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देश के 28 में से 15 राज्यों ने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का आंकड़ा केंद्र सरकार को भेज दिया है। इनमें से 10 नाम सामने आए हैं- छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और पंजाब।
इन सभी राज्यों ने कहा कि उनके यहां एक भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। सिर्फ पंजाब ने कहा- उसके यहां 4 मौतों की जांच चल रही है, लेकिन वो ऑक्सीजन की कमी से हुई हैं, अभी इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता।
20 जुलाई को राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने सरकार से सवाल पूछा था कि क्या ये सच है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई? इस सवाल पर जमकर हंगामा हुआ।
बाद में सरकार की ओर से स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने लिखित जवाब में कहा कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। उनकी ओर से कोरोना से हुई मौत की सूचना दी जाती है, लेकिन इसमें ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मौत की सूचना नहीं है।
इसके बाद उन्होंने सभी 28 राज्यों को एक पत्र लिखा और 13 अगस्त तक अपने-अपने यहां से मौतों के आंकड़े भेजने को कहा। 13 अगस्त की रात 12 बजे तक भास्कर ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रालयों से संपर्क किया और पूछा कि कितनी मौतें हुईं? इसके जो जवाब मिले, हम ज्यों का त्यों रख रहे हैं-
मध्य प्रदेशः जो हुआ सबको पता है, कुछ छिपा नहीं है
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इसमें कुछ छिपा नहीं है। सभी को सबकुछ पता है। प्रभुराम चौधरी ने मानसून सत्र में विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मृत्यु नहीं हुई।
छत्तीसगढ़ः दूसरे प्रदेश के लिए ऑक्सीजन भेजा है
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र को रिपोर्ट देकर कहा है कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। यह सच है कि यहां से भिलाई स्टील प्लांट, जिंदल के जरिए दूसरे प्रदेश के लिए ऑक्सीजन भेजा गया।
गुजरातः पूरे राज्य में एक भी शख्स ऑक्सीजन की कमी से नहीं मरा
इस मामले में खुद मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने बयान दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके राज्य में किसी भी शख्स की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई।
दिल्लीः जांच तो करने दीजिए, हम कमेटी बनाते हैं, LG भंग कर देते हैं
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत नहीं हुई, लेकिन संख्या कैसे बताएं। पहले जांच करानी होगी। हमने समिति बनाई थी, लेकिन LG साहब ने भंग कर दी। हम जांच समिति बनाने के लिए दोबारा LG साहब के पास फाइल भेज रहे हैं और आप LG साहब को कह दीजिए कि इस कमेटी को भंग न करें।
महाराष्ट्रः ये सब मत पूछिए, केंद्र सरकार बता देगी
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से फोन पर पूछे जाने पर कहा गया कि ये सब मत पूछिए। जो आंकड़ा भेजना है वो केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। केंद्र सरकार खुद ही बता देगी। वो बताने के लिए ही तो मांग रही है।
इनके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल और हरियाणा की ओर से हमें कोई जवाब नहीं मिला।
तो सच क्या है? क्या देश में वाकई ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई? ये 3 ऑफिशियल मामले पढ़िए और 3 तस्वीरें देखिए-
पहला मामला: 1 मई, दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो गई है। हॉस्पिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुधांशु बनकटा ने कोर्ट में कहा कि उनके यहां ऑक्सीजन खत्म हो गई थी। समय पर नई सप्लाई नहीं मिलने से मरीजों की जान चली गई।
दूसरा मामला: 1 मई, दिल्ली के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल ने हाईकोर्ट में बताया कि 24 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से उनके अस्पताल में 25 लोगों की मौत हो गई।
