थैंक्यू अंकल..! आपने बचा लिए हमारे पेड़

DJHÙÃØæ ÐâõÁ‹Ø- SßÁÙ

पढ़िए जागरण की ये खबर…

जागरण संवाददाता साहिबाबाद थैंक्यू अंकल..! आपने हमारी अपील पर गौर किया और पेड़ बचा लिए। हम बहुत मेहनत से पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं। हर बार अपने जन्मदिन पर पार्क में पौधे लगाते हैं। एक कार्यक्रम के आयोजन के लिए पेड़ों को काटने की कोशिश हो रही थी। हमने अधिकारियों से पेड़ न काटने की अपील की थी। ये बातें वैशाली सेक्टर चार के बच्चों ने पेड़ को बचाने के लिए पहुंची वन विभाग की टीम से कहीं।

जागरण संवाददाता साहिबाबाद थैंक्यू अंकल..! आपने हमारी अपील पर गौर किया और पेड़ बचा लिए। हम बहुत मेहनत से पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं। हर बार अपने जन्मदिन पर पार्क में पौधे लगाते हैं। एक कार्यक्रम के आयोजन के लिए पेड़ों को काटने की कोशिश हो रही थी। हमने अधिकारियों से पेड़ न काटने की अपील की थी। ये बातें वैशाली सेक्टर चार के बच्चों ने पेड़ को बचाने के लिए पहुंची वन विभाग की टीम से कहीं।

दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बड़ी समस्या है। ऐसे में लोग पौधे रोपित करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने पाम कोर्ट पार्क को हरा-भरा बनाने में अहम भूमिका निभाई है। सालों से लोग यहां नगर निगम के सहयोग से नीम, पीपल, बरगद व कदम के पौधे रोपित कर रहे हैं। पार्क में एक निजी कार्यक्रम को लेकर 100 से अधिक पौधे काटने की कोशिश हो रही थी। उद्यान विभाग के सुपरवाइजर ने पार्क में आकर पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया था। वन विभाग से पेड़ सुरक्षित होने का भरोसा मिलने के बाद बच्चों ने दैनिक जागरण को ‘थैंक्यू’ बोला है। पहले रहती थी गंदगी : स्थानीय निवासी सीएम त्रिपाठी, आरडब्ल्यूए सचिव पंकज चौधरी व सतीश श्रीवास्तव, अरविद पांडेय ने बताया कि पहले पार्क में कूड़ा डाला जाता था। स्थानीय निवासियों ने पसीना बहाकर पार्क को हरा-भरा बना दिया। बच्चे पौधे रोपकर उन्हें पाल रहे हैं। जब बच्चों को पेड़ काटने का पता चला तो वे परेशान हो गए। एक निजी कार्यक्रम के लिए पेड़ काटने के विरोध में उन्होंने बड़े स्तर पर आंदोलन करने की घोषण की थी। वर्जन..

हमारी अपील को वन विभाग ने सुना है। हमने पार्क में अपने जन्मदिन पर पौधे रोपे थे। एक कार्यक्रम के लिए पेड़ों को काटना गलत है।

शुभांगी, स्थानीय निवासी।

—–

थैंक्यू अंकल..! हमें यकीन था कि आप हमारी बात जरूर सुनेंगे। पेड़-पौधों से हमें आक्सीजन मिलती है। हम रोज पेड़-पौधों को पानी व खाद देते हैं।

Exit mobile version