भारतीय वायुसेना के अभिनव चौधरी का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह करीब नौ बजे मेरठ के गंगा नगर स्थित गंगा सागर कॉलोनी में उनके घर पहुंचा। यहां से इनके पैतृक गांव ले जाया गया। लोगों ने नम आखों और दिल में दर्द के साथ अंतिम विदाई दी।
मेरठ, जेएनएन। भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर रहे मेरठ के अभिनव चौधरी का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह करीब नौ बजे मेरठ के गंगा नगर स्थित गंगा सागर कॉलोनी में उनके घर पहुंचा। पार्थिव शरीर को देखते ही पूरी कॉलोनी के साथ गंगानगर के आसपास के लोग भी घर तक पहुंच गए। परिवार में जहां रोना शुरू हुआ वही बाहर भी खड़े लोगों का दिल जोर-जोर से धड़का और आंसुओं के सैलाब आंखों से बह चलें। वायु सेना की टीम ने परिवार के साथ ही करीबी रिश्तेदारों व अन्य लोगों को भी घर में अंतिम दर्शन कराया। अंतिम दर्शन के दौरान शहीद अभिनव के कुछ स्वजनों की तबीयत भी बिगड़ गई। ताऊ को चक्कर आ गया और ताई भी बेसुध होकर पड़ गई। पिता सत्येंद्र चौधरी, माता सत्य, बहन मुद्रिका और पत्नी सोनिका का रो रो कर बुरा हाल था। पिता को संभालते हुए अभिनव की बहन मुद्रिका व सोनिका की छोटी बहन मोनिका उनके आसपास ही रहे। शहीद अभिनव के अंतिम दर्शन कर निकलते हुए लोगों के आंखों में आंसू और चेहरे पर भारी मन का भाव साफ दिखाई दे रहा था।
अंतिम दर्शन के दौरान स्वजनों के मन के उदगार निकले। पिता बेटे तो बहन भाई और आसपास के लोग भी उस बच्चे कि आवाज एक बार सुनने को आतुर थे जिसे देख देख कर वह अपने बच्चों को भी प्रेरित किया करते थे। बेटे तू कहां चला गया, भैया ऐसे क्यों छोड़ गए, बेटा एक बार तो आजा, तेरी आवाज ही सुनाई दे जाए। ऐसे कई उदगार थे जो स्वजनों और आसपास के लोगों के मन से अंतिम दर्शन के दौरान निकल रहे थे। रोने के साथ ही सभी एक दूसरे को संभाल भी रहे थे। पत्नी को अभिनव की बहन व स्वजनों ने संभालने की कोशिश की।
कोई निशान भी ना छोड़ गया
अंतिम दर्शन के लिए पहुंची आसपास की महिलाओं ने कहा कि ऐसा भी कभी होगा यह किसी ने नहीं सोचा था। अभिनव कोई निशानी भी ना छोड़ गया। परिवार आगे बढ़ाने वाला भी कोई नहीं रहा। दरअसल महिलाओं में यह चर्चा इसलिए भी थी कि 17 महीने की शादी में अभिनव और पत्नी सोनिका पिछले सितंबर से अब तक ही साथ रहे थे। संभव है कि जीवन में उनकी कुछ अलग योजनाएं रही होंगी। अभिनव के अभी कोई कोई संतान नहीं है। महिलाओं में यह चर्चा इसलिए भी ज्यादा दिखी कि उनके आंखों के सामने पाला बढ़ा नौजवान बिना किसी निशानी के आगे बढ़ गया।
मुझे बेटे के साथ ही जाना है
शहीद अभिनव चौधरी के पार्थिव शरीर को सेना की ट्रक में लाया गया और उसी ट्रक में गांव की ओर लेकर निकले। पिता सत्येंद्र चौधरी को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दूसरी गाड़ी में लाने की तैयारी थी, लेकिन पिता ने वायुसेना अफसरों से कहा कि वह बेटे के साथ ही जाएंगे। उन्होंने कहा मुझे बेटे के साथ ही जाना है और परिवार का जो भी सदस्य साथ चलना चाहे उसे भी साथ ही जाने दीजिए। नौजवान बेटा खोने के गम में ट्रक के सफर को उन्होंने अनदेखा ही किया। शहीद अभिनव के पिता सत्येंद्र चौधरी, पत्नी सोनिका उज्जवल, छोटी बहन मुद्रिका और सोनिका की छोटी बहन मोनिका पार्थिव शरीर के साथ ही मेरठ से बागपत के पुसार गांव के लिए रवाना हुए। इस दौरान मोनिका जहां अभिनव के पिता को संभाल रही थी वहीं दूसरी ओर मुद्रिका भाभी सोनिका को संभालने की कोशिश करती दिखी।
शहीद अभिनव चौधरी की स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून से हुई थी। शहीद बेटे के पार्थिव शरीर के घर पहुंचने पर वह बेटे की उसी टीशर्ट में दिखे जिसमें उनके कॉलेज का नाम लिखा हुआ था। शहीद होने का सम्मान अलग होता है लेकिन नौजवान बेटे के जाने का गम पिता सत्येंद्र उनकी यादों के साथ ही जोड़ कर रखना चाहते थे। संभव है इसीलिए उन्होंने आज वही टीशर्ट पहनी थी जो संभवत अभिनव ने ही उन्हें प्रदान की होगी। साभार-दैनिक जागरण
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