आज दुनिया के पास कोरोना वायरस के खिलाफ कई वैक्सीन मौजूद हैं, लेकिन लोगों के मन में सवाल बना हुआ है कि आखिर ये वैक्सीन कोरोना वायरस (Coronavirus Vaccine) के खिलाफ कब तक सुरक्षा देती हैं?
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) को दस्तक दिए एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. देश अभी कोविड-19 की दूसरी लहर (COVID-19 2nd Wave) से जूझ रहा है. संक्रमण के नए मामले में रोज़ाना ही नए रिकॉर्ड बना रहे हैं. इस कारण में एक्टिव केसों की संख्या में भी बेतहाशा इजाफा किया है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पिछले साल ही दुनियाभर के विभिन्न देशों में कोविड वैक्सीन पर काम शुरू हो गया है. आज दुनिया के पास कोरोना के खिलाफ कई वैक्सीन मौजूद हैं, लेकिन लोगों के मन में सवाल बना हुआ है कि आखिर ये वैक्सीन कोरोना वायरस (Coronavirus Vaccine) के खिलाफ कब तक सुरक्षा देती हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक, फिलहाल यह बता पाना मुश्किल है, क्योंकि इस बारे में कोरोना वैक्सीन की डोज ले चुके लोगों पर अध्ययन चल रहा है. उन्हें देखकर ही यह कहा जा सकता है कि वैक्सीन की सुरक्षा कब तक खत्म हो सकती है. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की वैक्सीन शोधकर्ता डेबरा फुलर कहती हैं, ‘हमारे पास केवल तब तक के लिए जानकारी है जब तक वैक्सीन पर रिसर्च किया गया है. हमें वैक्सीन लगवा चुके लोगों पर रिसर्च करना है और देखना है कि किस लेवल पर लोग फिर वायरस की चपेट में आ सकते हैं?’
कोरोना वायरस से कब तक सुरक्षा देती है वैक्सीन?
अब तक फाइजर के जारी परीक्षण से संकेत मिलता है कि कंपनी की दो डोज वाली वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी यानी कम से कम छह महीनों के लिए तो कारगर है ही. शोधकर्ताओं फुलर ने बताया कि मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के छह महीने बाद लोगों के सभी ग्रुप में एंटीबॉडी की सक्रियता ऊंची पाई गई.
हालांकि एंटीबॉडीज भी संपूर्ण कहानी नहीं बताती है. वह कहती हैं, ‘वायरस जैसे हमलावरों से लड़ने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम भी सुरक्षा का दूसरा लेवल है, जिसे बी और टी सेल्स कहा जाता है. अगर उनका भविष्य में उसी वायरस से मुकाबला होता है, तो लड़ाई के परखे हुए सेल्स संभावित तौर पर ज्यादा तेजी से कूद सकते हैं. भले ही वो पूरी तरह बीमारी को नहीं रोकते हैं, मगर उसकी गंभीरता को कुंद करने में मदद कर सकते हैं. लेकिन कौन सी भूमिका ‘मेमोरी’ सेल्स कोरोना वायरस के साथ अदा करती हैं, और कब तक, ये अभी भी अज्ञात है.’ साभार-न्यूज़18
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