उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट और दाढ़ी काटने के वायरल वीडियो मामले में ट्विटर इंडिया के MD गुरुवार को लोनी बॉर्डर थाने में हाजिर होंगे। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विटर इंडिया के MD मनीष माहेश्वरी के साथ उनके वकील भी पुलिस स्टेशन आएंगे। इसमें उन्हें पुलिस की ओर से पूछे जाने वाले 11 सवालों के जवाब देने होंगे।
इनमें सबसे अहम सवाल भ्रामक वीडियो पर आपत्ति के बावजूद उसे नहीं हटाने को लेकर है। इसके साथ ही उनसे पूछा जाएगा कि जब भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट पर मैनिपुलेटेड का टैग लगा, तो इसमें क्यों नहीं? इसके अलावा पुलिस यह भी जानने का प्रयास करेगी कि इस भ्रामक वीडियो पर कितने लोगों ने रिपोर्ट किया और इस रिपोर्ट के बाद ट्विटर ने क्या कार्रवाई की।
17 जून को भी पुलिस ने भेजा था नोटिस
गाजियाबाद पुलिस ने 17 जून को ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी को लीगल नोटिस भेजा था। पुलिस ने उन्हें 7 दिन के अंदर लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन आकर बयान दर्ज कराने को कहा था। इस पर माहेश्वरी ने कहा था कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जांच में जुड़ सकते हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें 24 जून को व्यक्तिगत रूप से विवेचनाधिकारी के समक्ष हाजिर होने को कहा था।
3 पॉइंट में समझें- गाजियाबाद में क्या हुआ था?
- 14 जून को लोनी इलाके में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता किए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर समेत 9 पर FIR दर्ज की थी। इन सभी पर घटना को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देने की वजह से यह एक्शन लिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक मुस्लिम बुजुर्ग को पीटा गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई।
- पुलिस के मुताबिक, इस मामले की सच्चाई कुछ और ही है। पीड़ित बुजुर्ग ने आरोपी को कुछ ताबीज दिए थे, जिनके परिणाम न मिलने पर नाराज आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया, लेकिन ट्विटर ने इस वीडियो को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग नहीं दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़ित ने अपनी FIR में जय श्री राम के नारे लगवाने और दाढ़ी काटने की बात दर्ज नहीं कराई है।
- जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें अय्यूब और नकवी पत्रकार हैं, जबकि जुबैर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज का लेखक है। डॉ. शमा मोहम्मद और निजामी कांग्रेस नेता हैं। वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष उस्मानी को कांग्रेस ने पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारा था।
ट्विटर कठघरे में क्यों?
FIR में लिखा गया कि गाजियाबाद पुलिस की ओर से स्पष्टीकरण जारी करने के बावजूद आरोपियों ने अपने ट्वीट्स डिलीट नहीं किए, जिसके कारण धार्मिक तनाव बढ़ा। इसके अलावा ट्विटर इंडिया और ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से भी उन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। इनके खिलाफ IPC की धारा 153, 153-A, 295-A, 505, 120-B, और 34 के तहत FIR दर्ज की गई है। साभार-दैनिक भास्कर
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