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अब विदेशी नागरिक भी CoWIN पर पंजीकरण के लिए अपने पासपोर्ट का इस्तेमाल आईडी के रूप में कर सकते हैं। पोर्टल पर पंजीकरण के बाद उन्हें टीकाकरण के लिए स्लॉट मुहैया करा दिया जाएगा। पढें यह रिपोर्ट …
नई दिल्ली, जेएनएन/एजेंसी। अब भारत में रहने वाले विदेशी भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह फैसला किया। विदेशी नागरिकों को आधार नंबर की जगह अपने पासपोर्ट को पहचान पत्र के रूप में पेश करना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विदेशी नागरिकों को भी वैक्सीन लेने के पहले कोविन प्लेटफार्म पर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के लिए उन्हें पासपोर्ट नंबर देना होगा। इसके बाद उन्हें टीकाकरण केंद्र और समय मिल जाएगा।
इसलिए उठाया कदम
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक रहते हैं और उनमें अधिकांशत: बड़े शहरों में केंद्रित हैं। बड़े शहरों में जनसंख्या के अधिक घनत्व को देखते हुए संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका बनी रहती है, जैसा कि पहली और दूसरी लहर में देखने को मिला। ऐसे में वैक्सीन नहीं लेने वाले लोग पर न सिर्फ संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा, बल्कि आगे वे संक्रमण फैलाने का काम भी कर सकते हैं।
कारगर हथियार सबको वैक्सीन लगाना
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर को रोकने का सबसे कारगर हथियार सबको वैक्सीन लगाना है और इसके लिए 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। जाहिर है विदेशी नागरिकों को वैक्सीन नहीं लगने से तीसरी लहर का खतरा बढ़ने की आशंका है।
बूस्टर डोज पर कोई सिफारिश नहीं
वहीं सरकार ने राज्यसभा में बताया कि सैन्य बलों के लगभग सभी कर्मियों को कोविड रोधी टीका लगाया जा चुका है। राज्यसभा में एक लिखित जवाब में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि महामारी से सेना के 42,950 कर्मचारी, नौ सेना के 6808 और वायु सेना के 14,604 कर्मी संक्रमित हुए थे। सरकार का यह भी कहना है कि बूस्टर डोज के बारे में ना तो राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह और ना ही डब्ल्यूएचओ की ओर से कोई सिफारिश की गई है।
एक और वैक्सीन मिलने की उम्मीद
इस बीच समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश को इस हफ्ते कोरोना रोधी छठी वैक्सीन मिलने की उम्मीद है। भारत के दवा नियामक (डीसीजीआइ) से इस हफ्ते जायडस कैडिला की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। कंपनी ने इस मंजूरी के लिए पिछले महीने आवेदन किया था। यह तीन डोज की वैक्सीन है।
जायडस कैडिला ने 50 केंद्रों पर किया है ट्रायल
अहमदाबाद स्थित दवा कंपनी जायडस कैडिला ने इस वैक्सीन के लिए देश में सबसे ज्यादा 50 केंद्रों पर परीक्षण किया है। इस वैक्सीन का 12-18 आयुवर्ग के किशोरों पर भी ट्रायल किया गया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पहले वयस्कों के लिए वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पिछले हफ्ते राज्यसभा को बताया था कि सरकार को उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर तक देश को चार और कोरोना रोधी वैक्सीन मिल जाएंगी। इनमें जायडस कैडिला की वैक्सीन भी शामिल है।
हर साल 10-12 करोड़ डोज बनाएगी जायडस कैडिला
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने यह भी कहा था कि जायडस कैडिला की वैक्सीन को जल्द ही दवा नियामक से मंजूरी मिल जाएगी। जायडस ने जायकोव-डी ब्रांड नाम से कोरोना रोधी वैक्सीन तैयार की है। डीसीजीआइ ने पिछले हफ्ते उससे वैक्सीन को लेकर कुछ और आंकड़े मांगे थे। मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने हर साल 10-12 करोड़ डोज का उत्पादन करने की योजना तैयार की है। इससे पहले प्रेस कांफ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वीके पाल ने कहा कि डीसीजीआइ कैडिला की बच्चों के लिए वैक्सीन की समीक्षा कर रही है।
अब तक पांच वैक्सीन को मिल चुकी है मंजूरी
अगर जायकोव-डी को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाती है तो देश में यह मंजूरी पाने वाली छठी वैक्सीन होगी। इससे पहले कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-वी, माडर्ना और जानसन एंड जानसन की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। जानसन एंड जानसन की वैक्सीन सिंगल डोज की है। वहीं कैडिला हेल्थकेयर के प्रबंधन निदेशक डा. सर्विल पटेल का कहना है कि मानव पर इस्तेमाल के लिए जायकोव-डी पहली प्लासमिड डीएनए आधारित वैक्सीन है। कोरोना के खिलाफ सुरक्षा और प्रभाव के मामले में इसे कारगर पाया गया है। साभार-दैनिक जागरण
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