इलाहाबाद/लखनऊ। हाई कोर्ट ने दोपहिया और चौपहिया वाहनों में मोडिफाइड सायलेंसर का प्रयोग कर ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर प्रभावी रोक न लगाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने चेताया है कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया तो गृह और परिवहन विभागों के अपर मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशक को कोर्ट के समक्ष हाजिर होना होगा। अदालत ने तीनों अफसरों से हलफनामा दायर कर ध्वनि प्रदूषण वाले वाहनों पर कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी।
न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की लखनऊ खंडपीठ ने मोडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण टाइटिल से दर्ज स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान अपर मुख्य सचिव गृह और डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामों पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये खानापूर्ति से अधिक कुछ भी नहीं हैं। कोर्ट ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी फटकार लगाते हुए कहा कि उसकी ओर से दाखिल शपथ पत्र में भी ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या किया, इसका कोई जिक्र नहीं है।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी गौरव मेहरेात्रा ने कहा कि परिवर्तित सायलेंसर, हूटर्स और प्रेशर हार्न की वजह से ध्वनि प्रदूषण में इजाफा होता है, लेकिन इसे रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में जिन अधिकारियों पर वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी है, वे पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं। कोर्ट अफसरों को तलब करने जा रही थी लेकिन अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव के अनुरोध पर फिलहाल तलब नहीं किया।
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