1998 की बात है। अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत थी, जो कट्टर सुन्नी इस्लाम मानते हैं। तालिबानियों ने देशभर में हजारों शिया मुसलमानों का कत्लेआम किया, जिसमें ईरान के 8 डिप्लोमेट भी शामिल थे। इससे ईरान और तालिबान में ठन गई।
2021 में तालिबान दोबारा सत्ता में आया तो ईरान पुरानी कड़वाहटें भुलाकर संबंध सुधारने लगा। हालांकि ये ज्यादा दिन नहीं चला और दोनों देशों का ‘हनीमून’ अब खत्म होता नजर आ रहा है।
इस घटना ने फिर साबित किया कि शिया और सुन्नी ताकतें थोड़े वक्त के लिए भले साथ आने का दिखावा करें, लेकिन पिछले 1400 साल के इतिहास में ये ज्यादातर एक-दूसरे के खिलाफ रही हैं। आज मंडे मेगा स्टोरी में शिया और सुन्नी विवाद की पैदाइश से लेकर अब तक की पूरी कहानी…
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ग्राफिक्स
पुनीत श्रीवास्तव
रथिन सरकार
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