कोविड के चलते ज्यादातर लोगों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से फीस रेग्युलेटरी ऐक्ट लागू करने के बाद भी जिले के स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी करने से बाज नहीं आ रहे और इससे अभिभावकों परेशान हैं। इन स्कूलों पर कार्रवाई करने वाला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा हुआ है।
ग्रेटर नोएडा। कोरोना संक्रमण के दौर में जिले के प्राइवेट स्कूल बंद है और बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे हैं। कोविड के चलते ज्यादातर लोगों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से फीस रेग्युलेटरी ऐक्ट लागू करने के बाद भी जिले के स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी करने से बाज नहीं आ रहे और इससे अभिभावकों परेशान हैं। इन स्कूलों पर कार्रवाई करने वाला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा हुआ है। कोरोना संक्रमण के दो साल में बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आरटीई और फीस बढ़ोत्तरी में मामले में 90 से अधिक निजी स्कूलों को नोटिस जारी किए लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं की।
फीस और ऑनलाइन क्लास से रोकने के मामले में अभिभावक डीएम और डीआईओएस को लगातार शिकायतें दे रहे हैं। दो साल में निजी स्कूलों की मनमानी की विभाग के पास 500 से अधिक लिखित शिकायत हैं। इसके अलावा अभिभावक ईमेल भी करते हैं लेकिन शिक्षा विभाग स्कूलों पर कार्रवाई करने से कतराता नजर आ रहा है। अब तक विभाग ने फीस के मुद्दे पर सिर्फ पांच से अधिक निजी स्कूलों को ही नोटिस भेजा है।
कम्पोजिट के नाम पर लूट
संक्रमण के दौर में अब बच्चे घर से पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद भी निजी स्कूलों कम्पोजिट फीस के नाम पर लैब, क्लास रूम, स्पोर्ट्स, एनुअल फंक्शन और अन्य चीजों का चार्ज भी जोड़कर फीस का बिल अभिभावकों को थमा रहे हैं। इस मामले में आए दिन विभाग फीस का ब्योरा मांग रहा है, लेकिन स्कूल देने से बचाते नजर आ रहे है। स्कूलों में यूनिट टेस्ट ऑनलाइन शुरू होने का बहाना बनाकर महीनों की फीस जमा कराने का दबाव अभिभावकों पर बनाया जा रहा है।
प्रशासन और विभाग स्कूलों की मनमानी को रोकने पर नाकाफी साबित होता दिखाई दे रहा है। कम्पोजिट फीस के नाम पर स्कूल अभिभावकों से पूरे पैसे वसूल रहे हैं।
पिछले साल 43 और इस साल 38 स्कूलों को नोटिस
आरटीआई के तहत एडमिशन न लेने और पोर्टल पर गड़बड़ी के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से पिछले साल 45 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था। साथ ही एडमिशन न लेने पर मान्यता निरस्त करने के लिए भी निर्देशित किया। हालांकि सभी चीजें कागजों तक ही सीमित रह गईं। इस साल भी विभाग ने पोर्टल पर हेराफेरी करने और एडमिशन न देने पर 38 स्कूलों को दो-दो बार नोटिस जारी किए हैं। इसके बाद भी स्थिति जस के तस बनी है।
तीन साल पहले लगाया था जुर्माना
6 मई 2019 को फीस रेग्युलेटरी कमेटी की मीटिंग में फीस के मुद्दे पर मनमानी करने वाले करीब 46 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था। ऐसे में करीब 32 स्कूलों ने प्रशासन के नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है। इस पर जिला प्रशासन ने बैंक अकाउंट अटैच कर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान रखा था। डीएम बीएन सिंह द्वारा नोएडा के दो स्कूलों पर जुर्माना भी लगाया गया था। जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा इन सभी स्कूलों से स्पष्टीकरण मांगा था कि क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए, लेकिन उसके बावजूद भी करीब 32 स्कूलों ने जवाब नहीं दिया है।
अभिभावकों की तरफ से फीस बढ़ोत्तरी से जुड़ी शिकायतें मिल रही है। इन सभी मुद्दों को लेकर विभाग अभिभावकों के साथ सामंजस्य बैठाकर कार्य कर रहा है। स्कूलों से पूछताछ कर समस्या का हल किया जा रहा है।
शासन के आदेश पर डीएफआरसी की तरफ से नए शैक्षणिक सत्र में पिछले साल की तरह फीस सर्कुलर जारी रखने के लिए आदेश दिए गए थे। इसके बाद जिले के निजी स्कूल मान नहीं रहे हैं। नोएडा के समरविले स्कूल ने कमिटी की रोक के बावजूद कम्पोजिट फीस न लेकर विभिन्न मदों से फीस बढ़ा दी है। डीएफआरसी की टीम ने सर्कुलर की जांच की, तो बढ़ी फीस पाई गई है। ऐसे में अब डीआईओएस की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन में जवाब मांगा गया है।
शिकायत मिलने के बाद जगा विभाग
नोएडा के रहने वाले एक अभिभावक ने स्कूल के द्वारा छोटी क्लास की फीस बढ़ाने की शिकायत विभाग और कमिटी को दी थी। इसके बाद विभाग ने जांच की तो फीस बढ़ाने की शिकायत सही पाई गई। नोएडा के डीपीएस स्कूल प्रबंधन से पिछले काफी समय से बैकअप का ब्यौरा मांगा जा रहा है। पर स्कूल नहीं दे रहा है। अभिभावकों की तरफ से आए दिन उसकी शिकायतें मिल रही है। ऐसे में जल्द ही इस स्कूल और कई अन्य को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है।
डीआईओएस डॉ. धर्मवीर सिंह ने बताया कि संक्रमण के दौर में फीस बढ़ाने पर रोक लगाई है। शिकायत पर स्कूल के फीस सर्कुलर की जांच की गई तो पाया गया कि छोटी क्लास की 500 रुपये के करीब फीस बढ़ाई गई है। नियमों की अवहेलना करने के मामले में स्कूल के मालिक के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। तीन दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है। साभार-नवभारत टाइम्स
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