पढ़िये दैनिक भास्कर की ये खास खबर….
कर्नाटक में लीडरशिप चेंज को लेकर अटकलों का बाजार एक बार फिर गर्म है। राज्य में अब दलित वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा जोरों पर हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि आज शाम तक भाजपा आलाकमान इस पर फैसला कर सकती है। इस बीच मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा ने एक बड़ा बयान दिया है। येदयुरप्पा ने कहा कि हाईकमान से मुझे शाम तक सुझाव मिलने की उम्मीद है। हाईकमान ही इस बारे में तय करेगा। आपको भी उनके फैसले के बारे में पता चल जाएगा। मुझे इसकी चिंता नहीं है।
26 जुलाई के बाद आलाकमान करेगा फैसला
पिछले कई हफ्तों से येदियुरप्पा को पद से हटाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इन सभी के बीच उन्होंने 22 जुलाई को कहा था कि उन्हें अब तक इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया है। यहां हमारी सरकार के दो साल पूरे होने पर 26 जुलाई को एक कार्यक्रम है। इसके बाद जो भी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तय करेंगे, मैं उसका पालन करूंगा।
16 जुलाई को अचानक PM मोदी से मिलने पहुंचे थे
इससे पहले येदियुरप्पा ने 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अचानक हुई इस मुलाकात ने येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दे दी थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलें क्यों?
- येदियुरप्पा की उम्र और खराब सेहत
- कर्नाटक के उभरते हुए नेता और पुराने संघी बी एल संतोष की येदियुरप्पा को लेकर नाराजगी
- येदियुरप्पा के कैम्प में सक्रिय सांसद शोभा करंदलाजे का मोदी कैबिनेट में शामिल होना
बंगाल के राज्यपाल पद का ऑफर ठुकराया
सूत्रों की माने, तो येदियुरप्पा को पश्चिम बंगाल में गवर्नर का पद भी ऑफर किया गया, लेकिन येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री मोदी से साफ कहा कि आप चाहें तो इस्तीफा ले लें, लेकिन पश्चिम बंगाल में गवर्नर का पद स्वीकार्य नहीं है। दरअसल, येदियुरप्पा कर्नाटक की राजनीति से तब तक रिटायरमेंट नहीं चाहते, जब तक वे अपने बेटे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित न करवा लें।
क्या भाजपा के पास कर्नाटक में येदियुरप्पा का विकल्प नहीं?
- कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। सवाल ये है कि मार्गदर्शक की उम्र में येदि को भाजपा CM क्यों बनाए हुए है? दरअसल, 78 वर्षीय येदियुरप्पा का विकल्प फिलहाल भाजपा के पास मौजूद नहीं है।
- येदि लिंगायत जाति के कद्दावर नेता हैं। वे कर्नाटक की राजनीति के धुरंधर हैं। फिलहाल उनके कद का नेता कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के पास भी नहीं है।
- लिहाजा अगर भाजपा उन्हें पद से हटाकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाती है तो भी येदियुरप्पा के समर्थन की जरूरत होगी।
- अगर येदियुरप्पा भाजपा से कन्नी काटते हैं, तो राज्य में इसका नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
येदियुरप्पा पहले दिखा चुके हैं अपनी राजनीतिक हैसियत
येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। दरअसल, येदियुरप्पा के इस कदम के पीछे लोकायुक्त द्वारा अवैध खनन मामले की जांच थी। इसी जांच में येदियुरप्पा का नाम सामने आया था। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था। 2014 में येदियुरप्पा फिर भाजपा में शामिल हो गए।
इसके बाद 2018 में कर्नाटक में सियासी नाटक के दौरान पहले ढाई दिन के लिए मुख्यमंत्री बने और इमोशनल स्पीच के बाद सत्ता छोड़ दी। फिर दोबारा 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया ने भी आलाकमान के सामने येदियुरप्पा का कद बढ़ा दिया था।
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स मेंलिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें। हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post