्रतिशत की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 5 साल या इससे ज्यादा समय तक के लिए बढ़ सकती है। वहीं एडवांस स्टेज में सिर्फ 13 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी के बाद सर्वाइव कर पाती हैं।
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