नीदरलैंड का चौथाई हिस्सा समुद्र तल से नीचे है, जबकि आधा हिस्सा तल से कुछ ही मीटर ऊंचा है. ऐसे में हर साल यहां बाढ़ से भीषण तबाही मचा करती. अब पानी की आपदा झेलते इस देश ने ऐसी-ऐसी तकनीकें (flood management techniques in the Netherlands) बना डालीं कि दुनिया उससे सीख रही है.
देश के कई राज्यों में झमाझम बारिश के साथ मानसून (monsoon in India) सक्रिय हो चुका है. इसकी शुरुआत के साथ ही बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं. यहां तक कि मौसम विभाग को अगले 72 घंटों के लिए अलर्ट जारी करना पड़ा. ये हालात कमोबेश हर साल आते हैं और एक नहीं, बल्कि कई राज्य बाढ़ के कारण तबाही (flood disaster) देखते हैं. वहीं डच देश नीदरलैंड (the Netherlands) ने अपने यहां बाढ़ का स्थाई हल खोज लिया. बता दें कि ये देश भी पानी की आपदा झेलता रहा था, लेकिन अब दुनिया उससे वॉटर मैनेजमेंट सीख रही है.
बाढ़ में गई हजारों जानें
हरदम बाढ़ के खतरे में रहने वाले इस देश में वैसे तो इससे बचाव के लिए पहले से कोशिश होती रही लेकिन साल 1953 के बाद ये तेज हो गई. उस साल की बारिश में 600 स्क्वैयर मील हिस्सा पानी में पूरी तरह से डूब गया जिससे लगभग 2000 लोगों की जानें गईं. साथ ही हजारों लोग बेघर हो गए. इसके बाद भी वहां फ्लड-डिफेंस सिस्टम पर काम में तेजी आई. वैज्ञानिकों के साथ-साथ वहां आम लोग भी अपनी तरफ से कोशिश करने लगे कि बाढ़ का खतरा कैसे कम हो सके.
बेहद संवेदनशील है ये देश
बता दें कि नीदरलैंड्स का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा समुद्र तल से नीचे की ओर है, जहां देश की 20 प्रतिशत से ज्यादा आबादी बसी हुई है. इतना ही नहीं, इस देश का आधा हिस्सा समुद्र तल से महज कुछ मीटर ऊंचा है. ऐसे में यहां हरदम बाढ़ का खतरा बना रहता है. इसे रोकने के लिए देश में समुद्र किनारे तटबंध बनाए गए. यहां के शहर रॉतेरडैम में समुद्र पर एक विशाल गेट बना हुआ है. ये समुद्र के पानी को रोकने का काम करता है. यहां जमा पानी से वॉटर स्पोर्ट्स का आयोजन भी होता रहता है.
ऐसे होती है पानी की निकासी
नीदरलैंड का ड्रेनेज सिस्टम भी काफी बढ़िया है. ये 17वीं सदी का बना हुआ है, जिसका लगातार रखरखाव होता रहता है. पानी की निकासी की ये व्यवस्था स्थानीय निकायों यानी म्यूनिसिपैलिटी के पास है ताकि उसके खराब होने पर नजर रहे और मरम्मत की जा सके. बारिश के मौसम से पहले ही ये एक्टिव हो चुके होते हैं और देखभाल शुरू कर देते हैं. शहर में अगर पानी भरे तो उसे निकालने के लिए पंपिंग सिस्टम है. पवन चक्की के जैसे दिखने वाले ये पंपिंग सिस्टम शहर से अतिरिक्त पानी निकालते हुए उसे नदी-नहरों तक पहुंचाते हैं ताकि खेती का काम हो.
नीदरलैंड की सरकार निजी स्तर पर भी लोगों को फ्लड कंट्रोल उपाय आजमाने की अपील करती रही है- सांकेतिक फोटो (pixabay)
आर्टिफिशयल लहर तैयार
समुद्री लहरें बारिश के दौरान तूफानी हो जाती हैं. इसे नियंत्रित करने के लिए नीदरलैंड्स में एक अनोखा प्रयोग हुआ. यहां दुनिया की सबसे बड़ी आर्टिफिशयल लहर तैयार की गई. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक लहर पैदा करने की इस तकनीक को डेल्टा फ्यूम कहते हैं. इसका इस्तेमाल विशालकाय लहरों को कंट्रोल करने के लिए होता है. हाइड्रोलिक तकनीक पर काम करने वाली मशीन में 9 मिलियन लीटर पानी को समेट सकने की क्षमता होती है. तूफान शांत होने के बाद बचे पानी को किसी बांध के जरिये इस्तेमाल कर लिया जाता है.
घरों में पेड़-पौधे
तकनीकों के अलावा देश की सरकार निजी स्तर पर भी लोगों को फ्लड कंट्रोल उपाय आजमाने की अपील करती रही है. यही वजह है कि यहां हर घर में और आसपास ढेर सारे पेड़-पौधे हैं. इससे बाढ़ आने पर जमीन के पानी अवशोषित करने की क्षमता बढ़ जाती है. साथ ही नीदरलैंड्स में पानी में तैरने वाले घर भी बने हैं. लकड़ी से बने ये घर आपको वहां एम्सटर्डम से लागोस तक मिल जाएंगे.
नीदरलैंड समेत कई देशों में तैरने वाले घर बनाए जा रहे हैं- सांकेतिक फोटो (pixabay)
तैरने वाले घर बनाए जा रहे
इसमें बेस सीमेंट का होता है लेकिन उसके अंदर स्टीरोफोम भरा होता है, ताकि वे पानी में डूबे नहीं. इसके अलावा बाढ़ के लिए संवेदनशील इलाकों में रहने वालों के लिए सरकार ऊपर की तरफ आने का विकल्प भी देती है. लेकिन चूंकि देश का आधा हिस्सा ही बाढ़ के लिए संवेदनशील है और समुद्र तल के ऊपर ज्यादा विकल्प नहीं है इसलिए लोग जहां हैं, वहीं रहते हुए बाढ़ से बचने के लिए उपाय करते रहे.
दूसरे देश भी हैं आगे
वैसे नीदरलैंड्स के अलावा कई और भी पश्चिमी देश इस मामले में बेहतरीन काम कर रहे हैं. जैसे जापान में टोक्यो के शोवा और कासूकाबे, साइतामा के बीच दुनिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड फ्लड वाटर डाइवर्जन फैसिलिटी तैयार की गई. इससे हर सेकंड लगभग 200 टन वजन का पानी निकाला जा सकता है. इसी तरह से लंदन के थेम्स नदी पर मेकेनिकल बैरियर बना हुआ है जो शहर में पानी भरने से बचाए रखता है. फ्रांस में पानी के लिए ढेर सारे जलाशय तैयार कर दिए गए. साभार- न्यूज़18
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