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इसराइली सैनिकों और फ़लस्तीनियों के बीच जारी हिंसक संघर्ष अब गज़ा के बाद कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के अधिकांश इलाक़ों तक भी फैल गया है.
वेस्ट बैंक के अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा में कम से कम 10 फ़लस्तीनी मारे गये हैं जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
इसराइली सेना इन इलाक़ों में आंसू गैस के गोलों और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है. वहीं फ़लस्तीनियों ने कई जगहों पर पेट्रोल बम फेंके हैं.
वेस्ट बैंक के कुछ इलाक़ों में बहुत गंभीर संघर्ष होने की ख़बरें लगातार आ रही हैं, जिन्हें क्षेत्र में वर्षों में हुई ‘सबसे ख़राब हिंसा’ बताया जा रहा है.
हफ़्तों के तनाव के बाद, पिछले शुक्रवार को इसराइली सेना और फ़लस्तीनियों के बीच पूर्वी-यरुशलम से हिंसक संघर्ष की शुरुआत हुई थी जो धीरे-धीरे अलग इलाक़ों तक फैल गया.
सोमवार को गज़ा पर शासन करने वाले चरमपंथी संगठन हमास ने इसराइली सेना को यरुशलम की अल-अक़्शा मस्जिद से पीछे हटने की धमकी दी थी, जिसके बाद हमास ने इसराइली क्षेत्र पर रॉकेट दागे और इसके जवाब में इसराइली सेना ने फ़लस्तीनियों पर हवाई हमले किए.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शांति की अपील के बावजूद, बीती पाँच रातों से दोनों पक्षों के बीच लड़ाई जारी है.
फ़लस्तीनी चिकित्सा अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि सोमवार से लेकर अब तक गज़ा में कम से कम 132 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 32 बच्चे और 21 महिलाएं शामिल हैं. इनके अलावा लगभग एक हज़ार लोग घायल हो चुके हैं. वहीं इसराइल में संघर्ष की शुरुआत से लेकर अब तक 8 लोगों की मौत हुई है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वेस्ट बैंक के कई कस्बों में शुक्रवार को ज़बर्दस्त प्रदर्शन हुए जिनमें ‘शांति की अंतरराष्ट्रीय अपील’ को मानने की बात उठाई गई.
इसी बीच, इसराइल से लगी जॉर्डन और लेबनान की सीमाओं पर भी शुक्रवार को फ़लस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन हुए. लेबनान के सरकारी मीडिया के अनुसार, इसराइली सेना द्वारा चलाई गई गोली से उनके एक नागरिक की मौत हो गई.
उधर, इसराइली फ़ौज ने माना है कि उसने गज़ा में पिछले दो दिनों में कई हवाई हमलों को अंजाम दिया जिनमें हमास के चरमपंथियों द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल की जा रही एक टनल को उन्होंने तबाह कर दिया है. लेकिन इसराइली फ़ौज का कहना है कि उनका कोई भी सैनिक गज़ा में दाख़िल नहीं हुआ.
इसराइली फ़ौज के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार को दुश्मन के दो सौ से ज़्यादा ठिकानों पर हवाई हमले किए गए.
मगर हमास का आरोप है कि इसराइल अपने हवाई हमलों में आम नागरिकों को निशाना बना रहा है. शुक्रवार को हमास ने कहा कि “गज़ा के एक शरणार्थी कैंप में रहने वाला एक परिवार आज इसराइली हवाई हमले में मारा गया, जिनमें एक महिला और एक बच्चा शामिल थे.”
वहीं हमास जो कि फ़लस्तीनी चरमपंथी गुटों में सबसे बड़ा गुट है, उसने इसराइल के कई इलाक़ों को अपने रॉकेटों का निशाना बनाया है.
इस बीच, इसराइली फ़ौज ने दावा किया है कि पिछले दिनों गज़ा में जो हवाई हमले हुए उनमें दर्जनों चरमपंथियों की मौत हुई. साथ ही गज़ा की तरफ से ग़लती से छोड़े गए रॉकेटों से कुछ फ़लस्तीनी ही मारे गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सोमवार से जारी इस हिंसक संघर्ष की वजह से दस हज़ार से ज़्यादा फ़लस्तीनी गज़ा में स्थित अपने घरों को छोड़कर जा चुके हैं.
