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मिट्टी के बर्तन बेहद खास होते हैं। पर्यावरण और हेल्थ के लिहाज से इनका इस्तेमाल फायदेमंद होता है। आजकल इनकी डिमांड भी बढ़ी है। बड़े शहरों में भी लोग मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तो शादी और बड़े इवेंट्स में भी मिट्टी के बर्तनों में खाना परोसा जा रहा है। इसी डिमांड को देखते हुए भोपाल में रहने वाले क्षितिज जैन ने 5 साल पहले पढ़ाई के साथ ही मिट्टी से बने बर्तनों की मार्केटिंग शुरू की। अब उनका कारोबार देशभर में फैल गया है। 150 से ज्यादा लोकल कारीगर उनके साथ जुड़े हैं। कोरोना और लॉकडाउन के बाद भी सालाना 10 लाख रुपए उनका टर्नओवर रहा है।
23 साल के क्षितिज ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। जब वे फर्स्ट ईयर में थे, तभी उन्होंने खुद के स्टार्टअप की नींव रखी थी। बाद में पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने पूरी तरह से अपने स्टार्टअप के लिए काम करना शुरू कर दिया।
क्षितिज कहते हैं कि देश में पिछले कुछ सालों में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ी है। कुल्हड़ चाय, कुल्हड़ लस्सी, कुल्हड़ दूध, यहां तक कि अब कुल्हड़ में चाट भी मिलने लगी है। कई लोग तो कुल्हड़ में चाय या लस्सी पीने के लिए दूसरे शहर भी चले जाते हैं। लोग अपने किचन में भी मिट्टी से बने बर्तन रखना पसंद कर रहे हैं। इसी डिमांड को देखते हुए साल 2016 में मैंने तय किया कि इस फील्ड में काम करना चाहिए।
1.5 लाख रुपए की लागत से की स्टार्टअप की शुरुआत
क्षितिज ने पढ़ाई के दौरान ही भोपाल में ‘ट्रेडिशनल हब’ नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। वे मिट्टी से बर्तन बनाने वाले कारीगरों और कुम्हारों से मिले। उनके काम को समझा। फिर उनसे टाइअप किया और सोशल मीडिया के जरिए उनके प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने लगे। पहले वे कुल्हड़ की मार्केटिंग करते थे। बाद में वे मिट्टी के बाकी बर्तनों जैसे कड़ाही, कुकर, थाली भी बेचने लगे। क्षितिज बताते हैं कि तब करीब 1.5 लाख रुपए हमने खर्च किए थे। इसमें से ज्यादातर पैसे मार्केटिंग और मिट्टी के बर्तनों को खरीदने में खर्च हुए थे। हमने वीडियो, फोटो और पोस्टर बनवाने में भी पैसे लगाए थे।
क्षितिज कहते हैं कि शुरुआत में हम लोग ज्यादातर मार्केटिंग सोशल मीडिया और माउथ पब्लिसिटी के जरिए करते थे। जो लोग हमसे मिट्टी के बर्तन की डिमांड करते थे, हम उनके घर वह प्रोडक्ट डिलीवर कर देते थे। करीब सालभर तक ऐसे ही हमारा काम चलता रहा। इसके बाद हमें सरकार के कुछ इवेंट्स में पार्टिसिपेट करने का मौका मिला। कुछ प्रोग्राम हमने स्पॉन्सर भी किए। इसका हमें अच्छा-खासा लाभ हुआ। लोगों को हमारे बारे में जानकारी हुई और हमारी एक पहचान बन गई।
मांग बढ़ी तो देशभर में करने लगे मार्केटिंग
सालभर काम करने के बाद क्षितिज का बिजनेस ठीक-ठाक चलने लगा। इसके बाद उन्होंने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया। वे भोपाल के बाहर भी मार्केटिंग करने लगे। अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो उन्होंने मध्य प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में भी लोकल कारीगरों से टाइअप करना शुरू किया। वे उन कारीगरों से अपनी डिमांड के मुताबिक प्रोडक्ट बनवाने लगे और उसकी मार्केटिंग देशभर में करने लगे। फिलहाल मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में 150 से ज्यादा लोकल कारीगर उनके साथ जुड़े हैं।
कैसे तैयार करते हैं प्रोडक्ट, क्या है बिजनेस मॉडल?
क्षितिज बताते हैं कि हम लोकल कारीगरों से ही अपने ज्यादातर प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं। हम उन्हें पहले ही अपनी डिमांड बता देते हैं, उसके मुताबिक वे प्रोडक्ट तैयार कर देते हैं। इसके बाद हमारी टीम उनकी यूनिट से प्रोडक्ट कलेक्ट कर लेती है। फिर हम उसे अपनी यूनिट में लाते हैं, उसकी क्वालिटी टेस्टिंग करने के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं। इसके अलावा हम अपनी खुद की यूनिट में भी प्रोडक्ट बनवाते हैं।
इसके लिए हम उसी मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं, जो किसानों के फार्म हाउस से निकलती है। इससे बने बर्तन मिट्टी के बाकी बर्तनों के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ होते हैं। हम अपनी यूनिट में फिलहाल कुल्हड़, यूज एंड थ्रो वाले मिट्टी के बर्तन और प्लेट तैयार कर रहे हैं। जबकि दूसरे बर्तन हम आउटसोर्स करते हैं।
मार्केटिंग को लेकर क्षितिज कहते हैं कि कोरोना के बाद हम लोग ज्यादातर बिजनेस ऑनलाइन कर रहे हैं। इसमें सोशल मीडिया और इंडिया मार्ट हमारे लिए सबसे कारगर प्लेटफॉर्म है। हम अपने ज्यादातर प्रोडक्ट इंडिया मार्ट के जरिए बेचते हैं। छोटा ऑर्डर होता है तो हम सीधे कस्टमर तक कूरियर के जरिए प्रोडक्ट भेज देते हैं। अगर ऑर्डर बड़ा होता है, बल्क में होता है तो हम पहले कस्टमर को सैंपल भेजते हैं। सैंपल पसंद आने के बाद ट्रांसपोर्ट के जरिए उसे प्रोडक्ट भेजते हैं। लॉकडाउन से पहले हमारे पास हर दिन 10 से 15 ऑर्डर आ जाते थे। हालांकि अब इसमें थोड़ी कमी आई है।
फिलहाल क्षितिज के साथ 6 लोगों की टीम काम कर रही है। वे लोग मिट्टी से बने लगभग हर तरह के बर्तन और होम डेकोर के आइटम्स की मार्केटिंग कर रहे हैं। इसके साथ ही लोकल कारीगरों के बनाए आर्टवर्क के लिए भी वे काम कर रहे हैं।
अगर आप भी इस तरह के स्टार्टअप की प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह स्टोरी जरूर पढ़िए
जयपुर में रहने वाले अभिनव और मेघा ने एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। 6 महीने पहले शुरू हुआ यह स्टार्टअप भारत के साथ ही विदेशों में भी छोटे कारीगरों के बनाए मिट्टी के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहा है। इसमें किचन से लेकर होम डेकोर के सभी प्रोडक्ट शामिल हैं। इससे इनका बिजनेस भी हो रहा है और कारीगरों की कमाई भी। फिलहाल अभिनव और मेघा हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं। साभार-दैनिक भास्कर
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