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इस आदेश के बाद जीडीए को करीब 250 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा। वहीं बायर्स को इसका फायदा मिलेगा। सेस हटने से राजनगर एक्सटेंशन की प्रॉपर्टी सस्ती हो जाएगी।
गाजियाबाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे गाजियाबाद डिवेलपमेंट अथॉरिटी (जीडीए) को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने जीडीए की ओर से राजनगर एक्सटेंशन में एलिवेटेड रोड और मेट्रो सेस लगाने को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही जीडीए के इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए इसे रद्द किया है।
बताया जा रहा है कि इस आदेश के बाद जीडीए को करीब 250 करोड़ से अधिक का नुकसान होगा। वहीं बायर्स को इसका फायदा मिलेगा। सेस हटने से राजनगर एक्सटेंशन की प्रॉपर्टी सस्ती हो जाएगी।
बिल्डर के पैसे करने पड़ेंगे वापस
क्रेडाई के पदाधिकारियों ने बताया कि नक्शा पास करने के नाम पर जीडीए ने एफएआर बेचकर और एलिवेटेड रोड और मेट्रो सेस लगाकर बिल्डर से करीब 100 करोड़ रुपये जमा करवाए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह रकम जीडीए को वापस करना पड़ेगा। साथ ही जिन लोगों ने अभी पैसे नहीं दिए हैं उनसे मिलने वाले 150 करोड़ रुपये का नुकसान होने की भी आशंका जताई जा रही है।
यह है मामला
जीडीए और राजनगर एक्सटेंशन के बिल्डरों के बीच मेट्रो और एलिवेटेड रोड सेस को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। दरअसल जीडीए की ओर से मेट्रो सेस और एलिवेटेड रोड सेस लागू करने के बाद से ही बिल्डर इसका विरोध कर रहे हैं। बिल्डरों का तर्क है कि जीडीए शासनादेश के विपरीत जाकर यहां सेस ले रहा है। यही नहीं जीडीए की ओर से एफएआर भी शासनादेश के खिलाफ लिया जा रहा है।
दूसरी ओर जीडीए का कहना है कि शासनादेश जारी होने से पहले ही राजनगर एक्सटेंशन के अधिकतर बिल्डर के ग्रुप हाउसिंग के नक्शे पास हो गए थे। इस शासनादेश को जीडीए ने अपनी बोर्ड बैठक में अडॉप्ट भी नहीं किया था। विवाद चलने के बाद क्रेडाई ने हाई कोर्ट में जीडीए के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने फरवरी 2020 में जीडीए के इस फैसले को गलत बताते हुए खारिज कर दिया था। इस आदेश के बाद जीडीए ने हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
नहीं पहुंचा कोई वकील
जीडीए की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर पिछले दिनों सुनवाई हुई। पर हैरानी की बात ये है कि इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के बारे में जीडीए के अधिकारियों को पता ही नहीं चल सका। जीडीए की तरफ से कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोई वकील पेश ही नहीं हो सका। इसकी वजह से इस याचिका को खारिज किया गया है। अब जीडीए इस फैसले को लेकर कोर्ट में दोबारा से सुनवाई के लिए अपील करेगा।
वहीं इन सबके बीच इस फैसले का फायदा सीधे बिल्डर को मिलेगा। साथ ही नए खरीदारों को भी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। क्रेडाई के पदाधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट ने मेट्रो सेस, एलिवेटेड रोड सेस और 1.5 से 2.5 फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को भी गैरकानूनी बताया है। क्रेडाई गाजियाबाद के प्रेजिडेंट गौरव गुप्ता का कहना है कि जीडीए जबरन तरह-तरह के सेस और शासनादेश के खिलाफ एफएआर बेच रहा है। जिसके विरोध में हमने कोर्ट में केस किया था। जिसमें हमारे पक्ष में फैसला हुआ है। अब राजनगर एक्सटेंशन में विकास का रास्ता खुल जाएगा।
जीडीए के पास क्या है विकल्प
जीडीए अभी इस मामले में दोबारा सुनवाई करने की अपील हाई कोर्ट में दायर करेगा। यदि वहां मामला खारिज होता है तो जीडीए सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर एसएलपी दायर करेगा। फिलहाल जीडीए ने इस दिशा में तैयारी भी शुरू कर दी है।
पब्लिक को भी मिलेगा फायदा
बिल्डर का कहना है कि हाई कोर्ट की तरफ से जो राहत दी गई है। इससे फ्लैट की कीमत कम होने की संभावना है। भविष्य में बिकने वाले फ्लैट में सेस और खरीदे गए एफएआर की कीमत घट जाएगी। इससे फ्लैट के दाम को कम करने में मदद मिलेगी। 10 से 15 फीसदी कीमत में असर पड़ सकता है। यही नहीं यदि बिल्डर को आर्थिक फायदा होता है तो धन के अभाव के कारण जिन सोसायटी में रेजिडेंट्स को मिलने वाली सुविधाएं जैसे स्वीमिंग पुल या गेस्ट हाउस व अन्य काम रुके हुए हैं, उन्हें भी कराया जाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले को चेक करवा रहे हैं कि सुनवाई की सूचना जीडीए और संबंधित वकील तक आई थी या नहीं। यदि नहीं आई होगी तो हम दोबारा सुनवाई के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। यदि आई होगी, लेकिन फिर भी कोई पेश नहीं हुआ तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के साथ दोबारा सुनवाई के लिए याचिका दाखिल की जाएगी।
-सीपी त्रिपाठी, अपर सचिव, जीडीए- साभार-नवभारत टाइम्स
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