चंदौली : किसानों के लिए सरकारी क्रय केंद्रों पर धान बेचना अब आसान नहीं होगा। पंजीकरण के समय ही उन्हें बताना होगा कि किस गाटे में कौन सी फसल बोई है। इसका विवरण आनलाइन अपलोड होने के बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से आवेदन का सत्यापन किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही किसान क्रय केंद्रों पर अनाज बेच सकेंगे। सरकारी खरीद में धांधली रोकने के लिए सरकार ने गाइडलाइन में बदलाव किया है। इससे किसानों की मुश्किलें तो बढ़ ही गई हैं, लेकिन केंद्र प्रभारियों पर भी शिकंजा कस गया है। केंद्र प्रभारी किसी भी सूरत में अनियमितता नहीं कर पाएंगे।

दरअसल, अब तक किसानों को पंजीकरण के दौरान सिर्फ जमीन का ब्योरा देना होता था। मसलन गाटा संख्या और रकबा दर्ज किया जाता था। इसका उल्लेख नहीं होता था कि उक्त गाटा संख्या में कौन की फसल बोई है। इस बार किसानों को बताना होगा कि फला गाटे में नाटी मंसूरी धान रोपा गया है। राजस्व विभाग की टीम आवेदन के बाद मौके पर जाकर इसका सत्यापन भी करेगी कि किसान की ओर से दी गई सूचना सही है अथवा नहीं। यदि भ्रामक सूचना दी गई तो पंजीकरण रद भी हो सकता है। सबसे अहम कि इस बार लघु व सीमांत किसानों को भी अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण का सत्यापन कराना होगा। पहले सिर्फ पंजीकरण कराकर किसान अपनी उपज बेच लेते थे। जिले में धान-गेहूं खरीद में धांधली के कई मामले

जनपद में धान और गेहूं खरीद में धांधली के कई मामले सामने आ चुके हैं। 2019 में धान खरीद में धांधली का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। न्यायालय ने लापरवाही पर जिले के छह उपनिरीक्षकों पर कार्रवाई का भी निर्देश दिया था। इससे अलावा गेहूं खरीद में भी गड़बड़ी उजागर हुई है। केंद्र प्रभारी किसानों के साथ मिलीभगत खरीद में हेराफेरी करते हैं। इससे वास्तविक किसानों को भी परेशान होना पड़ता है।

‘ इस बार पंजीकरण की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। किसानों को पंजीकरण के दौरान यह बताना होगा कि किस गाटे में कौन की फसल बोई है। इसका सत्यापन कराया जाएगा। सारी सूचनाएं सही पाए जाने पर ही किसानों को क्रय केंद्र पर अनाज बेचने की अनुमति मिलेगी।

अनूप कुमार श्रीवास्तव, डिप्टी आरएमओ – साभार-दैनिक जागरण

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