पढ़िए आँखोंदेखी लाइव की ये खबर…
सरकार के प्रतिबंध के बावजूद लोग अभी भी गंगा के किनारे शवों को दफना रहे हैं। इसलिए, हर जगह केवल लाशें देखी जा रही हैं। शवों की संख्या इतनी है कि उनकी गिनती करना संभव नही है। इससे ये भी पता चल रहा है कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतें सरकारी आंकडों से कही ज्यादा हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश [up] में भले ही कोरोना संक्रमण [Corona infection] पिछले कुछ दिनों में कमजोर पड़ा है लेकिन मौतों का सिलसिला पहले की तहर लगातार जारी है। मृत्यू दर में कोई कमी देखने को नही मिल रही है। नतीजन श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार [Funeral] में परेशानी होने के चलते लोगों ने शवों को गंगा के किनारे दफनाना शुरू कर दिया है। जिसको लेकर सरकार ने कड़े प्रतिबंद लगाएं हैं और लोगों से अपील की है कि वो गंगा में शव बहाने या दफनाने का कार्य बिलकुल भी न करें। इसके लिए सरकार ने अंतिम संस्कार के लिए 5 हजार रूपए की सहायता देने का भी ऐलान किया है। लेकिन बावजूद इसके लोग मान नही रहे हैं।
सरकार के प्रतिबंध के बावजूद लोग अभी भी गंगा के किनारे शवों को दफना रहे हैं। इसलिए, हर जगह केवल लाशें देखी जा रही हैं। शवों की संख्या इतनी है कि उनकी गिनती करना संभव नही है। इससे ये भी पता चल रहा है कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतें सरकारी आंकडों से कही ज्यादा हैं।
गंगा के किनारे शव दफनाए जाने और गंगा में बहाए जाने के वीडियो और तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। जिसको लेकर पूरे देश में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोग उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना भी कर रहे हैं। इसको देखते हुए योगी सरकार ने शवों को नदी में दफनाने या छोड़े जाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। मौके पर पुलिस गश्त भी की गई। लेकिन सरकार की सारी कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं. प्रयागराज के श्रृंगवेश्वर धाम के पास अभी भी शवों को दफनाने का काम चल रहा है. घाटों पर हर जगह लाशें देखी जा रही हैं। यह सब पुलिस भी चुपचाप देख रही है और शवों को दफनाने से कोई नहीं रोक रहा है.
शवों के साथ भारी मात्रा में पूजा सामग्री
घाटों पर बड़ी संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है। यह संख्या बहुत बड़ी है। इतना ही नहीं शवों की पहचान के लिए परिजना झंडी लगा रहे हैं। साथ ही शवों के पास पूजा सामग्री का सामान रखा जा रहा है। नतीजतन, गंगा नदी में भारी मात्रा में कचरा पैदा हो गया है।
कोरोना महामारी गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शवों का कारण बन रही है। पहले एक दिन में 8 से 10 शव आ रहे थे। अब एक दिन में 60 से 70 शव आ रहे हैं। कई बार यह संख्या सौ तक भी पहुंच जाती है। पंडितों का कहना है कि प्रशासन की रोक के बाद भी लोग शव ला रहे हैं.
पुरानी परंपरा
वही घाट के एक पंडित ने कहा कि शवों को दफनाने की बहुत पुरानी परंपरा है। शवों को शैव संप्रदाय में दफनाया जाता है। शवों को दफनाने से नहीं रोक सकते। क्योंकि यह धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। जो लोग गरीब हैं, जिनके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं हैं, वे शवों को दफना रहे हैं। अब बहुत से लोग कोरोना के कारण ऐसा ही कर रहे हैं। इस दौरान पहले से कहीं ज्यादा शवों को दफनाया जा रहा है। साभार-आँखोंदेखी लाइव
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post