दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट का खाका पिछले साल खींचा गया था और अक्टूबर में टेंडर जारी किए गए थे.इसको लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.
नई दिल्ली: कोरोनावायरस के बेतहाशा बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली में मौजूदा ऑक्सीजन संकट के लिए एक नहीं, बल्कि कई मायनों में जिम्मेदार है. सरकार के सूत्रों ने इसकी ओर इशारा किया है. पीएम केयर्स फंड की मदद से चार अस्पतालों में प्रस्तावित ऑक्सीजन प्लांट का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इस पर जमीनी धरातल पर कार्य नहीं किया. रेलवे मंत्रालय में भी सूत्रों का कहना है कि अभी भी दिल्ली सरकार ऑक्सीजन एक्सप्रेस (Oxygen Express) के लिए जरूरी क्रायोजेनिक टैंकर्स उपलब्ध नहीं करा पा रही है.
हालांकि दिल्ली सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है और कहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट्स स्थापित करने में अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास कर रही है. ये चार प्लांट दीन दयाल उपाध्याय हास्पिटल, लोकनायक हास्पिटल, बाबा साहेब अंबेडकर हास्पिटल रोहिणी और दीप चंद बंधु हास्पिटल में स्थापित किए जाने थे. इन संयंत्रों के लिए पिछले साल योजना बनाई गई थी और अक्टूबर में टेंडर भी जारी हो गए थे.
लेकिन सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में साप्ताहिक समीक्षा के बावजूद इन अस्पतालों के लिए साइट देने में देरी की. अंबेडकरनगर हास्पिटल के लिए साइट 19 अप्रैल को तैयार हुई. सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र हास्पिटल नरेला की साइट रेडीनेस सर्टिफिकेट तो अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से नहीं सौंपा गया है.
वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि 5 अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन प्लांट मार्च 2021 तक पूरे हो जाने थे. लेकिन वेंडर सिर्फ एक ही प्लांट लगा पाया. उसकी ओर से कोई जवाब भी नहीं आया. दिल्ली सरकार ने कहा, बाकी दो हास्पिटलों के लिए लोकेशन की बात करें तो इन प्लांट्स को साइट भी नहीं मिला है.हम यह जानकर स्तब्ध हैं कि केंद्र सरकार अब प्लाट्स में देरी का कारण दिल्ली सरकार से साइट प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होने का बहाना बना रही है. यह कभी भी दिल्ली सरकार के संज्ञान में नहीं लाया गया है और यह पूरी तरह से झूठ है. यह तथ्य कि पीएसए संयंत्र को केंद्र के अपने सफदरजंग अस्पताल में भी चालू नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि पीएम केयर्स फंड की मदद से आठ प्रेशर विंग एबसाप्र्शन ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स दिल्ली में स्थापित किए जा रहे हैं. इससे मेडिकल ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता 14.4 टन बढ़ जाएगी. दिल्ली में कोई ऑक्सीजन प्लांट है नहीं, जो कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लड़ने में सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है
दिल्ली सरकार राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा जोरशोर से उठा रही है और पड़ोस के बीजेपी शासित राज्यों पर ऑक्सीजन आपूर्ति रोकने का आरोप भी लगा रही है. यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है. इस पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिली है.साभार-NDTV इन्डिया
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