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आज़ादी का जश्न (75th Independence Day) मनाने के लिए राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) फहराने से पहले ये जानना बहुत ज़रूरी है कि इसे फहराने (National Flag Hoisting) के नियम-कानून क्या हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति में ध्वज का अपमान न हों.
देश आज आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ (75th Independence Day) मना रहा है. इस मौके पर देश में लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा झंडा (National Flag Hoisting) फहराया जाता है. इसके अलावा भी देश के तमाम सरकारी प्रतिष्ठानों , निजी दफ्तरों और घरों में भी लोग तिरंगा झंडा (National Flag) फहराकर स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाते हैं. ऐसे में ये भी जानना ज़रूरी है कि आखिर राष्ट्रीय ध्वज को फहराने से जुड़े हुए नियम-कानून (National Flag Hoisting Rules) क्या हैं? इन नियमों का पालन बेहद आवश्यक होता है, अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता तो इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है. इसके बदले जेल की सज़ा का भी प्रावधान (Constitution) संविधान में किया गया है.
इंडियन फ्लैग कोड को 26 जनवरी, 2002 को संशोधित किया गया था. जिसके बाद नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने को लेकर सबसे बड़ी सहूलियत ये दी गई कि वे अपने घरों, कार्यालयों और दफ्तरों पर भी तिरंगा फहरा सकते हैं. हालांकि इस छूट के साथ ही कुछ सख्त नियम भी बनाए गए, ताकि ध्वज के अपमान की स्थिति न बने. मसलन तिरंगा झंडे का कपड़ा कौन सा हो? इसका आकार, लंबाई, चौड़ाई कितनी हो और किस परिस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा सकता है?
तिरंगे (National Flag) जुड़ीं दिलचस्प बातें
भारत के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) के तौर पर तिरंगा झंडा स्वतंत्रता दिवस से पहले ही चयनित कर लिया गया था. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे झंडे को अनुमति दी गई थी. इस दिन संविधान में लिखित तौर पर तय किया गया कि तिरंगा हमारा झंडा होगा. तिरंगे झंडे का डिज़ाइन पिंगली वेंकैया ने तैयार किया. इसकी लंबाई चौड़ाई का रेशियो 3 : 2 रहता है. अशोक चक्र में मौजूद 24 तीलियां 24 घंटे के विकास को दर्शाती हैं. ये दिखाता है कि हम विकास के लिए अथक परिश्रम करते हैं. ध्वज का हरा संपन्नता को दिखाता है जबकि केसरिया रंग बलिदान और कुर्बानी को दर्शाता है. जर्मनी के सर स्टुगर्ट में साल 1907 में मैडम भीखाजी कामा ने पहली बार विदेश में तिरंगा झंडा लहराया.
राष्ट्रीय ध्वज फहराने से जुड़े नियम जानना है ज़रूरी
तिरंगा झंडे से जुड़े हुए नियम-कानून काफी सख्त हैं. इनका पालन न करने पर संविधान में सज़ा का भी प्रावधान है-
सूर्य निकलने से पहले अंधेरे में झंडा फहराया नहीं जाता है. हमेशा सूर्य की रोशनी में झंडा फहराया जाना चाहिए.
सूर्यास्त के बाद झंडे को उतार लिया जाता है. आंदोलन में झंडा लेकर जाते समय दाहिना हाथ ऊपर होगा और बायां हाथ नीचे होगा.
आंदोलन के वक्त गाड़ी पर सबसे ऊपर लगाया जाएगा. अगर थक जाएं तो झंडे को दाहिने कंधे पर रखा जाता है और वो शख्स सबसे आगे रहेगा.
भारत में कोई भी झंडा आप लगाना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय ध्वज के नीचे ही रहेगा.
कई देशों के झंडे एक साथ लगेंगे तो हमेशा दूसरे देश के झंडे के बराबरी पर लगाते वक्त अपना ध्वज दाहिनी ओर लगाया जाएगा.
झंडा कभी भी ज़मीन में स्पर्श नहीं होना चाहिए. कभी भी मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए. जब देश पर बुरा संकट आ जाता है तो ध्वज को उल्टा लहराया जाता है.
दो झंडे तिरछे टेबल पर लगाए जाएं तो ठीक है, लेकिन राष्ट्रीय शोक के वक्त ध्वज को झुकाया जाता है. देश पर बुरा संकट आने की परिस्थिति झंडे को उल्टा कर दिया जाता है.
झंडे को किसी तरह का भी नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है. ध्वज के किसी भी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने या अपमान करने पर जेल हो सकती है. साभार- न्यूज़18
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