नई दिल्ली। प्रदूषण को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बुधवार को नई एयर क्वालिटी गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंस के हिसाब से देखा जाए तो लगभग पूरा भारत ही प्रदूषित कैटेगरी में आ गया है। WHO ने यह भी दावा किया कि वायु प्रदूषण की वजह से ही हर साल दुनिया में 70 लाख लोगों की मौत होती है, वहीं ग्रीनपीस के आंकड़ो के मुताबिक राजधानी दिल्ली में हर साल 57 हजार लोग प्रदूषण की वजह से मर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने अब वायु प्रदूषण को धूम्रपान या अस्वास्थ्यकारी आहार के बराबर माना है। नतीजतन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। WHO ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है कि वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसलिए जरूरत है कि जल्द से जल्द प्रदूषण को कम करने के लिए कार्रवाई की जाए। नई गाइडलाइन का पालन कर लोग खुद को वायु प्रदूषण से होने वाले गंभीर परिणामों से बचा सकते हैं और सरकारें भी इन गाइडलाइंस का इस्तेमाल कर सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ ने 22 सितंबर को कहा कि वायु प्रदूषण अब मानव जीवन के लिए सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक है। दुनिया का आलम ये है कि हर साल 70 लाख लोग प्रदूषण के कारण मर रहे हैं। ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण के चलते समय से पहले होने वाली मौतों और वित्तीय नुकसान पर भी आंकड़े सामने रखे हैं। तोक्यो, दिल्ली, शंघाई, मेक्सिको सिटी, साओ पाउलो, न्यूयॉर्क, इस्तांबुल, बैंकॉक, लंदन और जोहान्सबर्ग में से भारतीय राजधानी के भीतर वक्त से पहले सबसे ज्यादा मौतें (57,000) देखी गईं। एयर पलूशन की वजह से जीडीपी में भी 14% का नुकसान हुआ।
WHO के मुताबिक एशिया के देश सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इनमें भी दिल्ली में 17 गुना प्रदूषण और बढ़ गया है वहीं पाकिस्तान के लाहौर में 16 गुना, ढाका में 15 गुना और चीन के शहर झेंगझाउ में 10 गुना प्रदूषण बढ़ा है। जबकि दुनिया के 10 सबसे बड़े शहरों में से आठ में PM 2.5 का डेटा उपलब्ध ही नहीं था।
डब्ल्यूएचओ ने आखिरी बार 2005 में वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसका दुनिया भर में पर्यावरण नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था हालांकि संगठन का कहना है कि पिछले 16 सालों में ऐसे सबूत सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि वायु प्रदूषण सेहत को प्रभावित करता है. उसका कहना है कि पहले की तुलना में वायु प्रदूषण इंसान की सेहत पर कहीं अधिक प्रभाव डाल रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा, “न सिर्फ खास देशों या क्षेत्रों में बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रमुख वायु प्रदूषकों को कम करने के लिए इकट्ठा सबूत कार्रवाई को सही ठहराने के लिए पर्याप्त हैं।”
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