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कोरोना महामारी की वजह से सीबीएसई ने 12वीं की बोर्ड परीक्षाएँ रद्द करने का फ़ैसला किया है. उसके बाद सीबीएसई की तरह कई दूसरे राज्यों ने भी 12वीं की स्टेट बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी है.
हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में 12वीं के नतीजों के आधार पर दाख़िले की प्रक्रिया की बात की है. साथ ही बताया कि पिछले साल आई नई शिक्षा नीति के तहत कोशिश की जा रही थी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए एक ही कॉमन प्रवेश परीक्षा कराई जाए, जिस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है. आने वाले दिनों में महामारी की स्थिति को देखते हुए इस पर फै़सला होगा.
So far we've admitted students on a merit basis. This year too, in view of COVID, we will admit students on the basis of marks they receive from boards, be it CBSE or other boards. Delhi University will release merit (list) using those marks: DU Vice-Chancellor Professor PC Joshi pic.twitter.com/osXj9AKjNd
— ANI (@ANI) June 3, 2021
दूसरी तरफ़ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ़ कर दिया है कि अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाख़िले के लिए इस साल भी प्रवेश परीक्षा ही होगी. कोविड महामारी के मद्देनज़र इसे देर से भी कराने का विकल्प विश्वविद्यालय प्रशासन ने खुला रखा है.
लेकिन 12वीं के छात्रों और अभिभावकों के मन में अब भी एक अनिश्चितता बनी हुई है. कई सवालों को लेकर बेचैनी और चिंता है.
आगे दूसरे विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन में कैसे होंगे दाखिले?
कैसी होगी इस बार की मार्कशीट?
विदेश में जाने वाले समय से पहले अपने रिजल्ट जमा करा पाएँगे?
दिल्ली विश्वविद्यालय का कट-ऑफ़ क्या इस बार भी 99 फ़ीसदी ही रहेगा?
छात्रों और अभिभावकों के मन की इसी दुविधा को दूर करने के लिए बीबीसी ने बात की सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी से. पढ़िए उनसे किए साक्षात्कार के मुख्य अंश :
12वीं की मार्कशीट इस बार कैसी दिखेगी?
मार्कशीट में कोई बदलाव नहीं होगा. पिछली बार की ही तरह इस बार भी जितने विषयों में परीक्षा होती थी, 100 में से अंक दिए जाते थे, वैसे ही इस बार भी सब कुछ दिखेगा. बिना छात्रों को बदलाव के बारे में बताए हम कोई बदलाव नहीं कर रहे. मार्कशीट पहले जैसी ही होगी और उसका महत्व भी पहले जितना ही होगा.
10वीं की तरह का ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ क्या 12वीं में भी होगा?
10वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ सीबीएसई ने तय कर दिया है. अब तक परंपरा के मुताबिक़ बोर्ड की परीक्षा होती थी और फिर किसी विषय में प्रैक्टिकल होता था, दोनों को जोड़ कर रिज़ल्ट तैयार किया जाता था. इस बार बोर्ड की परीक्षा नहीं हुई. तो सीबीएसई ने बोर्ड ना होने की सूरत में रिजल्ट तैयार करने के लिए नंबर देने के दूसरे विकल्प तैयार किए. एक कमेटी तैयार करने की बात की है, जिसमें स्कूल के प्रिंसिपल होंगे और दूसरे स्कूल के टीचर भी सदस्य होंगे. छात्र के साल भर के परफॉर्मेंस जैसे यूनिट टेस्ट, प्री-बोर्ड एक्ज़ाम, मिड-टर्म सबको देख कर ही, एक सिस्टम के तहत अप-लोड कर, छात्र का रिजल्ट तैयार किया जाएगा.
12वीं के लिए ‘ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया’ फ़िलहाल तैयार नहीं किया गया है. इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है. दो हफ़्ते का वक़्त इसमें और लग सकता है. जिन विषयों में प्रैक्टिकल होते हैं, उनमें 30 नंबर तो वैसे भी स्कूल की तरफ़ से मिलते हैं, जिन विषयों में प्रैक्टिकल नहीं होते हैं उनमें 20 नंबर स्कूल से ही मिलते हैं, ये डेटा हमारे पास पहले से हैं. बाक़ी के 70-80 फ़ीसदी नंबर, साल भर के इंटरनल और प्रैक्टिकल परीक्षाओं के आधार पर होगा. बच्चों के लिए पूरी तरह न्यायसंगत होगा, इसका भरोसा हम देते हैं.
क्या 10वीं और 12वीं में इस बार टॉपर की सूची होगी?
