अयोध्या में 2017-18 में 5962 रजिस्ट्री हुईं, जो 2020-21 में 232% बढ़कर 13856 पर पहुंच गईं
अयोध्या में बीते दो सालों में जमीन 8 गुना तक महंगी हुई है। 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीनें तेजी से बिकनी शुरू हुईं। इस तेजी का अंदाजा दो बातों से लगाया जा सकता है, पहली- यूपी सरकार को 17 अक्टूबर 2020 को एक आदेश जारी कर अयोध्या की कई जमीनों की बिक्री पर रोक लगानी पड़ी, क्योंकि सरकार यहां अपने प्रोजेक्ट्स शुरू करना चाहती है। दूसरी- अयोध्या के स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में 5,962 रजिस्ट्री हुई थीं। 2020-21 में यह आंकड़ा 13,856 पर पहुंच गया। यानी 2017-18 के मुकाबले 2020-21 में 232% ज्यादा रजिस्ट्री हुईं।
बढ़ती कीमतों की कुछ बानगी
ये विकास सिंह हैं। 2017 में रामलला मंदिर से करीब ढाई किमी दूर विद्याकुंड क्षेत्र में 1361 स्क्वायर फीट का प्लॉट लिया। तब इसके लिए 8.16 लाख रुपए चुकाए थे। अब लोग इसके लिए 30 लाख रुपए दे रहे हैं, लेकिन विकास ने इसे बेचने से मना कर दिया है।
विकास के जमीन लेने से एक साल पहले अचल चंद्र गुप्ता ने जमीन ली थी। अचल रेस्टोरेंट चलाते हैं। बन रहे राम मंदिर से महज दो किमी दूर सब्जी मंडी के पास 5 साल पहले 2100 स्क्वायर फीट का प्लॉट लिया था। इसके लिए 14.17 लाख रुपए चुकाए थे और अब इसके 84 लाख मिल रहे हैं।
इसे जानने-परखने हम भी अयोध्या पहुंचे। राम मंदिर को बनते हुए 11 महीने पूरे हो चुके हैं। हमने वहां का पूरा जायजा लिया। मंदिर बनने के साथ नए शहर की बसाहट कैसी होगी, कैसे अयोध्या का रंगरूप बदलेगा और कैसे-कहां नया शहर बसने जा रहा है…और इस डेवलपमेंट के साथ जमीनों के दाम कहां और कितने बढ़े हैं, सब पता किया। जानिए अयोध्या से जुड़ी हर जानकारी इन 25 स्लाइड्स में…
साभार-दैनिक भास्कर
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