कुछ दिन पहले ली गई यह फोटो सूरत के एक श्मशान की है। जहां एक साथ 5-6 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
गुजरात में कोरोना के नए मामले और मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा हैं। अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर जैसे जिलों में ऐसे हालात हैं कि शवगृहों में लाइनें लग रही हैं। लेकिन, इसके बावजूद सरकार कोरोना से मरने वालों के सही आंकड़ा छिपाने की कोशिश कर रही है।
दैनिक भास्कर ने 1 मार्च 2021 से 10 मई 2021 तक के डेथ सर्टिफिकेट के डेटा खंगाले तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इसमें पता चला कि राज्य के 33 जिलों और 8 निगमों द्वारा सिर्फ 71 दिनों में ही 1 लाख 23 हजार 871 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं। जबकि सरकारी आंकड़ों में कोरोना से मरने वालों की संख्या सिर्फ 4,218 ही बताई गई है। ऐसे में सवाल ये है कि सिर्फ 71 दिनों में करीब सवा लाख लोगों की मौत कैसे हो गई?
पिछले साल की तुलना में इस साल दोगुनी मौतें
डेथ सर्टिफिकेट्स के मुताबिक, इस साल मार्च महीने में ही राज्य में 26,026, अप्रैल में 57,796 और मई महीने के शुरुआती 10 दिनों में ही 40,051 मौतें हुई हैं। अब इन आंकड़ों की तुलना 2020 से करें तो मार्च 2020 में 23,352, अप्रैल 2020 में 21,591 और मई 2020 में 13,125 मौतें दर्ज की गई थीं। यानी कि पिछले साल की तुलना में इस साल के 71 दिनों में ही मरने वालों का आंकड़ा दोगुना हो चुका है।
5 महानगर, जहां 71 दिनों में 45,211 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए
शहर | सरकारी आंकड़ों में कोरोना से मौतें | डेथ सर्टिफिकेट जारी |
अहमदाबाद | 2,126 | 13,593 |
सूरत | 1,074 | 8,851 |
राजकोट | 288 | 10,887 |
वडोदरा | 189 | 7,722 |
भावनगर | 134 | 4,158 |
बड़े 5 जिले, जहां 71 दिनों में 21,908 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए
जिला | सरकारी आंकड़ों में कोरोना से मौतें | डेथ सर्टिफिकेट जारी |
मेहसाणा | 132 | 3,150 |
राजकोट | 418 | 7,092 |
जामनगर | 341 | 2,783 |
अमरेली | 36 | 5,449 |
नवसारी | 9 | 3,434 |
छोटे 5 जिले, जहां 71 दिनों में 1,947 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए
जिला | सरकारी आंकड़ों में कोरोना से मौतें | डेथ सर्टिफिकेट जारी |
छोटा उदेपुर | 28 | 78 |
नर्मदा | 9 | 368 |
महीसागर | 41 | 419 |
डांग | 13 | 556 |
पाटण | 51 | 526 |
कोरोना से मरने वालों में 80% हायपरटेंशन के मरीज
डॉक्टर्स और मरीजों के परिजन से मिली जानकारी के मुताबिक, मार्च, अप्रैल और मई 2021 के 71 दिनों में जो मौतें हुईं हैं उनमें से 80% मरीज कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से भी पीड़ित थे। राज्य में सबसे ज्यादा 38% मौतें हायपरटेंशन के मरीजों की हुई हैं। वहीं, 28% कोरोना मरीजों को डायबिटीज, किडनी और लीवर से जुड़ी बीमारियां थीं। कोरोना संक्रमण के बाद जान गंवाने वालों में 14% वे लोग थे, जिन्हें दूसरी छोटी बीमारियां थीं।
बल्ड क्लॉटिंग के चलते हार्ट अटैक से 4% मौतें
राज्य के अलग-अलग अस्पतालों से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना मृतकों में 4% वे मरीज भी थे जो कोरोना से तो रिकवर हो चुके थे। लेकिन ब्लड क्लॉटिंग के चलते हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। ऐसे मृतकों की संख्या 3,500 से 4,000 के बीच होने का अनुमान है। डॉक्टर्स के मुताबिक, लंबे समय तक इलाज कराने के चलते कई मरीजों को ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हुई थी।
60% मौतें 45+ उम्र वाले कोरोना मरीजों की
सरकारी विभाग ने जो डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, उनकी जांच करने पर एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी मिली कि कोरोना मृतकों में 60% मरीज 45 साल से अधिक उम्र के थे। वहीं 20% फीसदी मृतकों की उम्र 25 साल से कम भी थी।
मृतकों के सही आंकड़े छिपाने के आरोपों पर हाल ही में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा था कि सरकार मौतों के आंकड़ों को नहीं छिपा रही है। मौतों में प्राथमिक और द्वितीयक दोनों वजह हैं। जिनकी मौतें को-मॉर्बिडिटी की वजह से हुईं उन्हें कोरोना से मरने वालों में शामिल नहीं किया जा रहा है। यानी की अगर किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ है और वह डायबिटीज, हार्ट या किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियों से पीड़ित है तो उसकी मौत कोरोना से नहीं मानी जाती। साभार-दैनिक जागरण
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