देशभर में कोरोना से बुरा हाल है। लगातार बढ़ते मरीजों के बीच सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि मरीज का इलाज आखिर कैसे हो? कोरोना की वैक्सीन आ चुकी है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद इलाज को लेकर पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह की राय है। अलग-अलग दवाइयां हैं।
इस बीच, अलग-अलग प्रदेशों में डॉक्टर अपने स्तर पर नए प्रयोग कर रहे हैं, जो कोरोना रोगियों के इलाज में मददगार भी साबित हो रहे हैं। ऐसी ही शुरुआत राजस्थान की राजधानी जयपुर में की गई है। यहां अब चेस्ट फिजियोथैरपी दी जा रही है। इस थैरेपी से बड़ी संख्या में मरीज रिकवर हो रहे हैं।
कोरोना संक्रमित जो मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते परेशान हो रहे हैं, उनके लिए चेस्ट फिजियोथैरपी कारगर साबित होती नजर आ रही है। इसके जरिए जयपुर के कई अस्पतालों में भर्ती मरीजों का न केवल सैचुरेशन (ऑक्सीजन लेवल) बढ़ा है, बल्कि मरीज के लंग्स (फेफड़ों) की रिकवरी भी तेजी से हुई है। ऐसे भी रिजल्ट सामने आए हैं कि जो मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, इस थैरेपी से उनका ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो गया।
पिछले दिनों कोरोना संक्रमितों का सैचुरेशन लेवल कुछ स्तर तक बढ़ाने के लिए डॉक्टरों ने जिस तरह प्रोनिंग करने की सलाह दी, ठीक उसी तरह चेस्ट फिजियोथैरेपी के जरिए भी मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाकर उसे संतुलित लेवल पर लाया जा सकता है।
जयपुर के रि-लाइफ हॉस्पिटल के चीफ फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. अवतार डोई ने बताया कि जयपुर में चेस्ट फिजियोथैरेपी को अभी दूसरे अस्पतालों में शुरू नहीं किया है, लेकिन हमने व्यक्तिगत रूप से कुछ अस्पतालों में जाकर मरीजों को ये थैरेपी दी। उन्होंने बताया कि बीते 15-20 दिन के अंदर 100 से ज्यादा मरीजों पर ये थैरेपी अपनाई है। इसके बहुत अच्छे रिजल्ट मिले हैं।
इस थैरेपी से न केवल मरीज का सैचुरेशन लेवल बढ़ा, बल्कि फेफड़ों की रिकवरी भी तेजी से हुई। इसे लेने के बाद कई मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ी। डॉ. अवतार डोई ने बताया कि ये थैरेपी केवल उन्हीं मरीजों को दी जाती है, जिनका सैचुरेशन लेवल 80 या उससे ऊपर है। इसमें हम मरीज के लंग्स में जमा स्पुटम (कफ) को ढीला करते हैं, जिससे कफ बाहर आने लगता है और मरीज की सांस लेने की कैपेसिटी बढ़ जाती है।
मरीज को ऐसे मिल जाता है आराम
- कोविड मरीजों के फेफड़े वायरस से डैमेज तो होते ही हैं, साथ ही कई मरीजों के फेफड़ों में टाइट स्पुटम (कफ) जमने की शिकायत भी होने लगती है। कफ जमने से फेफड़े अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं करते, इसके कारण मरीज की रिकवरी भी देरी से होती है।
- रिकवरी की स्पीड को बढ़ाने के लिए मरीज के फेफड़ों से कफ हटाना जरूरी होता है, ताकि वह अच्छे से काम कर सकें और मरीज सांस ले सके।
- फेफड़ों में जमे टाइट कफ को ढीला कर बाहर निकालने के लिए डॉक्टर अलग-अलग दवाइयां देते हैं, जिसमें समय लगता है। जबकि चेस्ट थैरेपी में बिना दवाइयों के कफ को ढीला करते हैं और वह अपने आप मरीज के शरीर से बाहर निकलने लगता है।
- मरीज के शरीर से जब कफ बाहर आता है तो उसे सांस लेने में आसानी होती है। संक्रमित फेफड़े भी जल्दी से ठीक होने लगते हैं।
सीटी स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर होती है थैरेपी
डॉ. डोई ने बताया कि चेस्ट थैरेपी में भी तीन तरह के वॉल्यूम हैं, जो मरीज की स्थिति को देखते हुए तय किए जाते हैं। चेस्ट थैरेपी में पहले ये देखा जाता है कि फेफड़ों के किस पार्ट में ज्यादा कफ जमा है। सीधे हाथ की तरफ बने फेफड़े तीन पार्ट और उल्टे हाथ की तरफ बने फेफड़े के दो पार्ट होते हैं। इसके लिए मरीज की सीटी स्कैन रिपोर्ट देखी जाती है। इस रिपोर्ट के आधार पर अलग-अलग स्थिति में थैरेपी दी जाती है। थैरेपी में सबसे पहले मशीन से वाईब्रेशन के जरिए और उसके बाद मेन्युअली हाथों से थप्पी देते हुए टाइट कफ को ढीला किया जाता है।
केस नं. 1 : फेफड़े होने लगे रिकवर
जयपुर की संगीता शर्मा (56) 25 अप्रैल से शास्त्री नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। कोरोना के कारण उनके दोनों फेफड़े काफी खराब हो गए। उनके बेटे आशुतोष शर्मा ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से चेस्ट थैरेपी लेने के बाद फेफड़ों की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगा है। उन्होंने बताया कि उनकी मां की एक सप्ताह पहले कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई, लेकिन फेफड़े डैमेज होने की वजह से हाईफ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहीं, लेकिन जब से थैरेपी शुरू की है फेफड़ों की रिकवरी होने लगी है।
केस नं. 2 : नहीं लेना पड़ा ऑक्सीजन सपोर्ट
सीताराम शर्मा दो दिन पहले कोरोना से संक्रमित हुए, जो शास्त्री नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उनके बेटे पवन शर्मा ने बताया कि जब उनके पिता को यहां भर्ती किया था, तब ऑक्सीजन लेवल 88-90 के बीच रहता था और सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी। डॉक्टर्स ने ऑक्सीजन सपोर्ट देने के बजाए चेस्ट फिजियोथैरेपी की सलाह दी। दो दिन से लगातार चेस्ट फिजियोथैरेपी लेने के बाद उन्हें सांस लेने की समस्या से कुछ हद तक निजात मिली है। ऑक्सीजन भी नहीं लगानी पड़ रही है।साभार-दैनिक भास्कर
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post