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मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान में शिया हज़ारा समुदाय के नरसंहार का दावा किया है.एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि हाल ही में तालिबान ने ग़ज़नी प्रांत में हज़ारा समुदाय के लोगों का क़त्ल किया है.चश्मदीदों ने जुलाई के शुरुआती दिनों में हुए इस क़त्ल-ए-आम के बारे में एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया है.रविवार को राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद से तालिबान ने एक संयमित बर्ताव दिखाने की कोशिश की है.लेकिन एमनेस्टी का कहना है कि ग़ज़नी प्रांत में हुई ये घटना तालिबान के शासन का ख़तरनाक संकेत है.हज़ारा अफ़ग़ानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े नस्लीय समूह हैं. हज़ारा शिया इस्लाम को मानते हैं और सुन्नी बहुल अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में उनका दशकों से शोषण होता रहा है.गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट में एमनेस्टी ने कहा है कि ग़ज़नी प्रांत के मालिस्तान में 4 से 6 जुलाई के बीच 9 हज़ारा पुरुषों की हत्या की गई.एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इन हत्याओं के बाद चश्मदीदों के साक्षात्कार किए और घटना की तस्वीरें देखीं.
लोगों को तड़पा-तड़पा कर मारा गांववालों का कहना है कि सरकारी बलों और तालिबान के बीच लड़ाई भीषण हो जाने के बाद वो पहाड़ों की तरफ़ चले गए थे.जब वो खाने-पीने का सामान लेने के लिए अपने घरों की तरफ़ लौटे तो तालिबान वहां पहले से ही इंतेज़ार कर रहे थे. तालिबान ने उनके घरों को लूट लिया था.ये मालिस्तान के मुंदरख़्त गांव की घटना है. इसके अलावा मुंदरख़्त आने की कोशिश कर रहे कुछ पुरुषों को रास्ते में तालिबान ने घेर लिया.छह पुरुषों की हत्या सिर में गोली मारकर की गई जबकि तीन को तड़पा-तड़पा कर मारा गया.एक चश्मदीद के मुताबिक एक व्यक्ति की हत्या उसके रूमाल से गला घोंटकर की गई. उसकी बांह की चमड़ी भी उधेड़ दी गई थी. एक अन्य व्यक्ति के जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे.
एक चश्मदीद ने बताया कि जब उन्होंने तालिबान से पूछा कि उनके लोगों पर इतना ज़ुल्म क्यों किया गया तो एक लड़ाके ने कहा, ‘जब युद्ध चल रहा हो तो सब मारे जाते हैं, इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता कि तुम्हारे पास बंदूक है या नहीं. ये युद्ध का समय है.’एमनेस्टी के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, ”ये बर्बर हत्याएं तालिबान के पुराने रिकॉर्ड का सबूत हैं. इनसे ये डरावना संकेत भी मिल सकता है कि तालिबान अपने शासन में क्या-क्या कर सकते हैं.”उन्होंने कहा, ”निशाना बनाकर की गई ये हत्याएं इस बात का सबूत हैं कि तालिबान के शासन में अफ़ग़ानिस्तान में नस्लीय अल्पसंख्यकों पर क्या-क्या ज़ुल्म हो सकते हैं.” एमनेस्टी का दावा है कि तालिबान के नियंत्रण वाले बहुत से इलाक़ों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है और इसी वजह से इन हत्याओं के बारे में जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सकी थी.
संयुक्त राष्ट्र से जांच की मांग
एमनेस्टी ने संयुक्त राष्ट्र से इन घटनाओं की जांच करने के लिए और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है.2001 में अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था. उस दौर में तालिबान अपने क्रूर शासन के लिए कुख्यात थे. उन्होंने महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का खुला उल्लंघन किया था.वहीं, काबुल पर नियंत्रण लेने के बाद एक प्रेस वार्ता में तालिबान ने वादा किया है कि सभी के हितों और अधिकारों की रक्षा की जाएगी. तालिबान ने ये भी कहा कि उसने सभी को माफ़ कर दिया है और किसी से बदला नहीं लिया जाएगा.लेकिन, इसी बीच संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी की है कि तालिबान घर-घर की तलाशी लेकर उन लोगों की धरपकड़ कर रहे हैं जिन्होंने नेटो या अमेरीकी बलों के साथ काम किया था.
साभार-बीबीसी हिन्दी।
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