इसराइल में गृह युद्ध की आशंका
इस हिंसक संघर्ष की शुरुआत के बाद से इसराइल में भी कुछ जगहों पर इसराइली और अरब लोगों के बीच हाथापाई और झगड़े होने की ख़बरें आई हैं जिसकी वजह से इसराइली सेना ने गृह युद्ध की आशंकाओं का भी ध्यान रखने की बात कही है.
इसराइली रक्षा मंत्री ने गुरुवार को सुरक्षा बलों को आदेश दिया कि वो आंतरिक अशांति का ख़ास ख्याल रखें और उसे दबाने की हर कोशिश की जाए. इसराइल में अब तक 400 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
इसराइली पुलिस का कहना है कि इसराइल में रहने वाले अरब लोगों की वजह से क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी हो रही है.
वहीं, गज़ा में इसराइली सीमा के बहुत क़रीब रहने वाले फ़लस्तीनी जो अपने घर छोड़कर जा रहे हैं, उनका कहना है कि इसराइली सेना कभी भी उनके इलाक़े में घुस सकती है और वो इसे लेकर चिंतित हैं. इन लोगों ने बताया कि उनके इलाक़े में घरों पर भी बम गिराये जा रहे हैं.
एक परिवार जो सीमा के निकटवर्ती इलाक़े से निकलकर आया है, उसने कहा, “हमें लग रहा था जैसे कोई हॉरर फ़िल्म चल रही है. आसमान में इसराइली हवाई जहाज़ मंडरा रहे थे. साथ ही टैंक और नौसेना भी गोले बरसा रही है. हम कहीं आ जा नहीं सकते थे. बहुत से परिवार सिर्फ़ रो रहे थे. घर हर में ऐसी ही चिंता है. इसलिए अपने घर से निकल आना ही विकल्प था.”
नेतन्याहू की धमकी
इस बीच, इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि ये हाल के सालों में हमास के ख़िलाफ़ उनका अब तक का सबसे बड़ा अभियान है और ये जल्द ख़त्म नहीं होगा.
शुक्रवार शाम को तेल अवीव में सुरक्षा मामलों के लेकर हुई एक बैठक के बाद उन्होंने कहा, “उन्होंने हमारी राजधानी पर हमला किया है और हमारे शहरों पर रॉकेट दाग़े हैं. उन्हें उसकी क़ीमत चुकानी होगी और वो इसकी भारी क़ीमत चुका रहे हैं.”
इससे पहले नेतन्याहू ने कहा था कि इसराइली सेना गज़ा में जब तक ज़रूरी हुआ सैन्य कार्रवाई करती रहेगी. शुक्रवार सुबह उन्होंने एक बयान में कहा कि “हमास को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.”
वहीं इसराइल की तबाही के लिए संकल्पबद्ध चरमपंथी संगठन हमास ने कहा है कि वो भी इस बार इसराइल को बड़ा सबक सिखाने के इरादे में है.
गुरुवार को इसराइल ने अपनी रिज़र्व आर्मी के 7,000 जवानों को बुला लिया है. साथ ही गज़ा की सीमा पर टैंक और सैनिकों की तैनाती कर दी है. ज़मीनी कार्रवाई की जाने की संभावनाएं प्रबल हैं, लेकिन इसे लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
इस बार इसराइल के लिए भी मुश्किल
यरुशलम में बीबीसी के पत्रकार पॉल एडम्स के अनुसार, इस बार इसराइल के लिए भी मोर्चा सामान्य नहीं है. ना सिर्फ़ गज़ा और वेस्ट बैंक, बल्कि इसराइल के भीतर भी हिंसक संघर्ष हो रहा है. पिछले कुछ वर्षों में कभी ऐसा नहीं हुआ कि इन सब जगहों पर एक साथ ही हिंसा शुरू हो जाये.
अल-अक़्सा मस्जिद पर इसराइली सुरक्षा बलों ने जिस तरह की कार्रवाई की, उसने इसराइल में रहने वाली अल्पसंख्यक अरब आबादी में ग़ुस्सा पैदा किया जिसकी वजह से इसराइल को आंतरिक तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है. साथ ही इस सप्ताह जो हिंसक संघर्ष हुआ है, उसने यरुशलम, ज़मीन के विवाद और पवित्र धार्मिक स्थलों को लेकर इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच रही पुरानी असहमतियों को भी सामने ला दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से लगातार यह अपील की जा रही है कि मामले को जल्द से जल्द शांत किया जाये. इस अंतरराष्ट्रीय संस्था के अलावा अमेरिका ने भी शांति की अपील की है. लेकिन कोई भी अब तक इसराइल और फ़लस्तीनी नेताओं के बीच संघर्ष विराम पर समझौता नहीं करवा पाया है.
