पिछले साल महज 20 बेड के साथ कोरोना (Corona) से लड़ाई करने वाले नांदुरबार (Nandurbar District) में अब 1,289 बेड्स, कोविड केयर सेंटरों में 1,117 बेड्स और ग्रामीण अस्पतालों में 5620 बेड्स के साथ महामारी को काबू में करने के लिए मजबूत हेल्थकेयर सिस्टम खड़ा है.
मुंबई. देश में कोरोना (Corona) की रफ्तार बेलगाम होती जा रही है. हर दिन कोरोना के नए केस रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. हालात ये हैं कि मरीजों को अस्पतालों मे बेड तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं. देश जहां ऑक्सीजन (Oxygen) और बेड (Covid Bed) के संकट से जुझ रहा है, वहीं देश के बेहद पिछड़े और आदिवासी बहुल नांदुरबार जिले में न तो बेड की दिक्कत है और न ही ऑक्सीजन की कमी दिखाई दे रही है. पिछले साल महज 20 बेड के साथ कोरोना से लड़ाई करने वाले नांदुरबार (Nandurbar District) में अब 1,289 बेड्स, कोविड केयर सेंटरों में 1,117 बेड्स और ग्रामीण अस्पतालों में 5620 बेड्स के साथ महामारी को काबू में करने के लिए मजबूत हेल्थकेयर सिस्टम खड़ा है. इसके साथ ही कई स्कूलों, हॉस्टलों, मंदिरों और पीएचसी में बेड की व्यवस्था की गई है. यही नहीं, जिले में कोरोना महामारी के इस संकट के समय 7,000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड्स और 1,300 आईसीयू बेड्स भी उपलब्ध हैं.
पिछले कोरोना काल में दूसरे जिलों पर निर्भर रहने वाला नांदुरबार आज खुद ऑक्सीजन प्लांट लगा चुका है. यह कमाल हुआ यहां के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुड की मेहनत और सही समय पर लिए गए फैसलों के कारण. कोरोना की इस लड़ाई में डीएम डॉ. राजेंद्र भरुड ने जिस तरह से तैयारी की है उसे देखने के बाद राज्य के हेल्थ मिनिस्टर राजेश टोपे, बायोकॉन चेयरपर्सन किरण मजमूदार शॉ, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वरिष्ठ प्रशासक तुकाराम मुंडे तक ने इस कोरोना हीरो की तारीफ की है. टोपे ने तो पूरे राज्य में नांदुरबार मॉडल को अपनाने की घोषणा की है.
मुंबई के केईएम अस्पताल से एमबीबीएस वाले साल 2013 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. राजेंद्र भरुड ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर की आहट पहले ही समझ ली थी. इसके बाद उन्होंने पूरे जिले में ऐसा हेल्थ सिस्टम खड़ा कर दिया, जिसके कारण आज किसी भी मरीज को किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है.
टेस्ट बढ़ाने से कोरोना पर पाया काबू
नांदुरबार में पिछली महामारी के दौरान औसतन 190 कोविड मरीज रोज मिलते थे लेकिन दूसरी लहर में अब 1,200 मरीज तक सामने आने लगे हैं. डॉ. भरुड की कोशिशों का नतीजा है कि जिले में इस समय RTPCR टेस्ट की क्षमता 1,500 तक पहुंच गई है. उन्होंने जिला विकास निधि और एसडीआरएफ के फंड से 3 ऑक्सिजन प्लांट लगवा दिए, जहां 3,000 लीटर प्रति मिनट ऑक्सिजन तैयार हो रही है. ऑक्सिजन बनाने के लिए लिक्विड टैंक लगाने का भी काम चल रहा है.साभार- न्यूज़18
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