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लखनऊ में हुई जांच में ऐसी 29 महिलाओं को पति के निधन पर पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30 हजार की मदद की गई। जांच में पाया गया कि 21 महिलाओं के पति अभी जिंदा हैं तो आठ का निधन एक दशक से अधिक समय पहले हो चुका है।
लखनऊ। केस-एक : सरोजनीनगर के ग्राम बंथरा निवासी सुनीता के पति शंकर अभी जीवित हैं। 19 अप्रैल 2019 को शंकर को मृत दिखाकर पारिवारिक लाभ के तहत समाज कल्याण विभाग ने पत्नी सुनीता के खाते में पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30 हजार रुपये खाते में भेज दिया। जांच में पाया गया कि वह जिंदा हैं। विभाग के कर्मचारियों और तहसील के बाबुओं की मिलीभगत से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर लाभ ले लिया गया।
केस-दो : सरोजनीनगर के ग्राम बंथरा के ही सत्य प्रकाश की पत्नी के खाते में मृतक पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30 हजार रुपये भेजे गए। पारिवारिक लाभ योजना के तहत मिली रकम के लिए जीवित सत्य प्रकाश का भी निधन 13 मार्च 2019 को दिखाया गया। जीवित सत्य प्रकाश ने बताया कि विभाग के कर्मचारी आए थे। आवेदन भरा ले गए। 15 हजार रुपये देना पड़ा था। पैसा खाते में आ गया। मुझे पता ही नहीं कि रकम क्यों दी जाती है।
अकेले ये दो मामले पूरी आनलाइन पारदर्शी व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से यह घोटाला सामने आया है। लखनऊ के एक ब्लॉक में हुई जांच में ऐेसी 29 महिलाओं को पति के निधन पर पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30 हजार की मदद की गई। जांच में पाया गया कि 21 महिलाओं के पति अभी जिंदा हैं तो आठ का निधन एक दशक से अधिक समय पहले हो चुका है। दो मामले सरोजनीनगर के गांव चंद्रावल हैं शेष एक ही गांव बंथरा के हैं।
दोषी पर होगी कड़ी कार्रवाई : उप निदेशक समाज कल्याण श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोगों को 30 हजार रुपये की एक मुश्त सहायता तब दी जाती है जब परिवार के मुखिया का निधन हो जाता है। मुखिया की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए। सरोजनीनगर में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। जांच की जा रही है। जो भी दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी। गड़बड़ी पर रकम भी वापस ली जाएगी।
शिकायतकर्ता पर कार्रवाई की धमकी : समाज कल्याण सुपरवाइजर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्रीश चंद्र का आरोप है कि विभागीय सुपरवाइजर की जांच में ही यह मामला प्रकाश में आया है और अब उसी के विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। लखनऊ ही नहीं मुख्यमंत्री के जिले गोरखपुर व वाराणसी में भी गड़बड़ी सामने आई है। संघ मांग करता है कि सभी जिलों में जांच होनी चाहिए। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज गया है।
पहले भी हो चुका है घोटाला : समाज कल्याण विभाग में घोटाला कोई नई बात नहीं है। पहले भी शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर घोटाला हो चुका है। शुल्क प्रतिपूर्ति में 2010-11 और 2012-2014 के बीच लखनऊ समेत सूबे में करोड़ों का शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला हुआ था। सूबे के कई अधिकारियों को घोटाले के आरोप में जेल जाना पड़ा था। लखनऊ में शुल्क प्रतिपूर्ति के घोटाले में बाबू का नाम आया था। 26 मार्च 2013 में जांच के आदेश के साथ ही 10 दिसंबर 2013 को विशेष ऑडिट में घोर अनियमितता मिली थी। निदेशालय की ओर से हुई जांच में 13 जनवरी 2014 को बाबू दोषी पाया गया। तत्कालीन वित्त नियंत्रक ने पांच जून 2014 को अपने आदेश में कार्रवाई की बात कही थी। खुद की गर्दन फंसता देख अधिकारी मामले को दबाए हुए थे। एक बार फिर प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने उप निदेशक समाज कल्याण श्रीनिवास द्विवेदी को जांच करके रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। हालांकि जांच अभी पूरी नहीं हुई थी कि नया मामला सामने आ गया है। साभार-दैनिक जागरण
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