Farmers Protest : पंजाब में बेरोजगारी बढ़ाएगी किसानों की जिद, धरना खत्म कराने के प्रशासन के प्रयास नाकाम, जानें क्या हाेगा असर

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Farmers Protest किसानों के अडियल रुख के कारण पंजाब में बेरोजगारी और बढ़ने के आसार है। प्लांट बंद होने से बेरोजगार हुए 400 मुलाजिमों के मसले को बातचीत के माध्यम से हल करने की जिम्मेदारी जिला अधिकारियों को मिली है।

फिरोजपुर। Farmers Protest : किसानों के धरने के कारण फिरोजपुर के गांव वां में बना साइलो का प्लांट बंद हो चुका है और इससे 400 युवा बेरोजगार हो चुके हैं, लेकिन किसान जिद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। फिरोजपुर के डीसी, एडीसी व एसएसपी और किसान नेताओं के बीच छह बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं। किसानों के इस अडियल रुख के कारण इलाके में बेरोजगारी और बढ़ेगी।

प्लांट बंद होने से बेरोजगार हुए 400 मुलाजिमों के मसले को बातचीत के माध्यम से हल करने की जिम्मेदारी जिला अधिकारियों को मिली है। पूर्व डीसी गुरपाल चहल और एसएसपी भगीरथ मीना ने किसानों के साथ चार बैठकें की थी। नए एसएसपी राजपाल सिंह भी कई बार गांव वां जा चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी कोशिश रंग लाएगी।एडीसी फिरोजपुर सुखदीप सिंह ने कहा कि कई बार धरने पर बैठे किसानों से बात हुई, लेकिन अभी नतीजा नहीं निकला। हाई कोर्ट की ओर से निर्देश मिले हैं कि किसानों को राजी किया जाए, ताकि बेरोजगार हुए लोगों का रोजगार बहाल हो सके।

पंजाब की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा

उन्होंने बताया कि बैठकों में अलग-अलग विचारधारा वाले किसान मिले। अगर आंदोलन ऐसे ही चलता रहा को पंजाब की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा। दूसरे राज्यों से आकर कोई भी पंजाब में इंडस्ट्री नहीं लगाएगा। एक इंडस्ट्री आने से कई रोजगार के अवसर खुलते हैं। किसानों से बात जारी रखेंगे। उम्मीद है परिणाम भी निकलेंगे। किसान नेता हरजिंदर सिंह ने कहा कि हम अपनी मांग पर कायम हैं। धरना जारी रहेगा।

शेलर मालिक बोले, बढ़ेगा आर्थिक संकट

करीब 150 से ज्यादा शेलर मालिक इस प्लांट से जुड़े हैं, जो किसानों से सीधे धान खरीद कर प्लांट को देते हैं। उन्हें धान सीजन की चिंता सता रही है। शेलर मालिकों का कहना है कि अगर कोई नतीजा नहीं निकला और साइलो प्लांट शुरू न हुआ तो बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। इसका प्रभाव सभी पर पड़ेगा। पहले शेलर मालिक सैकड़ों गांव में जाकर धान की खरीद करते थे और प्राइवेट मार्केट के अलावा साइलो प्रोजेक्ट को तीन से चार टन बासमती चावल तैयार कर देते थे। फिरोजपुर, फरीदकोट, जलालाबाद, फाजिल्का, गुरुहरसहाय, कपूरथला, तरनतारन और अमृतसर के कई गांवों से धान खरीदा जाता था। इस बार कम ही धान खरीदेंगे, किसानों को बाकी धान मंडियों में ही बेचना होगा।साभार-दैनिक जागरण

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