जवाहर बाग कांड की 5वीं बरसी:छलक उठे शहीद एसपी की पत्नी के आंसू, पांच साल बीत गए नहीं हुई जांच, ठंडे बस्ते में फाइल

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शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी ने जवाहर बाग कांड पर शहीदों को नमन किया

आज के दिन दो जून को 5 साल पहले मथुरा में जवाहर बाग कांड की घटना हुई थी। इस कांड में एसपी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव शहीद हुए थे। कुल 29 लोगों की मौत हुई थी। इतने लंबे वक्त के बाद भी शहीद एसपी की पत्नी अर्चना द्विवेदी को इंसाफ का इंतजार है। बुधवार को उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस बीच अपना दर्द बयां कर उनकी आंखें कई बार छलक उठीं। अर्चना ने आरोप लगाते हुए कहा कि जवाहर बाग कांड के पांच साल बीतने के बाद भी अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अर्चना ने आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन के साथ जवाहर बाग की भूमि से थोड़ी ही जमीन की मांग की। जिसको वह अपनी खर्च से शहीद स्मारक के रूप में विकसित करना चाहती हैं।

आश्वासन के सिवा कुछ न मिला

शहीद मुकुल के भाई सतीश का आरोप हैं कि जवाहर बाग कांड की जांच अधूरी है। कई बार सीबीआई ऑफिस के चक्कर लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जांच कराने की मां को लेकर मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से मिलकर गुहार लगाई, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि घटना को लेकर भाजपा ने पूर्व सरकार को घेरा था, लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के चार साल बीतने के बाद भी योगी सरकार से शहीदों के परिवार को केवल आश्वासन ही मिला।

12 घंटे चली थी फायरिंग

साल 2014 में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के मुखिया रामवृक्ष यादव ने उद्यान विभाग के जवाहर बाग की 270 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अपने हजारों समर्थकों के साथ मिलकर सत्याग्रह शुरू कर दिया। प्रशासन से कई दौर की बातचीत और झड़प के बाद भी रामवृक्ष यादव के समर्थक हटने को तैयार नहीं थे। इस मामले को लेकर बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष विजय पाल तोमर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जिसके बाद न्यायालय ने उक्त स्थल को खाली कराने के निर्देश दिए। कोर्ट के आदेश पर एसपी मुकुल द्विवेदी के नेतृत्व में पुलिस उद्यान विभाग की 270 एकड़ भूमि खाली कराने पहुंची। जवाहर बाग में भूमि पर अवैध कब्जा कर बैठे कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस पर हमला कर दिया । जिसमें एसपी मुकुल द्विवेदी, एसओ संतोष यादव सहित 29 लोग शहीद हो गए थे। इस दौरान करीब 12 घंटे तक पुलिस और रामवृक्ष यादव के समर्थकों के बीच फायरिंग हुई थी।

(बाएं से)- शहीद एसओ संतोष और एसपी मुकुल द्विवेदी।- फाइल फोटो

घटना के बाद फैला था आक्रोश

इस घटना से जनपद में ख़ासा कोहराम मच गया था। घटना इतनी बड़ी थी कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई दे रही थी। उस समय तत्कालीन सपा सरकार की काफ़ी किरकिरी भी हुई थी। साथ ही सरकार पर कई आरोप भी लगे थे। काफ़ी राजनीति हुई। बहुत से आश्वासन भी दिए गए थे जो आज भी अधूरे हैं। वहीं, साभार-दैनिक भास्कर

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