Remdesivir Injection की कालाबाजारी की अंतरराज्यीय जड़ें तलाशने में कानपुर पुलिस की टीम जुट गई है। पुलिस ने तीन शातिरों को पकड़कर कई अहम सुराग हासिल किए हैं उनके पास कई ड्रग्स कारोबारियों के नंबर मिले हैं ।
कानपुर, जेएनएन। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की अंतरराज्यीय जड़ें तलाशने में पुलिस जुट गई है। पकड़े गए आरोपितों में मोहन के मोबाइल नंबर की सीडीआर में गुडग़ांव, कोलकाता, चंडीगढ़ समेत कई स्थानों के ड्रग्स कारोबारियों के नंबर मिले हैं। इन पर पुलिस ने काम शुरू किया है। वहीं, इंजेक्शन की सप्लाई देने वाले पिता-पुत्र के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके लिए कोलकाता पुलिस से संपर्क साधा गया है। गुरुवार को इंजेक्शन की खेप वाराणसी के रास्ते शहर लाई गई थी।
पुलिस के मुताबिक, पकड़ा गया मोहन पूर्व में भी फार्मा कंपनी में सेल्स का काम देखता था। लॉकडाउन के समय वह गुरुग्राम की कंपनी में काम कर रहा था। इस दौरान उसकी नौकरी छूट गई थी। इसके बाद वह यहां दुकान-दुकान जाकर आर्डर लेकर थोक बाजार से दवाएं लाकर उन्हें उपलब्ध कराता था। इसके एवज में उसे 10 फीसद कमीशन मिल जाता था। इसी तरह पर अपना खर्च निकाल रहा था। रेमडेसिविर की किल्लत की उसे जानकारी थी। इसीलिए उसने रकम के बदले अपूर्वा से इंजेक्शन मंगाए थे।
अब तक पूछताछ में पता चला है कि कोलकाता निवासी अपूर्वा और उसके पिता शोभित मुखर्जी बड़े स्तर पर दवाओं का काम करते हैं। यह माल उन्होंने कहां से लिया। किस फर्म के नाम पर बिल जारी किया गया आदि के बारे में पता लगाया जा रहा है। कार्यवाहक सहायक पुलिस आयुक्त बाबूपुरवा-गोवद नगर विकास कुमार पांडेय ने बताया कि एक दर्जन से अधिक नंबर मिले हैं। उन पर सर्विलांस टीम काम कर रही है। कोलकाता पुलिस से संपर्क किया गया है। उनके इनपुट के बाद आगे की कार्रवाई होगी। साभार-दैनिक जागरण
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