यह शोध 12 साल तक की उम्र तक सक्रिय रहे बच्चों पर किया गया था। इसका प्रभाव मध्य आयु और उसके बाद भी देखने को मिला। बचपन में मष्तिष्क संबंधी विकास पर्यावरण और शारीरिक सक्रियता से प्रभावित रहता है।
वाशिंगटन, एएनआइ। जीवन के शुरूआती दौर में शारीरिक श्रम और व्यायाम के परिणाम ताउम्र अच्छे रहते हैं। इससे बढ़ती उम्र में याददाश्त तेज रहती है। एक अंतरराष्ट्रीय समूह के शोध में यह परिणाम सामने आए हैं। शोध एकेडमिक जर्नल न्यूरोइमेज में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार बचपन में जो लोग ज्यादा सक्रिय रहे, उन्हें बढ़ती उम्र में दिक्कतों का सामना कम करना पड़ा और याददाश्त संबंधी समस्या भी नहीं रहीं।
शोध में दोनों तरह के लोगों को शामिल किया गया था। बचपन में शारीरिक रूप से काफी सक्रिय रहने वाले और दूसरे वे जो बिल्कुल भी सक्रिय नहीं रहे। हालांकि बचपन की सक्रियता और दिमागी रूप से कार्य करने में सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं पाया गया।
यह शोध 12 साल तक की उम्र तक सक्रिय रहे बच्चों पर किया गया था। इसका प्रभाव मध्य आयु और उसके बाद भी देखने को मिला। बचपन में मष्तिष्क संबंधी विकास पर्यावरण और शारीरिक सक्रियता से प्रभावित रहता है। इस दौरान किया गया व्यायाम बाद के जीवन में शारीरिक रखरखाव पर भी असर डालता है।
शोध समूह ने इस महत्वाकांक्षी अध्ययन करने के लिए 214 लोगों को चुना था। इनकी उम्र 26 से 69 साल के बीच थी। इन सभी को एक प्रश्नावली दी गई थी और उसका अध्ययन करने के बाद परिणाम निकाला गया। साभार-दैनिक जागरण
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