हालांकि, हमास के अधिकारियों ने कहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसराइल को यरुशलम में स्थित मुसलमानों की पवित्र अल-अक़्सा मस्जिद पर सैन्य कार्यवाही करने से रोक लेता है, तो उनका संगठन सीज़फ़ायर (संघर्ष विराम) के लिए तैयार है.
लेकिन इसराइल प्रशासन फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय गुज़ारिशों को सुनने के इरादे में नहीं है.
इसराइली प्रधानमंत्री के वरिष्ठ सलाहकारों में से एक, मार्क रिगीव ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि “हम भी हिंसक संघर्ष नहीं चाहते. लेकिन अब जब ये शुरू हो ही गया है, तो इसका अंत होना चाहिए ताकि लंबे समय तक शांति रहे और यह सिर्फ़ हमास को ख़त्म करके ही संभव है. गज़ा में हमास के सैन्य ढांचे, उनकी कमांड और कंट्रोल को तोड़ना होगा.”
हमास की शुरूआत 1987 में फ़लस्तीनियों के पहले इंतिफ़ादा या बग़ावत के बाद हुई, जब वेस्ट बैंक और गज़ा पट्टी में इसराइली क़ब्ज़े का विरोध शुरू हुआ था. इस गुट के चार्टर में लिखा है कि वो इसराइल को तबाह करने के लिए संकल्पबद्ध है.
हमास की जब शुरूआत हुई थी तो उसके दो मक़सद थे. एक तो इसराइल के ख़िलाफ़ हथियार उठाना जिसकी ज़िम्मेदारी उसके सैन्य गुट इज़़्ज़दीन अल-क़साम ब्रिगेड पर थी. इसके अलावा उसका दूसरा मक़सद समाज कल्याण के काम करना भी था.
मगर 2005 के बाद से जब इसराइल ने गज़ा से अपनी सेना और बस्तियों को हटा लिया, हमास ने फ़लस्तीनियों के राजनीतिक प्रक्रिया में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया.
उसने 2006 में फ़लस्तीनियों के इलाक़े में होने वाले चुनाव में जीत हासिल की, और उसके अगले साल गज़ा में राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रतिद्वंद्वी गुट फ़तह को हटाकर वहाँ की सत्ता अपने हाथ में ले ली.
उसके बाद से गज़ा के चरमपंथी इसराइल के साथ तीन लड़ाईयाँ लड़ चुके हैं. इसराइल ने मिस्र के साथ मिलकर गज़ा पट्टी की घेराबंदी की हुई है ताकि हमास अलग-थलग पड़े और उसपर हमले बंद करने का दबाव पड़े.
हमास, और कम-से-कम उसके सैन्य गुट को इसराइल, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कई अन्य मुल्क़ एक आतंकवादी संगठन मानते हैं.
कैसे भड़की ताज़ा हिंसा
संघर्ष का ये सिलसिला यरुशलम में पिछले लगभग एक महीने से जारी अशांति के बाद शुरू हुआ है.
इसकी शुरुआत पूर्वी यरुशलम से फ़लस्तीनी परिवारों को निकालने की धमकी के बाद शुरू हुईं जिन्हें यहूदी अपनी ज़मीन बताते हैं और वहाँ बसना चाहते हैं. इस वजह से वहाँ अरब आबादी वाले इलाक़ों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हो रही थीं.
शुक्रवार को पूर्वी यरुशलम स्थित अल-अक़्सा मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई बार झड़प हुई.
अल-अक़्सा मस्जिद के पास पहले भी दोनों पक्षों के बीच झड़प होती रही है मगर पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा 2017 के बाद से सबसे गंभीर थी.
अल अक़्सा मस्जिद को मुसलमान और यहूदी दोनों पवित्र स्थल मानते हैं.
क्या है यरूशलम और अल-अक़्सा मस्जिद का विवाद?
1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को नियंत्रण में ले लिया था और वो पूरे शहर को अपनी राजधानी मानता है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता. फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं.
पिछले कुछ दिनों से इलाक़े में तनाव बढ़ा है. आरोप है कि ज़मीन के इस हिस्से पर हक़ जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदख़ल करने की कोशिश कर रहे हैं जिसे लेकर विवाद है.
अक्तूबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने एक विवादित प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक़्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है.
यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने यह प्रस्ताव पास किया था.
इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है.
जबकि यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है. साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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