‘मेरी मां रिकवर हो रही थी। हॉस्पिटल ने दवाओं समेत जो-जो कहा हमने सब इंतजाम किया। अस्पताल का काम सिर्फ दवाएं और ऑक्सीजन देना था, लेकिन वो ये भी नहीं कर सके।’ जगज्योत सिंह ये बोलते हुए भावुक हो रहे थे। उनकी मां सरबजीत कौर उन 25 लोगों में शामिल थीं, जिनकी मौत 24 अप्रैल की रात दिल्ली के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से हुई थी।
तीसरा मामला: 21 जुलाई, कर्नाटक हाईकोर्ट की बनाई एक कमेटी ने पाया कि दूसरी लहर के दौरान चामराजनगर के जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 36 लोगों की मौत हो गई। हालांकि उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वथनारायण ने इस रिपोर्ट के आंकड़ों को सही मानने से इंकार किया और कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई।
कोरोना संक्रमित पति की सांसे उखड़ने लगीं तो पत्नी अपने मुंह से CPR देने लगी, लेकिन फिर भी जान नहीं बचा सकी। मामला आगरा का है। इससे पहले महिला अपने पति को लेकर चार अस्पतालों के चक्कर लगा चुकी थी।
ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार के बीच श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा ने खालसा हेल्प इंटरनेशनल के साथ मिलकर ऑक्सीजन लंगर शुरू किया था। ये 24 अप्रैल को गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके की तस्वीर है।
स्टडी में दावा- 6 अप्रैल से 19 मई के बीच ऑक्सीजन की कमी से 629 मौतें
रिसर्चर्स, वकील और स्टूडेंट्स के एक इंडिपेंडेंट ग्रुप ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का रिकॉर्ड रखने की कोशिश की है। उन्होंने न्यूज रिपोर्ट्स, जांच पैनल और अस्पतालों के बयान के आधार पर एक डेटाबेस तैयार किया है।
डेटाबेस के मुताबिक इस साल 6 अप्रैल से 19 मई के बीच, यानी 43 दिनों में देश के 110 अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से 629 मरीजों की मौत हुई है। इस आंकड़े में वो मरीज शामिल नहीं हैं, जो घर पर क्वारैंटाइन थे, अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया था या ऑक्सीजन की कमी की वजह से डिस्चार्ज कर दिए गए थे।
डेटाबेस के मुताबिक 23 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से सबसे ज्यादा 60 मौतें हुईं। इसमें दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों सर गंगाराम और जयपुर गोल्डेन में 46 मौतें रिपोर्ट हुई थीं। अस्पतालों के बयान के बावजूद अधिकारियों ने ऑक्सीजन की कमी से मौत होने की बात को सही मानने से इंकार कर दिया।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कैसी मारा-मारी थी, इन 2 बातों से समझिए…
1. हाईकोर्ट को कहना पड़ा- पानी सिर के ऊपर जा चुका है
2 मई को दिल्ली के सीताराम भारतीय अस्पताल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अस्पताल ने बताया कि उनके यहां 42 कोरोना मरीज हैं और सिर्फ 30 मिनट की ऑक्सीजन बची है। नई सप्लाई कहीं से मिलती नहीं दिख रही है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फौरन ऑक्सीजन का इंतजाम करने का आदेश दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट में विपिन सांघी और रेखा पल्ली की बेंच ऐसे मामलों की सुनवाई कर रही थी। लगातार ऑक्सीजन की कमी के बीच जस्टिस सांघी ने अधिकारियों से कहा था कि पानी सिर के ऊपर जा चुका है। अप्रैल में भी एक सुनवाई के दौरान जस्टिस सांघी ने अधिकारियों से कहा था कि चाहे मागो, उधार लो, चोरी करो या इम्पोर्ट करो, शहर के ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करो।
2. PM मोदी ने की दो बड़ी बैठकें और सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट
PM नरेंद्र मोदी ने 16 अप्रैल और 22 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी को लेकर दो बैठकें की। इसमें सभी विभागों के अधिकारियों को सप्लाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट में बताया कि ऑक्सीजन की डिमांड को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें ऑक्सीजन टैंकर्स की संख्या बढ़ाना, इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, मेडिकल ऑक्सीजन का इम्पोर्ट करना, सिलेंडर की उपलब्धता बढ़ाना, एयर और रेल ट्रैवल जैसी बातें शामिल थीं। साभार-दैनिक भास्कर
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