पढ़िए दैनिक भास्कर की ये खबर… कोरोना को मात देकर घर लौटे बिरदीचंद अग्रवाल।
कहीं इलाज तो कहीं ऑक्सीजन के लिए हाहाकार, बीच-बीच में आने वाली मौत की खबरें, श्मशान पर चिताओं की लाइन… के बीच पॉजिटिव न्यूज सुकून देती है। 62 वर्षीय बिरदीचंद अग्रवाल की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। ऑक्सीजन लेवल घटकर 70 हो गया। CT स्कोर 20 पर पहुंच गया था। लगातार स्थिति नाजुक होती जा रही थी। जिला अस्पताल पहुंचे। वहां के स्टाफ के खुशमिजाजी और अपनों के प्यार ने सारा दु:ख भुला दिया। चारों ओर कोविड पेशेंट थे, पर कोई भय नहीं था। माहौल ऐसा कि अस्पताल का अहसास ही नहीं होता था। 8 दिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती रहने के बाद कोरोना को मात दी और सकुशल घर लौटे।
शुरुआत जुकाम-बुखार से
अग्रवाल ने बताया- 17 अप्रैल को हल्का बुखार व जुकाम हुआ। इसे मैंने गंभीरता से नहीं लिया। घर पर जो बुखार-खांसी की टैबलेट थी, वही लेने लगा। यही सबसे बड़ी मेरी गलती थी। 2-3 दिन बाद तो सांस लेने में तकलीफ होने लगी। तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो 21 अप्रैल को डॉक्टर को दिखाया। डॉ. अपूर्वा कौशिक ने कोविड टेस्ट व CT स्कैन की सलाह दी। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। CT स्कोर 20 आया। 21 अप्रैल को ही JLN हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में भर्ती हुआ और इलाज शुरू किया गया।
नर्सिंग स्टाफ का सपोर्ट
बकौल अग्रवाल, JLN हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने के दौरान वहां कार्यरत डॉ. सहदेव चौधरी, वीरेंद्र चौधरी, नर्सिंग स्टाफ नवीन पारीक और विनीत सोनी हर पेशेंट को हिम्मत देते थे। उनकी हौसला अफजाई करते थे। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। स्टाफ मेरे पास बैठकर बार-बार कहता था- घबराइए नहीं। आप जल्दी ठीक हो जाएंगेे। आपकी तो तबीयत कुछ खराब नहीं है। आप से न जाने कितने ज्यादा सीरियस पेशेंट आए और ठीक होकर गए। आप तो यूं ठीक हो जाएंगे। यह सिलसिला चलता रहा। इनकी बातों से मन को बहुत तसल्ली मिलती थी।
ध्यान बंटाते थे
अग्रवाल की मानें तो नर्सिंग स्टाफ हमेशा ध्यान बंटाते रहते थे। कई बार तो पास में बैठकर शहर के बारे में पूछते, ताकि बातों का दौर चलता रहे। शहर के इतिहास के बारे में पूछते थे। इससे समय भी कट जाता था। वहीं, परिवार वालों ने भी साथ नहीं छोड़ा। जमाई विजय शंकर अग्रवाल, बड़े बेटे दिनेश कुमार अग्रवाल, बेटे रितेश अग्रवाल, मोहित अग्रवाल ने भी पूरा ख्याल रखा। लगातार इनसे मुलाकात होती थी। इसके अलावा खाने-पीने को लेेकर भी मैंने गंभीरता दिखाई। लिक्विड डाइट पर फोकस किया। नींबू पानी, नारियल पानी, संतरे का जूस ज्यादा लिया करता था। इसलिए रिकवर जल्दी हुआ। डॉक्टरों की सलाह, नर्सिंग स्टाफ के पॉजिटिव सपोर्ट और अपनी मजबूत इच्छाशक्ति की बदौलत दो दिन पहले गुरुवार शाम को ठीक होकर घर लौट आया। अब ऑक्सीजन लेवल भी 92 हो गया है। साभार-दैनिक भास्कर
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