Delhi-NCR Weather Report: मानसून के देर से आने और उसके प्रदर्शन को लेकर स्काईमेट वेदर का कहना है कि जून का महीना कभी भी स्थिर प्रदर्शन करने वाला नहीं रहा है और बड़ी परिवर्तनशीलता वाला रहा है. जून का महीना कभी भी मानसून के मौसम का एक विवेकपूर्ण संकेतक भी नहीं रहा है.
नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) क्षेत्र में अभी मानसून (Monsoon) आने में और वक्त लगने की संभावना जताई गई है. दिल्ली, हरियाणा, वेस्टर्न यूपी के कुछ हिस्सों, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान आदि में मानसून के संभवत: 10 व 11 जुलाई के आसपास आने का पूर्वानुमान लगाया गया है. साथ ही भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह भी संभावना जताई है कि जुलाई माह में पूरे देश में अच्छी बारिश होने का अनुमान है.
मौसम विभाग का कहना है कि भारत की मानसून प्रणाली पर प्रशांत और हिंद महासागर के सतह के तापमान का असर होता है. इसलिए आईएमडी ध्यान पूर्वक इसमें होने वाले बदलावों पर नजर भी रख रहा है. मौसम विभाग के दूसरे हिस्से (जोकि अगस्त और सितंबर होते हैं) के लिए भी बारिश का पूर्वानुमान जुलाई के अंत में या अगस्त की शुरुआत में जारी किया जाएगा.
मौसम विभाग का यह भी कहना है कि इस सप्ताह के अंत तक मानसून के धीरे-धीरे फिर से शुरू होने की संभावना है. नवीनतम संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के 8 जुलाई से पश्चिमी तट और उससे सटे पूर्वी मध्य भारत सहित दक्षिण प्रायद्वीप में धीरे-धीरे पुनर्जीवित होने की संभावना है. आगामी 8 जुलाई से बंगाल की खाड़ी से निचले स्तर पर नम पूर्वी हवाओं के पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में धीरे-धीरे स्थापित होने की संभावना है.
वहीं, 10 जुलाई तक पंजाब और उत्तरी हरियाणा को कवर करते हुए उत्तर पश्चिम भारत को कवर करने की संभावना है. वहीं, दक्षिण पश्चिम मानसून के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों के साथ-साथ पंजाब हरियाणा और राजस्थान के कुछ और हिस्सों के अलावा दिल्ली में भी 10 जुलाई के आसपास इसके आगे बढ़ने की प्रबल संभावना है. 10 जुलाई से उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में वर्षा होने का पूर्वानुमान लगाया गया है.
इस बीच देखा जाए तो दिल्ली अभी उमस और गर्मी का दंश झेल रही है. दिल्ली में 39 से 43 डिग्री तक तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है. वहीं, मौसम विभाग के पूर्वानुमान के बाद यह साफ हो गया है कि दिल्ली को अभी तीन-चार दिन तक गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.
मानसून के देर से आने और उसके प्रदर्शन को लेकर स्काईमेट वेदर का कहना है कि जून का महीना कभी भी स्थिर प्रदर्शन करने वाला नहीं रहा है और बड़ी परिवर्तनशीलता वाला रहा है. जून का महीना कभी भी मानसून के मौसम का एक विवेकपूर्ण संकेतक भी नहीं रहा है और इसीलिए जुलाई और अगस्त के आगामी मुख्य मानसून महीनों के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
उत्तर भारत में मानसून सामान्य रूप से जुलाई के पहले सप्ताह के आसपास बढ़ता है आगे
स्काईमेट वेदर का यह भी कहना है कि उत्तर भारत में मानसून सामान्य रूप से जुलाई के पहले सप्ताह के आसपास आगे बढ़ता है और इसीलिए प्रदर्शन के दायरे से बाहर है. मानसून के आगमन में थोड़ी देरी के बावजूद प्री-मानसून गतिविधि ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य वर्षा की है.
2012 में मानसून 7 जुलाई को पहुंचा था दिल्ली
भारत मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि इससे पहले भी दिल्ली में 2012 में मानसून 7 जुलाई को पहुंचा था. वहीं 2006 में मानसून ने 9 जुलाई को दिल्ली में दस्तक दी थी. केरल में 2 दिन की देरी से पहुंचने के बाद मानसून देश के पूर्वी मध्य और उत्तर पश्चिम के कुछ हिस्सों में 10 दिन पहले ही पहुंच गया था. लेकिन इसके बाद इसके आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं रही हैं. इसकी वजह से मानसून कमजोर होकर रुक-रुक कर आगे बढ़ने लगा है. साभार- न्यूज़18
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