पढ़िये ऑपइंडिया की ये खास खबर…
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने सितंबर 2021 में अपनी साल 2020 की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में सबसे ज्यादा रेप केस दर्ज किए गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में अपराध के ग्राफ में गिरावट देखी गई। केवल रेप मामलों की बात करें तो यहाँ भी उत्तर प्रदेश राजस्थान से पीछे है। राजस्थान में जहाँ 5,310 केस दुष्कर्म के आए तो वहीं उत्तर प्रेदश में ये आँकड़ा 2,769 का है।
सवाल है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर समय-समय पर सवाल उठाने वाले आज NCRB के स्पष्ट रिकॉर्ड देखने के बावजूद भी क्यों चुप बैठे हैं। क्या अब सवाल नहीं होना चाहिए कि आखिर आए दिन किसी न किसी कारण अखबारों में घिरी रहने वाली राजस्थान पुलिस अपराध रोकने के लिए क्या कर रही है। केवल मीडिया में आ रही खबरों की बात करें तो पता चलता है कि राजस्थान पुलिस बीतें दिनों कई कारणों से विवादों में थी। इनमें कुछ तो बहुत हालिया हैं।
राजस्थान पुलिस के दामन पर लगे दाग
आज ही खबर आई है कि राजस्थान का एक पुलिसकर्मी नाबालिगों के साथ अश्लील हरकत करने के आरोप में पकड़ा गया। पींसांगन थाने में कार्यरत कॉन्सटेबल की अश्लील चैटिंग सामने आई है। उस पर कई छात्रों ने मानसिक व शारीरिक रूप से तंग करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा डराने और धमकाने की शिकायत भी छात्रों ने की है। इस खबर के आने से कुछ दिन पहले ही एक पुलिस अधिकारी की अश्लील हरकत के कारण राजस्थान पुलिस शर्मसार हुई थी। उस समय पुलिस अधिकारी का एक वीडियो वायरल हुआ था जहाँ वह महिला कॉन्सटेबल के सामने अश्लील हरकत करते पकड़ा गया था।
ऐसे ही 21 अगस्त को नागौर जिले के खुनखुना थाने में एक शिकायत दर्ज हुई जहाँ पुलिस अधिकारी के ख़िलाफ़ रेप का केस दर्ज हुआ था। पीड़िता ने शिकायत में कहा था कि वह साल 2018 में एक मामले में शिकायत दर्ज कराने थाने गई थी, वहीं आरोपित थानाधिकारी ने उसका नंबर लिया और उसे तंग करने लगा। इसके बाद एक दिन उसे होटल में बुला कर उसका रेप कर दिया।
साल 2021 के मार्च में ही अलवर के खड़ेली थाने में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गई 26 साल की महिला से थाना परिसर में ही सब इंस्पेक्टर द्वारा तीन दिन तक लगातार रेप किए जाने का मामला सामने आया था। फिर ACP कैलाश बोहरा को ऑफिस में पीड़िता के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था। साल 2019 में चुरु जिले में एक दलित युवक की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में भी पुलिस पर रेप के आरोप लगे थे।
तो, ये केवल चंद उदाहरण है जिन्हें हाल फिलहाल में मीडिया में जगह मिली और राजस्थान पुलिस का एक अलग चेहरा भी उजागर हुआ। अब प्रश्न ये है कि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार है। वही कॉन्ग्रेस जिसने दूसरे प्रदेश में घटित होती घटनाओं पर समय-समय पर सवाल उठाया लेकिन अपने ही प्रदेश में बढ़ रहे अपराध और पुलिस पर लगते इल्जामों पर क्यों मौन धारण किए रहे?
कॉन्ग्रेस का दोहरापन क्यों?
पिछले साल की बात है जब हाथरस में हुई घटना की बाबत राहुल गाँधी-प्रियंका गाँधी समेत तमाम कॉन्ग्रेसियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी सरकार पर निशाना साधा था और पीड़ित परिवार के घर पहुँच-पहुँच कर अपनी संवेदनाएँ प्रकट की थी। दूसरी ओर वही राहुल-प्रियंका गाड़ी में बैठ ठहाके लगाते भी दिखे थे। इसी तरह तमाम मामलों में कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समय-समय बात या बिन बात यूपी सरकार को कई मुद्दों में घेरा और प्रदेश या मजहब विशेष की बातें आते ही शांत हो गए।
ये कॉन्ग्रेस का पाखंड ही है कि वो यूपी में घट रही घटनाओं पर तभी चुप होते हैं जब जाति से आरोपित ब्राह्मण या फिर धर्म से हिंदू हो। इसके उलट अगर आरोपित विशेष समुदाय से होता है तो उस मुद्दे को वहीं छोड़ दिया जाता है। जैसे हाथरस के समय यूपी के बलरामपुर में दो युवकों – शाहिद पुत्र हबीबुल्ला निवासी गैंसड़ी और साहिल पुत्र हमीदुल्ला निवासी गैंसड़ी ने रेप की वारदात को अंजाम दिया था। मगर राहुल गाँधी या किसी कॉन्ग्रेस नेता ने उस मुद्दे में दिलचस्पी नहीं ली थी।
और, ज्ञात रहे हर मामले और हर मुद्दे में ये बिंदु हर बार उठता है कि बीजेपी शासित राज्यों में हर घटना या अपराध को जाति और मजहब के चश्मे से देखने वाली कॉन्ग्रेस राजस्थान में बढ़ रहे अपराधों पर क्यों मुँह फेर लेती है जबकि यहाँ की उस पुलिस पर आए दिन तरह-तरह के आरोप लगते हैं कि जिनका काम अपराधों को दर्ज करके उनमें कार्रवाई करना और जाँच कर दोषियों को सजा दिलवाना है।
साभार-ऑपइंडिया।
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