सीबीएसई ने पिछली बार भी टॉपर के नाम की घोषणा नहीं की थी. इसके पीछे दलील ये है कि एक जैसे नंबर हज़ारों बच्चों को मिल सकते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में नंबर की रेस को बंद करने के लिए सीबीएसई ने ये क़दम उठाया है. मीडिया, सोसाइटी और स्कूलों के माध्यम से ये बात सामने आ जाती है कि किस स्कूल के किस छात्र को कितने नंबर मिले. उसी के आधार पर एक तुलनात्मक अध्ययन कर स्कूल टॉपर, ज़िला टॉपर, राष्ट्रीय स्तर के टॉपर का नाम निकाला लिया जाता है. ये बच्चों और अभिभावकों दोनों को अच्छा लगता है. सीबीएसई ने टॉपर की लिस्ट पिछली बार भी जारी नहीं की थी और इस बार भी नहीं करेगी.
क्या इस बार भी 99 फ़ीसदी नंबर पाने वाले बच्चों की संख्या पिछली बार जितनी होगी?
अगर आप छात्रों के प्री-बोर्ड, मिड-टर्म, यूनिट टेस्ट, इंटर्नल, प्रैक्टिकल को मिला कर रिजल्ट तैयार करेंगें, तो कोई ना कोई छात्र होगा, जो 100 फ़ीसदी नंबर लाएगा. इन परीक्षाओं में बहुत सारे छात्रों को फ़ुल नंबर आ सकते हैं. प्री-बोर्ड में भी ऐसा होता है. कुछ छात्रों को एक विषय में पूरे नंबर मिलते हैं, कुछ को दो विषय में, कुछ को तीन में. रिजल्ट इस बात पर निर्भर करेगा कि बच्चों का स्कोर किस हिसाब से मैच करके हमारे पास आता है. हम ये बिल्कुल नहीं कह सकते कि ऐसा कोई बच्चा नहीं होगा जिसे 99 फ़ीसदी नंबर नहीं मिलेंगे. 100 फ़ीसदी अंक पाने वाले होंगे तो उनको 100 फ़ीसदी ही अंक मिलेगा.
पिछले साल तक, 99 फ़ीसदी अंक पाने वाले बहुत छात्र होते थे, जिस वजह से दिल्ली विश्वविद्यालय में कट-ऑफ़ बहुत ऊपर तक जाती थी. क्या इस बार भी वैसा होगा?
भारत में 12वीं के छात्र कुल 15-20 लाख होते हैं. इनको नंबर 1 से 100 फ़ीसदी तक मिल सकते हैं. जब 15-20 लाख छात्र 1-100 फ़ीसदी नंबर के लिए पढ़ेंगे, तो निश्चित तौर पर एक पायदान पर बहुत सारे छात्र होंगे ही. 95, 98, 99 फ़ीसदी नंबर पाने वाले भी कई हज़ार छात्र होंगे ही. ये एक वैज्ञानिक तरीक़ा है, इसे इग्नोर क्यों करें? ये ग़लत भी नहीं है.
छात्र और अभिभावक दोनों के अंदर कॉलेज में दाखिले को लेकर बहुत बेचैनी है. कुछ छात्रों को विदेश में आगे की पढ़ाई करनी है. कुछ कोर्स में 12वीं के रिज़ल्ट और एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर दाखिले होते थे. सब ठीक से हो, क्या सीबीएसई इस दिशा में कोई क़दम उठा रही है?
अच्छी बात ये है कि हमारे पास 12वीं के नतीजे घोषित करने के लिए पर्याप्त समय है. परीक्षाएँ रद्द करने का निर्णय समय पर हो गया है. हमारे पास पूरे दो महीने का वक़्त है. ज़्यादातर विश्वविद्यालयों में, चाहे भारत के हों या विदेश के, अगस्त के दूसरे सप्ताह में दाखिले की प्रक्रिया शुरू करते हैं. सीबीएसई छात्रों को आश्वासन देती है कि जल्द से जल्द छात्रों के रिजल्ट घोषित किए जाएँगे. छात्रों को जहाँ भी दाखिले के समय नंबर दिखाने की ज़रूरत होगी, उसके पहले उनके हाथों में मार्कशीट होगी. उच्च शिक्षा में दाखिला रिजल्ट की वजह से नहीं रुकेगा. बच्चों और अभिभावकों को इसके लिए चिंतित होने की ज़रूरत नहीं.
इतना ही नहीं सीबीएसई यूजीसी, दूसरे विश्वविद्यालयों जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय और दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ संपर्क में हैं. बिना रिजल्ट के वहाँ दाखिले की प्रक्रिया शुरु भी नहीं हो सकती. पिछले साल भी हमने ऐसा किया था. यहाँ तक की ज़रूरत के हिसाब से री-इवेल्यूएशन के नंबर भी सीबीएसई ने विश्वविद्यालयों को भेजे थे.
साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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