नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से पैसा ले चुके अपात्र लोगों से वसूली की जाएगी। वसूली में ढिलाई बरतने वाले राज्यों पर केंद्र सख्ती करेगा। दस्तावेजों की जांच किए बगैर योजना के लाभार्थियों की सूची में नाम दर्ज करने वाले अफसर व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। हैरानी इस बात की है कि अभी तक डेढ़ दर्जन राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी धन हड़पने वाले ऐसे लोगों से वसूली शुरू नहीं हो सकी है, जिनमें कई बड़े राज्यों के नाम भी शामिल हैं।

ढाई हजार करोड़ के मुकाबले मात्र 250 करोड़ की वसूली

राज्यों पर कुल ढाई हजार करोड़ रुपए की ‘पीएम-किसान’ योजना की धनराशि बकाया है। इस मामले में सालभर से चल रही कवायद में ढाई सौ करोड़ भी वसूल नहीं किए जा सके हैं। इसे लेकर केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर वसूली में सख्ती बरतने को कहा है। योजना के तहत अब तक लगभग 10.50 करोड़ किसानों को इसका लाभ मिलने लगा है। लेकिन जिन अपात्र किसानों को किसी भी स्तर से हुई गलती से या जानबूझकर योजना का लाभ मिला है, उनसे वसूली शुरू हो गई थी। हालांकि इसकी धीमी गति पर कृषि मंत्रालय ने चिंता जताई है।

33 लाख अपात्र लोगों के खातों में गई रकम की होनी है वापसी

किसान होने के बावजूद कुछ श्रेणी के लोगों को इस योजना का पात्र नहीं माना जाएगा। इनमें एमपी, एमएलए, मंत्री और मेयर को लाभ नहीं मिलेगा। आवेदन करने पर भी उनके खाते में पैसा नहीं आएगा। उन्होंने किसी तरह की धांधली से पैसा ले भी लिया तो वापस करना होगा। मल्टी टास्किंग स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर केंद्र या राज्य सरकार में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे लोगों ने लाभ लिया और आधार लिंक होने से ब्योरा सामने आया, तो यह उनके लिए उल्टा पड़ सकता है।

कई राज्यों में शुरू नहीं हो पाई वसूली की प्रक्रिया

पेशेवर, डाक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट जो कहीं खेती भी करते हों को भी लाभ नहीं मिलेगा। इनकम टैक्स देने वाले और 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वालों को भी लाभ से वंचित रखने का प्रविधान है। आयकर देने वालों ने यदि किस्त ले भी ली हैं तो उन्हें तीसरी बार में पकड़ लिया गया है। चिह्नित हो चुके अपात्रों के बैंक खाते में अगली किस्त का पैसा जमा नहीं कराया जा रहा है।

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के साथ अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, लद्दाख, लक्षद्वीप, ओडिशा, पुडुचेरी और उत्तर प्रदेश में वसूली की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई है। लेकिन जिन राज्यों में प्रारंभिक तौर पर पीएम-किसान के अपात्र लोगों से वसूली हो रही है, वहां भी नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। साभार-दैनिक जागरण

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