पढ़िए दी लॉजिकली की ये खबर…
भारत (Bharat) के युवाओं ने हमेशा से विज्ञान में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। हर साल नई-नई खोज करके यहां के युवा पूरे विश्व मे देश का नाम रौशन करते है। भारत हमेशा से विश्व में नया अविष्कार करके यह दिखाते आया है तथा साबित करते आया है कि जो लोग यह समझने है कि भारत के युवा केवल धर्मों में रुचि रखते है, तो ये उनकी भूल है बल्कि यहां के युवा धर्मों के साथ विज्ञान के नए खोजो में भी अपनी क्षमता साबित करते आये है।
आज हम बात करेंगे, भारत (Bharat) के पीलीभीत (Pilibhit)के एक शख्स धर्मेंद्र कुमार (Dharmendra Kumar) की। जिन्होंने एक ऐसा बल्ब का अविष्कार किया है, जिससे डायबिटीज कंट्रोल की जा सकती है तथा इस बल्ब का नाम (Insoul-T Device) है।
कैसे आया ख्याल?
धर्मेंद्र कुमार (Dharmendra Kumar), UP के पीलीभीत (Pilibhit) में स्थित गोपालपुर (Gopalpur) नामक स्थान के रहने वाले है। इनके पिता विश्राम सागर (Vishram Sagar), बच्चो को ट्यूशन पढ़ा कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। धर्मेंद्र दो भाई और एक बहन में सबसे बड़े है। पिता की इच्छा थी कि धर्मेंद्र पढ़-लिख कर एक बड़े इंजीनियर बने लेकिन जब ये 2 वर्ष के थे तभी इनको पोलियो हो गया था। इस हालत में पिता का सपना पूरा करना आसान काम नही था लेकिन इन्होंने कड़ी मेहनत कर कानपुर से डॉ. अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फ़ॉर हैंडीकैप से बीटेक की डिग्री हासिल किया। इन्होंने एक इंसोलटी यंत्र (Insoul-T Device) का आविष्कार किया किया है और इनका दावा है कि यह यंत्र बिना किसी दवा के डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता है। यह यंत्र को बनाने का ख्याल तब आया जब इनकी मां का तबियत डायबिटीज के कारण बिगड़ चुकी थी। तब इन्होंने अपनी माँ को ठीक करने के लिए इस यंत्र को बनाया और यह यंत्र कारीगर साबित हुई। तब इनके इस आविष्कार की चर्चा पूरे भारत मे होने लगी और धीरे-धीरे ये ख़बर पूरे दुनिया मे फैल गई और आज इनको इस टेक्निक के वजह से फ्रांस से आमंत्रण आया है।
मां को डायबिटीज से ठीक करने के लिए बनाया, डिवाइज बल्ब
दरअसल, धर्मेंद्र (Dharmendra Kumar) के माँ को डायबिटीज की बीमारी थी, इस बीमारी के कारण उनका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहा था। माँ को बीमारी से परेशान होते देख धर्मेंद्र भी बहुत परेशान रहने लगे। और उन्होंने यह तय कर लिया कि इस बीमारी को जड़ से खत्म करना है। तब से वह इस बीमारी को खत्म करने की कोशिश में जुड़ गए। 10 साल की कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने इन डिवाइस को तैयार कर लिया। सबसे पहले इसका इस्तेमाल अपनी मां पर किया और इनकी माँ का तबियत ठीक हो गया। इसमे सफलता मिलने के बाद, धमेंद्र के कामयाबी की चर्चा पूरे भारत के साथ पूरे फ्रांस तक हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की संस्था लिरिक्स इंटरनेशनल कम्युनिटी ने प्रस्तुतीकरण के लिए उन्हें फ्रांस बुलाया है।
कानपुर एआईटी से किया था बीटेक
धर्मेंद्र (Dharmendra Kumar) ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय से की थी तथा अपनी अपनी इंटर की पढ़ाई सरकारी स्कूल से पूरी की। इसके बाद इन्होंने एआईटी कानपुर से बीटेक किया और बाद में डीएमई डायविटीज का डिप्लोमा की डिग्री हासिल किया।
कैसे दूर होगी डायबिटीज, इस डिवाइस बल्ब (Insoul-T Device) से
इस डिवाइस के बारे में जानने के बाद लोगों ने यह सवाल उठाए कि, आखिर इस बल्ब से कैसे दूर होगी डायबिटीज? इस पर धमेंद्र कुमार (Dharmendra Kumar) का कहना है कि, स्टेम सेल के जरिए तरंगे हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं और हमारे अमीनो एसिड्स के स्तर को मजबूत बनाती हैं और धीरे-धीरे बढ़ाती हैं, जिससे न्यूरोट्रांसमीटर्स व रिसिवर्स पूरी तरह से काम करने लगते हैं। जिससे बीटा सेल्स (जो हमारे शरीर के अंदर होते है) मजबूत हो जाते हैं और पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाने लगते हैं, जिस कारण डायबिटीज समाप्त होती है। धर्मेंद्र (Dharmendra Kumar) के मुताबिक, डायबिटीज के मरीज को अपने कमरे में रात को यह बल्ब जलाकर सोना है। बाकी काम डिवाइस करेगी और 90 से 120 दिनों तक यह प्रक्रिया अपनाने पर डायबिटीज अपने-आप खत्म हो जाएगी। साभार-दी लॉजिकली
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