Monsoon Updates: इस साल केरल में मानसून (Monsoon Rains) दो दिन बाद आया था. हालांकि केरल के तट से टकराने के बाद से अब तक 10 दिनों के अंदर ही यह मानसून देश के दो-तिहाई हिस्से में छा गया है. आखिर इसके पीछे क्या वजह थी और आने वाले दिनों में इसका बारिश पर क्या असर होगा?
नई दिल्ली. देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून (Monsoon 2021) इस समय अधिकांश राज्यों तक पहुंच चुका है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार मानसून के कारण इस साल देश में अधिक बारिश होगी. इस साल केरल में मानसून (Monsoon Rains) दो दिन बाद आया था. हालांकि केरल के तट से टकराने के बाद से अब तक 10 दिनों के अंदर ही यह मानसून देश के दो-तिहाई हिस्से में छा गया है. इस साल यह समय से पहले चल रहा है. आइये जानते हैं इसके मायने…
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रोजाना की मौसम रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को मानसून दीव, सूरत, नंदुरबार, भोपाल, नगांव, हमीरपुर, बाराबंकी, बरेली, सहारनपुर, अंबाला और अमृतसर से गुजरा. दक्षिणी प्रायद्वीप और मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में मानसून अपनी तय तारीख से 7 से 10 दिन पहले आ गया है. हालांकि अभी मानसून उत्तर पश्चिमी राज्यों गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली नहीं पहुंचा है.
मंगलवार तक पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, केरल और गुजरात को छोड़कर पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है.
इस साल मानसून क्यों आया जल्दी?
इस साल मई के तीसरे हफ्ते में बंगाल की खाड़ी में यास नामक चक्रवाती तूफान आया था. इसने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मानसून को 21 मई तक पहुंचने में मदद की. एक ओर जहां इस बार मानसून केरल में अपने निर्धारित समय से दो दिन की देरी से आया तो वहीं उसने इन दिनों में आगे बढ़ते में काफी प्रगति दिखाई. ऐसा संभव हो पाया है अरब सागर से उठने वाली तेज पश्चिमी हवाओं और उत्तरी बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण. यह निम्न दबाव का क्षेत्र इन दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के ऊपर बना हुआ है.
मानसून लगातार मजबूत हुआ और यह पूर्वोत्तर के राज्यों, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में तेजी से आगे बढ़ा. महाराष्ट्र और केरल के बीच एक हफ्ते तक बने ट्रफ ने मानसून को कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात में जल्दी पहुंचने में मदद की है.
क्या यह असामान्य है?
2011 से पिछले एक दशक में मानसून ने जून में ही चार बार पूरे देश को कवर किया है ऐसा 2020 (जून 1–26), 2018 (28 मई–29 जून), 2015 (5–26 जून) और 2013 (1-16 जून) में हुआ. अन्य सभी सात साल में प्रमुख शहरों या क्षेत्रों में मानसून के आगमन में देरी हुई है. 2019 में चक्रवात वायु और 2017 में चक्रवात मोरा ने मानसून के आगे बढ़ने को कुछ दिनों के लिए देरी की थी. लेकिन कुल मिलाकर इन सात वर्षों के दौरान मानसून की प्रगति सामान्य तारीखों के अनुसार हुई और मानसून 15 जुलाई के आसपास पूरे देश में छा गया.
जिन-जिन साल में मानसून जल्दी आ गया है, तब उसकी प्रगति अंतिम चरण की ओर बढ़ी है. यानी तब उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत के क्षेत्रों में जल्दी मानसून का पहुंचना देखा गया.
क्या यह गति जारी रहेगी?
हालांकि मानसून ने पश्चिम और पूर्वी तटों व पूर्वी, पूर्वोत्तर और मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है. अब मानसून की आगे की प्रगति धीमी होने की संभावना है. 25 जून के आसपास तक ऐसा होने की उम्मीद नहीं है.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि उत्तर-पश्चिमी भारत में मानसून तभी सक्रिय होता है जब मानसून की धाराएं या तो अरब सागर या बंगाल की खाड़ी से इस क्षेत्र में पहुंचती हैं. जैसा कि जल्द होने की उम्मीद नहीं है, मानसून की प्रगति धीमी रहेगी. साथ ही पश्चिमी हवाओं की एक धारा उत्तर पश्चिमी भारत की ओर आ रही है, जो आने वाले दिनों में मानसून की प्रगति में बाधा उत्पन्न करेगी.
क्या मानसून की जल्दी शुरुआत का मतलब अधिक बारिश होती है?
किसी क्षेत्र में मानसून के आगमन के समय के मौसम के दौरान हुई बारिश की मात्रा या मानसून की प्रगति पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है. उदाहरण के लिए मानसून ने पूरे देश में छाने के लिए 2014 में 42 दिन और 2015 में 22 दिन का समय लिया. हालांकि देश में इन दोनों वर्षों के दौरान कम वर्षा दर्ज की गई.
इस साल ऐसा अनुमान है कि मानसून इस महीने के अंत तक पूरे देश में पहुंच जाएगा. फिलहाल मौसमी वर्षा की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी. यह संभव है कि जून की बारिश 170 मिमी के सामान्य से अधिक में समाप्त हो सकती है. 15 जून को यह सामान्य से 31 फीसदी ज्यादा था. साभार- न्यूज़18.
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