पढ़िये ऑपइंडिया की ये खास खबर….
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद और सरकार के गठन से कुछ समय पहले तालिबान ने पंजशीर घाटी पर भी कब्जा करने का दावा किया है। हालाँकि, पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और नॉर्दन एलायंस के नेता अहमद मसूद ने तालिबान के दावे को खारिज कर दिया है।
तालिबान के दावे को अहमद मसूद ने साफ नकार दिया है। अहमद मसूद के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया, “पंजशीर पर जीत की खबरें पाकिस्तानी मीडिया में घूम रही हैं। यह एक झूठ है। पंजशीर पर उनकी जीत पंजशीर में मेरा आखिरी दिन होगा, इंशाअल्लाह।”
वहीं अमरुल्लाह सालेह ने भी कहा है कि वे कहीं नहीं भागे हैं। लड़ाई अभी भी जारी है। पिछले कई दिनों से पंजशीर प्रांत में अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। शुरुआती कुछ दिनों तक तालिबान और मसूद के बीच बातचीत का दौर चला, लेकिन कोई भी हल नहीं निकल सका। इसके बाद, तालिबान ने पंजशीर पर कब्जा करने के लिए अपने लड़ाकों को भेज दिया।
काबुल में खुशी जता की फायरिंग
पंजशीर पर तालिबान के कब्जे का दावा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कट्टर संगठन के सूत्रों के हवाले से किया था। तीन तालिबानी सूत्रों ने बताया था कि अब तालिबानियों का पूरे अफगानिस्तान पर कंट्रोल हो गया है, जिसमें पंजशीर भी शामिल है। पंजशीर घाटी में तालिबान और विरोधी गुटों के बीच टकराव जारी था। पंजशीर पर कब्जे के बाद तालिबानी लड़ाकों ने राजधानी काबुल में खुशी जताते हुए आसमान में फायरिंग भी की। तालिबान की हवाई गोलाबारी में बच्चों सहित कई लोग घायल हो गए और कई मारे गए।
तालिबान का दावा- ‘पंजशीर अब कब्जे में’
एक तालिबानी कमांडर ने कहा, ”अल्लाह की कृपा से, पूरा अफगानिस्तान हमारे कंट्रोल में हैं। बाधा पैदा करने वालों को हमने हरा दिया है और पंजशीर अब हमारे कब्जे में है।” हालाँकि, अभी पंजशीर पर तालिबान के कब्जे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन तालिबान ने पंजशीर पर कब्जा करने का दावा किया है। इससे पहले भी तालिबान के लड़ाके कुछ ऐसे दावे करते रहे हैं, जिन्हें अमरुल्ला सालेह ने खारिज किया है। इस बार भी सालेह ने तालिबान के कब्जे के दावे को सिरे से नकार दिया।
पंजशीर पर कब्जे को सालेह ने किया खारिज, बोले- ‘देश छोड़ कर नहीं भागा’
इस बीच, अमरुल्ला सालेह ने शुक्रवार (सितंबर 3, 2021) को दावा किया कि वह देश छोड़कर नहीं भागे हैं और इन रिपोर्ट्स को निराधार बताया। सालेह ने बताया कि वह पंजशीर घाटी में हैं और अपने कमांडरों और राजनीतिक नेताओं के साथ स्थिति का प्रबंधन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को चारों ओर फैलाया जा रहा है कि मैं देश छोड़कर भाग गया हूँ। यह बिल्कुल निराधार है। यह मेरी आवाज है, मैं पंजशीर घाटी से, अपने बेस से बात कर रहा हूँ। मैं अपने कमांडरों और हमारे राजनीतिक नेताओं के साथ हूँ। बेशक, यह एक कठिन स्थिति है। हम पर तालिबान, उनके अल कायदा सहयोगियों, इस क्षेत्र के और उसके बाहर के अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा आक्रमण किया गया है, हमेशा की तरह यह पाकिस्तानियों द्वारा समर्थित है। हमने विरोध किया है। प्रतिरोध आत्मसमर्पण करने वाला नहीं है, आतंकवाद के आगे झुकने वाला नहीं है और यह जारी रहने वाला है। कठिनाइयाँ हैं लेकिन मैं भागा नहीं हूँ और न ही फरार हुआ हूँ।”
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद से ही पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। पिछले दिनों तालिबान ने पाकिस्तान को अपना ‘दूसरा घर’ कहा। वहीं इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री शेख राशिद ने कबूला कि पाकिस्तान तालिबान का संरक्षक है।
हम न्यूज चैनल के कार्यक्रम ‘ब्रेकिंग प्वाइंट विद मलिक’ में राशिद ने कहा था, “हम तालिबान नेताओं के संरक्षक हैं। हमने लंबे समय तक उनकी देखभाल की है। उन्हें पाकिस्तान में पनाह दी, शिक्षा दी और आशियाना दिया। हमने उनके लिए सब कुछ किया है।” इससे पहले भी एक इंटरव्यू के दौरान अमेरिका की निंदा और तालिबान का स्वागत करते हुए मंत्री ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान लंबे समय तक अमेरिकी सेना को अपने यहाँ रखने की इच्छुक नहीं है।
पंजशीर बना तालिबान के लिए बड़ा नासूर
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, तभी से पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाके जुटना शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें सबसे ज्यादा संख्या अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की है। इस गुट का नेतृत्व नॉर्दन एलायंस ने चीफ रहे पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है।
साभार-ऑपइंडिया।
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