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यदि आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं और टीटीई आपका टिकट चेक करने आते हैं, तो आप सावधान रहें। क्योंकि टीटीई फर्जी भी हो सकते हैं। आप टिकट दिखाने से पहले टीटीई का आई कार्ड भी देख सकते हैं।
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर से आया है। यहां कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर गुरुवार को जीआरपी और आरपीएफ ने फर्जी टीटीई गैंग का खुलासा किया। गैंग लोगों से टीटीई बनकर यात्रियों से पैसे की वसूली कर रहा था। इस गैंग ने बेरोजगार युवकों को झांसा देकर रेलवे में फर्जी नियुक्ति कराई थी। इसके एवज में पांच से 15 लाख तक रुपए लिए थे।
गैंग के 3 सदस्य गिरफ्तार
जीआरपी ने शुक्रवार को ठगी के शिकार युवकों की तहरीर पर एक और एफआईआर दर्ज की है। रेलवे कर्मचारियों की भी भूमिका संदिग्ध मिली है। मामले में अब तक जीआरपी ने रेलवे में फर्जी नियुक्ति करने वाले गैंग के 3 ठगों की गिरफ्तारी कर ली है। तीनों को जेल भेजने के साथ ही अन्य सभी ठगी के शिकार हुए फर्जी रेलवे कर्मचारियों को छोड़ दिया गया है। जांच में उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं मिले।
जीआरपी ने 16 फर्जी टीटीई को पकड़ था
यहीं नहीं, गैंग ने पहले 16 युवकों को नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए ठग लिए। इसके बाद उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र देकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर तैनात कर दिया। ये गैंग बगैर टिकट आने-जाने वाले यात्रियों से वसूली करा रहा था। जीआरपी ने सरगना समेत 16 फर्जी टीटीई को पकड़ा था। इन सभी के पास से फर्जी आई कार्ड और नियुक्ति पत्र मिले थे।
कई महीने से 16 फर्जी टीटीई कर रहे थे वसूली
सीओ जीआरपी कमरूल हसन खान ने बताया कि गुरुवार को टिकट चेकिंग स्टाफ सुनील पासवान और जीआरपी के साथ सिटी साइड पर बने एस्केलेटर के पास तैनात थे। इस दौरान टीटीई की ड्रेस में रेलवे का आई कार्ड गले में डाले एक संदिग्ध युवक को चेकिंग करते पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम पनकी रतनपुर निवासी दिनेश कुमार बताया। जांच के दौरान वह फर्जी टीटीई निकला।
इसके बाद जीआरपी इंस्पेक्टर और सीओ ने जांच शुरू की तब पता चला कि सिर्फ दिनेश ही नहीं स्टेशन पर अन्य 15 टीटीई उसी की तरह फर्जी नियुक्ति पत्र और आई कार्ड लेकर चेकिंग करने के साथ ही बगैर टिकट यात्रियों से वसूली भी कर रहे हैं।
दिनेश नाम का युवक है सरगना
जीआरपी और आरपीएफ की टीमों ने पूरे स्टेशन की नाकेबंदी करके चेकिंग की तो 15 और फर्जी टीटीई मिले। दिनेश फर्जी टीटीई गैंग का सरगना था। इसके चलते जीआरपी थाने में उसके खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करके जेल भेज दिया गया। अन्य के भूमिका की जांच की जा रही है।
स्टेशन पर सक्रिय था फर्जी टीटीई का गैंग
जीआरपी थाना प्रभारी कीर्ति प्रकाश कनौजिया ने बताया कि पनकी कानपुर का रहने वाला रुद्र प्रताप ठाकुर उर्फ दिनेश सिंह ठगी में मास्टर है। जांच के बाद उसके दो साथी पी-रोड निवासी पवन कुमार गुप्ता और रेल बाजार फेथफुलगंज निवासी शिव नारायण को भी गिरफ्तार कर लिया। तीनों ने मिलकर रेलवे में फर्जी नियुक्तियां कीं और सेंट्रल स्टेशन पर तैनाती कर दी थी। पुलिस ने तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।
वहीं, अब दूसरी एफआईआर ठगी के शिकार अंकुर की तहरीर पर रुद्र प्रताप उर्फ दिनेश, पवन कुमार गुप्ता, मोहित, शिवनारायण त्रिपाठी, दिनेश गौतम और अनुज अवस्थी के खिलाफ दर्ज की गई है। फरार जालसालों की तलाश में जीआरपी की एक टीम ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।
रेलवे कर्मचारी बन करते रहे काम, रेलवे को भनक नहीं
हरिद्वार निवासी यासिर अराफात, फर्रुखाबाद निवासी अभिषेक, कानपुर के शिवाला निवासी मानस द्विवेदी और फर्रुखाबाद निवासी अनुज प्रताप फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर महीनों से सेंट्रल स्टेशन पर नौकरी करते रहे और रेलवे विभाग को भनक भी नहीं लगी।
इसके साथ ही पार्सल विभाग में हरिद्वार निवासी अंकुर, उन्नाव अजगैन निवासी जीनू यादव, आनंद कुमार, हमीरपुर निवासी प्रदीप कुमार, विजय नगर कानपुर निवासी गौरव कटियार, प्रयागराज निवासी बृजलाल, बलिया निवासी पवन यादव और कानपुर के साढ़ गोपालपुर निवासी वंशगोपाल नौकरी कर रहे थे, लेकिन रेलवे कर्मचारियों को भनक भी नहीं लगी। इसको देखते हुए जीआरपी सीओ ने कई रेलवे कर्मचारियों को भी संदेह के घेरे में लिया है और जांच कर रहे हैं।
पांच से पंद्रह लाख लेकर दी थी नौकरी
पूछताछ में सामने आया कि शातिरों ने पकड़े गए फर्जी रेलवे कर्मचारियों को पांच से 15 लाख रुपए देकर स्टेशन पर नियुक्तियां की थीं। इसके चलते रेलवे का फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर नौकरी करने वाले पकड़े गए 15 युवकों को छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही गैंग से जुड़े अन्य जालसाजों की तलाश की जा रही है।
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