Ladakh LAC Tension: चीन ने फिर चली चाल, लद्दाख सीमा पर तैनात किए 50 हजार सैनिक, एक्शन में भारत

Soldiers of People's Liberation Army (PLA) march in formation during the military parade marking the 70th founding anniversary of People's Republic of China, on its National Day in Beijing, China October 1, 2019. REUTERS/Thomas Peter

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नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर जारी विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कई स्तरों पर बातचीत जारी है, लेकिन दूसरी ओर खबर है कि बीजिंग ने सीमा पर सैनिकों की संख्या में काफी इजाफा किया है. चीन की इस कार्रवाई की गंभीरता को देखते हुए भारत ने भी 50 हजार जवानों को बॉर्डर पर तैनात कर दिया है. एलएसी पर भारत और चीन दोनों तरफ से सैनिकों की इतनी बड़ी तैनाती को बड़े सैन्य संकट के तौर पर देखा जा रहा है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन ने वहां पर जितने सैनिकों की तैनाती की थी, इस बार उसके मुकाबले सीमा पर 15 हजार ज्यादा सैनिक को भेजा गया है. खबर में खुफिया और सैन्य अधिकारियों के हवाले से यह बताया गया है कि पिछले कुछ महीनों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत से जारी वार्ता के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले इलाके के आसपास सैनिकों की तादाद को बढ़ाकर 50,000 से ज्यादा कर दिया है, जो निश्चित ही भारत के लिए चिंता का विषय है. साथ ही सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर चीन के मंसूबे पर भी यह तैनाती सवाल खड़े करती है.

भारत ने भी सीमा पर पहले से ज्‍यादा तैयारी की
एलएसी के साथ-साथ लद्दाख में चीन का सामना करने के लिए भारत ने अतिरिक्त स्ट्राइक कॉर्प्स तैनात किए हैं. मथुरा की वन स्ट्राइक कॉर्प्स को लद्दाख में उत्तरी सीमा पर भेजा गया है. 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को अतिरिक्त 10 हजार जवान मुहैया कराए गए हैं और उन्हें पूरे उत्तर-पूर्वी राज्यों का जिम्मा दिया गया है. भारतीय वायुसेना ने भी अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है. राफेल के साथ-साथ, मिग-29 और सू-30 जहाजों की टुकड़ी उत्तरी सीमाओं के इलाके में सक्रिय रहेगी. राफेल के दूसरे स्क्वाड्रन को भी ऑपरेशन के लिए तैनात किया जा सकता है.

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राफेल के साथ टी-90 भीष्म, पिनाका रॉकेट, अपाचे, चिनूक जैसे लड़ाकू विमानों को भी सीमा पर तैनात किया गया है. सेना ने LAC पर पहली बार के-9 तोपें तैनात की हैं. खास बात है कि इन तोपों में पहिए लगे होते हैं, जिनकी वजह से इनकी आवाजाही में किसी अन्य गाड़ी की जरूरत नहीं होती. सेना ने M-777 आर्टिलरी गन भी तैनात की हैं. इसके अलावा भारत ने हवाई सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था की है.

25 जून को हुई थी आखिरी बातचीत
लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष, राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं. भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की और इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख के बचे हुए गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते यथा शीघ्र अगले दौर की सैन्य वार्ता के लिये सहमत हुए.

मई 2020 से बना हुआ है विवाद
भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है. दोनों पक्षों ने हालांकि कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह हटा लिया था. दोनों पक्ष अब बचे हुए गतिरोध स्थलों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं. भारत विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग से सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा है. भारत अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति की बहाली के लिए जोर दे रहा है.

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