नई दिल्ली। दिल्ली-मेरठ-गाजियायाद कॉरिडोर पर दौड़ने वाली रैपिड रेल एनसीआर की परिवहन व्यवस्था में तो नया आयाम स्थापित करेगी ही, साथ ही आपदा की स्थिति में भी खासी मददगार साबित होगी। कोरोना काल की जरूरतों को ध्यान में रखकर इस कॉरिडोर के मेट्रो स्टेशनों को भी मेडिकल इमरजेंसी और सुरक्षित सफर के लिए खासतौर पर तैयार किया जा रहा है। एनसीआर में मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने या एनसीआर के किसी शहर से दिल्ली के किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने के लिए यह कॉरिडोर ग्रीन कॉरिडोर का भी काम करेगा।

जानकारी के मुताबिक कॉरिडोर के सभी स्टेशनों के डिजाइन में बड़े आकार की लिफ्टों का प्रावधान रखा गया है जो मरीजों को स्ट्रेचर सहित ले जाने और उनके परिजनों को सुरक्षित और फास्ट मोड से अस्पताल पंहुचाने में मदद कर सके। उदाहरण के तौर पर अगर किसी को मेरठ, गाजियाबाद, आनंद विहार (रेलवे स्टेशन) या सराय काले खान (हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन) से स्वयं या परिजनों को अच्छे इलाज के लिए दिल्ली में स्थित बडे अस्पतालों जैसे एम्स या सफदरजंग तक पंहुचना हो तो आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) बेहतरीन विकल्प होगा। आज जहां दूसरी परिवहन सेवाओं से तीन-चार गुना समय लगता है वहीं आरआरटीएस कोरिडोर निर्माण के बाद 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से होने वाले इस सफर में कम से कम समय लगेगा, जिससे कीमती जाने भी बचेगी।

समय बचेगा और सफर भी होगा सुहाना

आरआरटीएस के सभी स्टेशन एवं ट्रेन यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिट से पूर्ण होंगे। दिव्यांगों और वृद्ध यात्रियो को भी खास सेवाएं देने की योजना बनाई गई है जिसमें व्हीलचेयर का प्रविधान, सहायता के लिए प्रशिक्षित सहायक कर्मचारी दल, डिफरेंटली एबल के लिए वाइड रिवर्सेबल गेट शामिल है। इसके अलावा खतरे की स्थिति में प्रत्येक कोच पर पैनिक बटन, चौतरफा सीसीटीवी कवरेज, प्लेटफार्म और कोचों में, महिलाओं, विकलांगों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए बैठने की अलग सीटों की प्राथमिकता रहेगी।आरआरटीएस के स्टेशन मल्टी माडल इंटीग्रेशन को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे है जो यात्रियों को अन्य परिवहन सेवाओं जैसे हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल और सिटी मेट्रो स्टेशन से निर्बाध रूप से इंटर-कनेक्ट करेंगे जिससे यात्रियों को एक परिवहन सेवा से दूसरी में जाना अत्यंत सुगम होने के साथ साथ उनका समय भी बचाएगा।

आरआरटीएस के लिए एनसीआर परिवहन निगम कई सुरक्षित मोबिलिटी तकनीक का उपयोग कर रहा है जो भारत के रेल इतिहास में पहली बारी होगा। जैसे नेक्स्ट-जेनरेशन यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिग्न¨लग सिस्टम (ईटीसीएस) लेवल 2, पीएसडी (प्लेटफ़ॉर्म स्क्रीन डोर्स) सिस्टम और ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) सिस्टम। यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिग्न¨लग सिस्टम (ईटीसीए) यूरोपीय रेलवे में इस्तेमाल की जाने वाली नेक्स्ट जेनेरेशन की सिग्न¨लग और कंट्रोल सिस्टम है जो ट्रेन और लाइन क्षमता बढ़ाने व ट्रेन की आवाजाही को त्वरित आवृत्तियों पर सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जिससे यात्रियों का वेटिंग टाइम कम होगा और वह सहज व सुरक्षित यात्रा का अनुभव ले सकेगे।

ट्रैक पर यात्रियों के आकस्मिक गिरने की किसी भी संभावना से बचने के लिए सभी स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर सिस्टम (पीएसडी) होगा जो यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन और प्लेटफार्म को अलग करने के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके उपयोग से ट्रेन शुरू होने से पहले दरवाजे ऑटोमेटिकली बंद हो जाएंगे जिससे यात्रियों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

  • यह कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां से शुरू होगा और उत्तर प्रदेश के मोदीपुरम (मेरठ) में समाप्त होगा। इस पर कुल 22 स्टेशन होंगे।
  • रास्ते में यह यमुना नदी, हिंडन नदी, भारतीय रेल की पटरियों, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे (ईपीई) को पार करेगा और दिल्ली, गाजियाबाद एवं मेरठ की घनी आबादी से गुजरेगा।
  • गाजियाबाद के बाद यह मुख्य तौर पर गाजियाबाद-मेरठ राजमार्ग (पहले एनएच 58) के मध्य मार्ग पर होगा।
  • साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड पर सिविल निर्माण कार्य जोरों पर है।
  • कॉरिडोर का यह हिस्सा 2023 तक चालू हो जाएगा। पूरे कॉरिडोर पर परिचालन 2025 से शुरू होगा।
  • प्राथमिक खंड के चारों स्टेशन साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण भी जारी है।

वहीं, पुनीत वत्स (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआर परिवहन निगम) का कहना है कि कोरोना काल की आपदा में परिवहन सेवाओं को भी कुछ बदलाव करने के लिए मजबूर कर दिया है। इसी के मददेनजर आरआरटीएस को ऐसा बनाए जाने की कोशिश है कि यह एनसीआर का सफर तो सुगम एवं त्वरित बनाए ही, आपदा में भी एक बडड़े मददगार के रूप में पहचाना जाए। साभार-दैनिक जागरण

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