इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महीने के अंदर तीसरी बार उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोरोना की दूसरी लहर में संसाधनों की कमी और गांवों में बदहाली को देखते हुए कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की। कहा कि प्रदेश के गांवों और कस्बों में चिकित्सा व्यवस्था ‘भगवान भरोसे’ चल रही है। समय रहते इसमें सुधार न होने का मतलब है कि हम कोरोना की तीसरी लहर को दावत दे रहे हैं। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार ने ये टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
कोर्ट की 10 बड़ी बातें
1. 20 बेड वाले सभी नर्सिंग होम और अस्पतालों के 40% बेड ICU के लिए रिजर्व रखे जाएं।
2. इसमें 25% बेड वेंटिलेटर युक्त हों और 25% हाईफ्लो नोजल कैनुडा से लैस हों।
3. 50% बेड सामान्य मरीजों के लिए रिजर्व रखे जाएं।
4. गांव और कस्बों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पैथोलॉजी लैब बनाया जाए।
5. हर जिले में 20 एम्बुलेंस और हर गांव में ICU वाली 2 एम्बुलेंस हो।
6. हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन सुविधा और वेंटिलेटर की व्यवस्था हो।
7. 30 बेड से ज्यादा क्षमता के हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएं।
8. सरकार खुद वैक्सीन बनाए और दूसरी कंपनियों को भी वैक्सीन बनाने का फार्मूले दे।
9. बड़े औद्योगिक घराने धार्मिक गतिविधियों में खर्च होने वाला फंड वैक्सीन खरीदने में लगाएं।
10. BHU, गोरखपुर, प्रयागराज,आगरा, मेरठ मेडिकल कॉलेजों को SGPGI स्तर का बनाया जाए।
नौकरशाही छोड़कर व्यापक रिपोर्ट दीजिए
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव को कोरोना के रोकथाम और बेहतर इलाज की डिटेल प्लानिंग मांगी। कहा कि नौकरशाही छोड़कर इसे विशेषज्ञों के साथ मिलकर अच्छे से तैयार करें। कोर्ट ने गांवों और कस्बों में टेस्टिंग बढ़ाने का भी आदेश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 22 मई को होगी।
पांच शहरों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के निर्देश
कोर्ट ने कहा कि SGPGI लखनऊ, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ की तर्ज पर प्रयागराज, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर में भी हाईटेक सुविधाओं वाले मेडिकल कॉलेज स्थापित करने को कहा। इस प्रक्रिया को चार महीने के अंदर पूरी करनी होगी। इसके लिए जमीन व फंड की कोई कमी न रहने पाए। कोर्ट ने कहा कि इन पांच मेडिकल कॉलेजों को ऑटोनॉमी भी दी जाए।
12 जिलों में नोडल ऑफिसर देंगे रिपोर्ट
कोर्ट ने B और C ग्रेड के कस्बों में 20 एंबुलेंस और हर गांव में ICU सुविधा वाली दो एंबुलेंस तैनात करने का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने बिजनौर, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, जौनपुर, मैनपुरी, मऊ, अलीगढ़, एटा, इटावा, फिरोजाबाद व देवरिया के जिला जजों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है। ये नोडल अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करवाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
कोर्ट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के प्राचार्य को सेंट्रलाइज मॉनिटरिंग सिस्टम में कोविड और ICU वार्डों का 22 मई को डिटेल पेश करने का निर्देश दिया है।
सरकार ने कहा- 3 सदस्यों की कमेटी का गठन किया
सुनवाई के दौरान केंद्र और प्रदेश सरकार की तरफ से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की गई। सरकार ने बताया कि पेन्डेमिक लोक शिकायत के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कमेटी संबंधित जिले के नोडल अधिकारियों से चर्चा कर हर शिकायत का निस्तारण 24 से 48 घंटे के अंदर करे।
कमेटी निगरानी करे
कोर्ट ने कहा कि हर जिले में होम आइसोलेशन, प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होमों में आक्सीजन सप्लाई की मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी बनाई जाए। शहरी और ग्रामीण इलाकों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी जीवन रक्षक दवाओं की कमी को दूर किया जाए। कोर्ट ने बिजनौर जिले की आबादी और वहां के अस्पतालों की स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहां जो भी सुविधा है वह नाकाफी है।
कोर्ट ने कहा कि 32 लाख की आबादी पर 10 हॉस्पिटल हैं। लोगों को चिकित्सा सुविधा बड़ी मुश्किल से मिल पा रही है। 32 लाख की आबादी में अभी तक सरकार ने 1200 टेस्ट प्रतिदिन किए हैं जो बहुत ही कम हैं। 32 लाख की आबादी पर कम से कम 4 या 5 हजार टेस्ट हर दिन होने चाहिए। कोर्ट ने मुख्य सचिव से भी हलफनामा मांगा है और पूछा है कि आश्रितों को सरकार कैसे मुआवजा देगी? साभार-दैनिक भास्कर
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