नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 2028 तक देश में हिन्दुओं और मुस्लिमों की आबादी बराबर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन से पता चलता है कि 1951 के बाद से मुसलमानों की प्रजनन दर में गिरावट हिंदुओं की तुलना में अधिक रही है। आज मुसलमानों में प्रजनन दर 2.7 फीसदी और हिंदुओं में 2.3 फीसदी है। उन्होंने कहा कि 2028 तक हिंदू और मुस्लिम दोनों की जन्म दर बराबर हो जाएगी।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल देश में मुस्लिमों की प्रजनन दर 2.7 फीसदी है, जबकि हिन्दुओं में यह दर 2.3 फीसदी है। इस दर के हिसाब से साल 2028 तक हिन्दुओं और मुस्लिमों की जनसंख्या लगभग बराबर हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि भाजपा के कई नेता और ओवैसी अपनी वोट की राजनीति के लिए अपने-अपने समुदाय की प्रजनन दर का मुद्दा उठाते रहते हैं। भाजपा वाले कहते हैं कि मुसलमान चार-चार बीवी कर लेते हैं और दर्जनों बच्चे पैदा कर लेते हैं। 10-20 साल बाद मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे और हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं चुनौती देता हूं कि यह सही नहीं है, जो भी मुझसे चर्चा करना चाहें कर लें। उन्होंने कहा कि भाजपा की तरह ही ओवैसी भी मुसलमानों को गुमराह करते हैं। कांग्रेस नेता ने जिस रिपोर्ट का जिक्र किया है उस प्यू रिसर्च सेंटर ने हर 10 साल में होने वाली जनगणना और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के आधार पर अध्ययन किया है। इसमें बताया गया है कि भारत की धार्मिक आबादी में किस तरह के बदलाव आए हैं।
वॉशिंगटन डीसी स्थित गैर-लाभकारी एजेंसी प्यू रिसर्च सेंटर ने भारत में धार्मिक आबादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें बताया गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई लगभग सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफी कमी आई है। भारत में सबसे ज्यादा हिंदुओं की आबादी है और आम धारणा है कि मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है लेकिन इस रिपोर्ट में 1992 से 2015 के बीच के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया गया है कि सभी धार्मिक समूहों में प्रजनन दर (बच्चों की संख्या) में कमी आई है। इसे ऐसे समझिए कि 1992 में एक मुस्लिम महिला के 4 से ज्यादा बच्चे होते थे लेकिन यह आंकड़ा घटकर 2015 में 2 से ज्यादा आ गया है।
इसी तरह हिंदुओं में 3 से ज्यादा बच्चे पैदा होने का आंकड़ा अब 2.1 रह गया है। ईसाई 2.9 से घटकर 2, बौद्ध 2.9 से घटकर 1.7, सिख 2.4 से घटकर 1.6 और जैन 2.4 से घटकर 1.2 आ गया है। हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि सभी धार्मिक समूहों की तुलना करें तो मुस्लिम ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं।
भारत की आबादी में 79.8 प्रतिशत हिंदू और 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। बाकी 6 प्रतिशत में ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन आते हैं। मुस्लिमों में प्रजनन दर बाकी धार्मिक समूहों से ज्यादा है लेकिन हाल के दशकों में इसमें गिरावट देखी गई है। भारत में जनसंख्या बढ़ने का सीधा कनेक्शन महिलाओं की शिक्षा से जुड़ा है। महिलाएं जितनी ज्यादा शिक्षित होती हैं बच्चों की संख्या कम होती है।
भारत दुनिया के 94 प्रतिशत हिंदुओं का घर है। नेपाल के अलावा भारत दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू बहुल देश है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में दुनिया के कई देशों से ज्यादा मुस्लिम आबादी निवास करती है। इंडोनेशिया (2010 में 20.9 करोड़ मुस्लिम आबादी) के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में ही रहते हैं। पाकिस्तान की मुस्लिम आबादी भी मोटे तौर पर भारत के बराबर ही है। बांग्लादेश का चौथा नंबर आता है, वहां 13.4 करोड़ मुसलमान रहते हैं।
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